Thursday, August 15, 2024

वक्त पेन्टिंग

वक्त एक ऐसी शब्द है जिसे महसूस तो किया जा सकता है, लेकिन इसे बाँधा या नियंत्रित नहीं किया जा सकता। समय के बीतने का यह अमूर्त अनुभव, कलाकृति में  उतनी ही गहराई से प्रकट होता है जितना कि जीवन में। एक्रेलिक रंगों से बनी "वक्त" शीर्षक वाली पेंटिंग, इस गूढ़ सत्य को मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्यक्त करती है।

इस पेंटिंग में समय का बहाव रंगों के माध्यम से स्पष्ट रूप से दिखता है। एक्रेलिक रंगों की विशेषता है कि ये जल्दी सूखते हैं और स्थिर होते हैं, केई सदियों तक बने रहते हैं परंतु पेंटिंग में इनका उपयोग बहाव और अस्थिरता को चित्रित करने के लिए किया गया है। यह विरोधाभास मानव जीवन के उस पहलू को दर्शाता है जिसमें समय गतिशील होते हुए भी एक तरह की अपरिवर्तनीयता का प्रतीक है। पेंटिंग में ब्रश स्ट्रोक्स और रंगों का टकराव मनोवैज्ञानिक तनाव को उजागर करता है, जिसमें इंसान वक्त के साथ खुद को बदलने और ढालने की कोशिश करता है।

समय की गहराई को दर्शाने के लिए इस्तेमाल किए गए गहरे रंग एक अंतहीन यात्रा का आभास कराते हैं, जहां हर क्षण पिछले क्षण का अक्स मात्र है। यह मानव मन की उस अवस्था को प्रतिबिंबित करता है जहां यादें और भावनाएं समय के साथ धुंधली हो जाती हैं, परंतु उनका प्रभाव हमेशा रहता है। पेंटिंग की पृष्ठभूमि में धुंधले किनारे और बिखरे हुए रंग यह संकेत देते हैं कि भूतकाल और भविष्य की सीमाएं स्पष्ट नहीं होतीं। वर्तमान, अतीत और भविष्य के बीच झूलता हुआ मन, निरंतर परिवर्तन की प्रक्रिया में उलझा रहता है।

पेंटिंग में हल्के और गहरे भूरे रंगों के विपरीत उपयोग से समय के विभिन्न आयामों को चित्रित किया गया है। हल्के रंग उम्मीद और नए अवसरों का प्रतीक हैं, जबकि गहरे रंग अनिश्चितता और खोए हुए पलों का संकेत देते हैं। यह रंग संयोजन मनोविज्ञान में द्वैतवाद की अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जहां खुशी और दुःख, आशा और निराशा, साथ-साथ चलते हैं। इस द्वंद्व को समझना, समय के चक्र को समझने के समान है।

एक्रेलिक रंगों के लेयर्स समय की परतों को दिखाते हैं, जैसे इंसान की यादें और अनुभव, एक परत के ऊपर दूसरी परत बनाते चले जाते हैं। समय की इस जटिल संरचना में, पेंटिंग दर्शाती है कि कैसे व्यक्ति का अतीत उसके वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करता है। इस दृष्टिकोण से, "वक्त" पेंटिंग सिर्फ समय का चित्रण नहीं है, बल्कि यह हमारे भीतर समय की गूढ़ और अदृश्य प्रक्रियाओं का मंथन है।

पेंटिंग के धूसर रंग संकेत करते हैं कि समय के साथ सब कुछ धुंधला पड़ जाता है, और अंततः केवल अनुभव ही शेष रहते हैं। इन धुंधले रंगों के बीच कुछ चमकीले रंग जीवन में अनमोल पलों की झलक देते हैं, जो हमेशा यादों में बस जाते हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से, यह उस परिप्रेक्ष्य को उजागर करता है जहां व्यक्ति जीवन के विभिन्न पड़ावों के बीच अपने अस्तित्व को समझने की कोशिश करता है।

कुल मिलाकर, एक्रेलिक रंगों से बनी "वक्त" पेंटिंग मनुष्य और समय के संबंध को दर्शाती है। यह सिर्फ एक दृश्य रचना कलाकृति नहीं, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक यात्रा है, जिसमें व्यक्ति समय के साथ स्वयं को समझने, बदलने और स्वीकारने की प्रक्रिया से गुजरता है। समय की यह यात्रा अनंत है, और यही इसे जीवन का सबसे गूढ़ और अद्वितीय तत्व बनाती है।

