एक चिन्तन. इस दुनिया में सहयोग करना अच्छी बात है लेकिन सहयोग का अभिमान अच्छी बात नहीं है , बताते चलें कि जिसने भूखे को भोजन करा दिया, प्यासे को पानी पिला दिया ,दर्द से कराह रहे व्यक्ति का दर्द हर लिया, , पथ पर आपदाग्रस्त हुए व्यक्ति को अस्पताल पहुंचा कर दवा करा दिया ,नदी में डूबते व्यक्ति को बचा दिया , करमट्ठी व्यक्तियों को एवं प्रतिभाशाली बच्चों को पुरस्कृत करसम्मान दिया , भावनात्मक एवं सृजनशील व्यक्ति को प्रेम से गले लगाया , पथ से भटके हुए राही को सही दिशा बता दिया ,अशिक्षित वान को शिक्षित करने का प्रयास किया , सर्व समाज के लिए जाति ,धर्म ,क्षेत्रीयता ,भाषा वादिता ,आडंबरत्व से उबारकर राष्ट्र की चेतना को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, वह इस दुनिया में सबसे बड़ा सहयोगी कहा जाता है ! मगर वहीं इस दुनिया में ऐसे भी व्यक्ति हैं जो किसी मासूम व्यक्ति बच्चे , परिवार ,समाज को छोटा सा सहयोग कर दिए , तो वह अपने आप को खुदा या ईश्वर समझने लगते हैं ! वह यह मानने लगते हैं कि हमारे जैसा इस दुनिया में और कोई नहीं है! मगर यह बातें कहीं ना कहीं व्यक्ति का अभिमान होता है वहीं इस दुनिया में ऐसी भी शख्सियत पड़ी है! जो अपना सब कुछ देश ,राष्ट्र को आगे बढ़ाने के लिए सौंप देते हैं मगर वह कभी भी यह जताने का प्रयास नहीं करते कि हमने देश राष्ट्र समाज या अमुक व्यक्ति का सहयोग किया ऐसे मिट्टी के लाल सपूतों को यह धरती नमन करती हैं ! इस दुनिया में निवासरत सभी व्यक्तियों की एक जैसी भूख नहीं होती ! सबकी अपनी अलग -अलग भूख होती है ! कोई खाने की भूख से परेशान होता है ,तो कोई खिलाने की भूख से परेशान होता है , कोई प्रेम देने के लिए परेशान होता है, तो कोई प्रेम लेने के लिए परेशान होता है ! अर्थात परेशान सभी होते हैं ! मगर जो व्यक्ति प्रेमता की प्रीति के साथ सब को सुकून ,शांति ,सौहार्द ,समाजिकता एवं राष्ट्रीयता की समृद्धता प्रदान करने का प्रयास करता है वह व्यक्ति वास्तविक सहयोगी कहलाता है ! और यह वही व्यक्ति बन सकता है जिनके अंदर लोगों के मर्म को समझने का मर्म छुपा होता है ! जो भावनात्मक होंगे ,जो सृजनशील होंगे , जो दूसरों के दर्द को अपने दर्द सा महसूस करता हो, जो दूसरे के दर्द विपत्तियों में शामिल होता हो, तथा उनके दर्द को बांटने का प्रयास करता हो, तथा खुद यह महसूस करता हो कि अमुक व्यक्ति के माथे पर ब्लेड का गहरा चीरा लगा है उसे कितना दर्द होता होगा ! वह व्यक्ति अंतरात्मा से कितना कराह रहा होगा ! इन सब चीजों को जो महसूस करने का हुनर जिनके अंदर होता है ! वही इस दुनिया में वास्तविक सहयोगी होते हैं! और ऐसे व्यक्ति धीरे -धीरे देखते हैं कि उसके अंदर कितना आंतरिक मीठा रूहानी सुकून महसूस हो रहा है ! और अंतरात्मा कितना सुखद महसूस कर रही है ! कितना भावनात्मक प्रवृतियों का प्रस्फुटन अपने आप आपके अंदर हो रहा है इनसब आंतरिक शक्तियों से प्रेरित होकर वह अपने आपको धंय महसूस करेगा ! और धीरे-धीरे वही व्यक्ति और सहयोगवादी बनेगा एवं व्यक्तिगत वादी कब बनेगा ! अर्थात वह दूसरों के दर्द को अपना दर्द समझ कर उसे हरने की कोशिश करेगा ! तथा वह व्यक्ति महसूस करेगा कि मैं सृष्टि के जीव एवं मानवीय कौम के लिए राष्ट्रवादी हो रहा हूँ ! वास्तव में यही एक व्यक्तित्व राष्ट्रवादी , आदर्शवाद का वास्तविक फरिश्ता कहलाते हैं! यह गुण अच्छे चारित्रिक व्यक्तित्व की विशेषता बताते हैं !और जिनके अंदर यह विशेषताएं नहीं हैं वह मानव कम कुमानव ज्यादा होते हैं ! तथा वह दूसरे के दर्द को अपना नहीं समझते ! बल्कि उनके दर्द को और बढ़ा देते हैं ! कभी-कभी तो पीठ पीछे बुराई करके उनकी हंसी उड़ाते हैं ! मजा लेते हैं !