"वक्त" पेंटिंग जैसे कलात्मक अभिव्यक्तियों का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से गहरा लाभ होता है। यह पेंटिंग न केवल समय की जटिलताओं को समझने में मदद करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। इसके निम्नलिखित मनोवैज्ञानिक फायदे हैं:

1. समय के प्रति समझ और स्वीकृति: इस पेंटिंग को देखने से व्यक्ति समय के अनवरत बहाव को समझ सकता है। जीवन में कई घटनाएं, खासकर जो बीत चुकी हैं, उन्हें स्वीकारने में कठिनाई होती है। यह पेंटिंग व्यक्ति को सिखाती है कि समय के साथ बदलाव स्वाभाविक हैं, और इसे अपनाना मानसिक शांति लाता है। 

2. तनाव और चिंता में कमी: पेंटिंग में इस्तेमाल किए गए रंगों और उनके प्रभाव को समझना एक प्रकार की थेरेपी हो सकता है। एक्रेलिक रंगों की बनावट और लेयरिंग दर्शक को समय के प्रवाह को सहजता से देखने का अवसर देती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। यह एक ध्यानपूर्ण अनुभव भी हो सकता है, जहां व्यक्ति क्षणभर के लिए वर्तमान में जीने का अभ्यास करता है।

3. आत्म-चिंतन और मानसिक संतुलन: इस पेंटिंग के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन के अनुभवों और बीते हुए समय पर विचार कर सकता है। यह आत्म-चिंतन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करती है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का संतुलन बनाने की कोशिश करता है। यह आत्म-चिंतन मानसिक संतुलन और परिपक्वता को बढ़ावा देता है।

4. स्मृतियों और भावनाओं का प्रबंधन: पेंटिंग में समय की धुंधली और चमकीली परतें संकेत करती हैं कि यादों को किस तरह से संभालना चाहिए। यह व्यक्ति को सिखाती है कि कुछ चीजें समय के साथ धुंधली होनी चाहिए, जबकि कुछ अनमोल यादों को संजोकर रखना चाहिए। यह दृष्टिकोण भावनात्मक भलाई और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायक हो सकता है।

5. अनिश्चितता को स्वीकारना: जीवन में अनिश्चितता को स्वीकारने में अक्सर लोग कठिनाई महसूस करते हैं। इस पेंटिंग में रंगों और ब्रश स्ट्रोक्स के माध्यम से व्यक्त की गई अनिश्चितता व्यक्ति को यह समझने में मदद करती है कि समय के साथ अनिश्चितता को अपनाना आवश्यक है। इससे व्यक्ति जीवन की अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना धैर्य और आत्मविश्वास से कर सकता है।

6. सृजनात्मकता और मानसिक ताजगी: ऐसी पेंटिंग को देखना और उसका विश्लेषण करना व्यक्ति की सृजनात्मकता को बढ़ावा देता है। यह नई सोच को प्रेरित करती है और मानसिक रूप से ताजगी का अनुभव कराती है। कलात्मक गतिविधियों से दिमाग में सकारात्मक बदलाव होते हैं और भावनात्मक लचीलापन भी बढ़ता है।

7.मन को शान्ति:- ऐसी कलाकृति मां को शांति प्रदान करती है सोचने और तर्क करने की क्षमता विकसित करती है विविध परिस्थितियों में जीने का साहस प्रदान करती है 

कुल मिलाकर, "वक्त" जैसी पेंटिंग मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने के साथ-साथ जीवन को एक नए दृष्टिकोण से देखने की प्रेरणा देती है। यह व्यक्ति को समय के प्रवाह के साथ सामंजस्य बिठाने में मदद करती है, जिससे मानसिक शांति और आत्म-स्वीकृति का विकास होता है।

आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
वैज्ञानिकवादी सामाजिक कला चिंतक

Wednesday, August 7, 2024

अभिलाषा तू नहीं गयी दिल से -संपादकीय आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

          अभिलाषा तू नहीं गयी दिल से 
मानव ह्रदय की गहराईयों में बसे कुछ सपने और इच्छाएँ कभी-कभी जीवन की वास्तविकताओं के सामने फीकी पड़ जाती हैं। इन्हीं में से एक अभिलाषा है, जो मनुष्य के ह्रदय में रह-रह कर उठती है, परन्तु परिस्थितियों के चलते धुंधली हो जाती है। जीवन की दौड़-धूप में हम अक्सर अपनी मूलभूत इच्छाओं और सपनों को भूल जाते हैं, परन्तु वे हमारे अवचेतन मन में सदा जीवित रहती हैं।