और कहते हैं कि अब ठीक है , ऐसे व्यक्ति सहयोगवादी नहीं विकृतिवादी होते हैं! वह जहां जाते हैं वहां विकृति पैदा कर काम बिगाड़ देते हैं ! ऐसे व्यक्तियों के आसपास का वातावरण भी दूषित रहता है ! जिस तरह का व्यक्ति का स्वाभाव रहता है उसी तरह व्याक्ति अपने वातावरण को भी बनाने की कोशिश करता है ! मगर होता तो यह है ! कि व्यक्ति बने बनाए वातावरण में बड़ी सुगमता से अपना कार्य करता है! अर्थात व्यक्ति जिस वातावरण में रहता है उस वातावरण का प्रभाव व्यक्ति के ऊपर ज्यादा रहता है ! कहने का मतलब यह है कि वह जहां रह रहा है ! वहां का वातावरण व्यक्ति के ऊपर ज्यादा हावी है ! व्यक्ति कभी भी जन्मजात कुशाग्र जाहिल नहीं पैदा होता ! बल्कि वह इस समाज में फैली कुशाग्रता पूर्ण बुराइयां और उन बुराइयों को फैलाने वाले लोगों ,की संगति में जब मासूम बच्चा , या व्यक्ति आ जाता है तब धीरे-धीरे उस कुशाग्रता का प्रभाव स्वच्छ समृद्धि शालीन मासूम व्यक्ति पर भी पड़ जाता है ! जिसके कारण वह जाहिल कुशाग्र अनुशासनहीन बन जाता है ! मगर कहीं ना कहीं इस दुनिया में अच्छी प्रगति से जीने वाले लोग जब इस कुशाग्रता पूर्ण व्यवहार का और वातावरण का स्वच्छता पूर्ण संयोजन ना करके शुष्क नीरज आलसी बनकर कर बैठे रहते हैं ! ,तब समझ लिया जाता है कि- यहां के लोग व्यक्तिगत स्वार्थों में लिप्त हैं ! तथा जिसके कारण कुशाग्रता पूर्ण परिस्थितियां बनी है! उस कुशाग्रता को दूर करने का जज्बा किसी महापुरुष में नहीं अर्थात वहां कोई मिट्टी का लाल ही नहीं पैदा हुआ है ! तब जाकर मनोविज्ञान चेतनावादी चिंतक यह मान बैठते हैं कि व्यक्ति की कुशाग्रता का कारण उसके आसपास की परिस्थितियां जिम्मेदार हैं ! उनके आसपास मानवीय चेतना फैलाने वाले जिम्मेदार चेतित व्यक्तियों का आभाव है ! तथा कोई चेतित व्यक्ति यह नहीं चाहता कि -इस देश के भटके हुऐ मासूम बच्चों को इस समाज के भटके हुए लोगों को !वास्तविक सही दिशा दशा देने का कार्य कर दें ! इसीलिए व्यक्ति ज्यादातर कुशाग्र बने रहते हैं ! कहीं ना कहीं उनको निर्देशन परामर्श नहीं मिल पाया होता है ! ऐसी विसंगतियों को दूर करने के लिए व्यक्ति को भ्रमण करना चाहिए ! देश दुनिया को देखना चाहिए ! और स्वयं उन परिस्थितियों से जूझना चाहिए ! हर व्यक्ति को चाहिए कि वह जगा रहे ! और हर परिस्थितियों को महसूस करें ! उसे बड़ी सूरता की सक्रियता के साथ समझे ! और स्वयं से तर्क वितर्क करें ! क्यों ? कैसे ? किस लिए ? पर आंतरिकव्दन्द करना चाहिए ! तभी किसी समस्या का समाधान उसका हल वास्तविक रुप से सामने निकल कर आ सकता है ! वरना इस दुनिया के लोग आपको गुमराह करके दिशाहीन कर देंगे ! सारी दुनिया के पास मरहम नहीं होता ! मगर नमक हर किसी के पास होता है ! वह आप के जख्मों पर लगा देंगे ! और आप धीरे -धीरे छटपटाना शुरू कर दोगे ! ऐसे लोगों से बचने की कोशिश भी करनी चाहिए ! इन समस्याओं का समाधान खुद आपका स्वयं का चिंतन ही होगा ! इससे पहले कि मैं चाहूं कुछ बेहतर हो जाए इसके लिए जरूरी है कि आपके अंदर उसकी पूर्ण ख्वाहिश हो, !आवश्यकता हो , और तब उस आवश्यकता की पूर्ति के लिए आगे बढ़ने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए ! तब धीरे-धीरे देखेंगे कि वही व्यक्ति सहयोगवादी शालीन ,समृद्धि शांत ,वातावरण वाला बन जाता है ! और पूरी दुनिया को सुकून पहुंचाने की कोशिश करता है ! इसलिए मित्रों जिंदगी के मर्म को समझने की कोशिश करें ! और आगे बढ़ने का पूर्ण प्रयास करें ! समस्याओं की दहलीज में उलझकर अपना अमूल्य समय नष्ट करें ! बल्कि उसे बैलेंसिंग बनाकर बड़ी सक्रियता के साथ आगे बढ़ने का प्रयास करें ! लक्ष्य आपका इंतजार कर रहा है ! धन्यवाद वैज्ञानिकवादी सामाजिक कला चिंतक आर्टिस्ट चंद्रपाल राजभर. मोबाइल नंबर 9721764379. 7678948288. Chandrapal6790@gmail.com