अभिलाषा, एक ऐसा शब्द है जिसमें असीम संभावनाएँ और अपेक्षाएँ छिपी हुई हैं। यह वह प्रेरक शक्ति है जो हमें हमारे लक्ष्यों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। चाहे वह एक छोटे बच्चे की चॉकलेट पाने की अभिलाषा हो या फिर एक युवा का बड़े सपनों की ओर कदम बढ़ाने की, हर किसी की अभिलाषा अपने आप में विशेष और महत्त्वपूर्ण होती है। 

कभी-कभी परिस्थितियाँ हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं और हम अपने सपनों को साकार नहीं कर पाते। परंतु यह कहना कि वह अभिलाषा समाप्त हो गयी, यह सत्य नहीं होगा। वह हमारे दिल में कहीं न कहीं जीवित रहती है और हमें हमारे अतीत की याद दिलाती है। यह हमें यह भी बताती है कि जीवन में कितने संघर्ष और प्रयास करने के बावजूद भी कुछ अभिलाषाएँ पूरी नहीं हो पातीं। 

जीवन की यात्रा में कई मोड़ आते हैं, कुछ इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं, तो कुछ अधूरी रह जाती हैं। परंतु यह अधूरी इच्छाएँ भी हमारे व्यक्तित्व को गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे हमें हमारे प्रयासों और संघर्षों की याद दिलाती हैं और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। 

हमारी अधूरी अभिलाषाएँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में असफलताएँ और निराशाएँ भी उतनी ही महत्वपूर्ण हैं जितनी सफलताएँ। वे हमें धैर्य, सहनशीलता और आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाती हैं। अधूरी अभिलाषाएँ हमें यह भी सिखाती हैं कि जीवन में हर चीज़ को पाने की चाहत में हमें अपने मौजूदा पलों की खूबसूरती को भी नहीं भूलना चाहिए। 

अभिलाषा चाहे पूरी हो या अधूरी, वह हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। वह हमें हमारे अतीत की याद दिलाती है और हमारे भविष्य की ओर मार्गदर्शन करती है। इसलिए, अभिलाषा को कभी भी दिल से निकालने का प्रयास नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे जीवन की एक सुंदर सच्चाई के रूप में स्वीकार करना चाहिए।

जीवन की दौड़ में अक्सर ऐसा होता है कि हम अपनी अभिलाषाओं को समाज, परिवार, और अपनी जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा देते हैं। कई बार यह देखा गया है कि हम अपने आस-पास के लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने में अपनी इच्छाओं और सपनों को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन दिल की गहराइयों में बसी अभिलाषाएँ कभी मरती नहीं, वे सदा जीवित रहती हैं, चाहे हम उन्हें पूरा कर पाएं या नहीं।

यह सच है कि सभी अभिलाषाएँ पूरी नहीं हो सकतीं, परंतु यह भी सच है कि ये अभिलाषाएँ ही हमें जीवित रखती हैं। वे हमें प्रेरित करती हैं कि हम अपने जीवन में कुछ अलग, कुछ नया करें। अभिलाषाएँ हमें न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन में बल्कि सामाजिक और व्यावसायिक जीवन में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। 

अभिलाषाओं का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि वे हमें हमारी असली पहचान से रूबरू कराती हैं। हम कौन हैं, क्या चाहते हैं, और हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है, यह सब अभिलाषाओं के माध्यम से ही स्पष्ट होता है। जब हम अपनी अभिलाषाओं को पहचानते हैं और उनके प्रति ईमानदार रहते हैं, तब हम अपने जीवन में संतोष और खुशी महसूस करते हैं।

एक अन्य दृष्टिकोण से देखा जाए तो अभिलाषाओं का अधूरापन हमें यह सिखाता है कि जीवन में पूर्णता का कोई स्थान नहीं है। जीवन एक यात्रा है, जिसमें हर कदम पर हमें नई चीजें सीखने और समझने का मौका मिलता है। अधूरी अभिलाषाएँ हमें यह भी सिखाती हैं कि सफलता और असफलता दोनों ही जीवन के हिस्से हैं, और हमें इन दोनों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए।

कई बार हमारी अभिलाषाएँ समय के साथ बदल जाती हैं। जो सपने हमने बचपन में देखे थे, वे युवावस्था में बदल जाते हैं, और वयस्कता में हम नए सपने देखने लगते हैं। यह बदलाव जीवन का हिस्सा है और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए। हमें अपनी पुरानी अभिलाषाओं को स्नेह और सम्मान के साथ याद रखना चाहिए और नई अभिलाषाओं के प्रति उत्साहित रहना चाहिए।

अभिलाषाएँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए। चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों, हमें अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश करते रहना चाहिए। अभिलाषाएँ हमें यह भी याद दिलाती हैं कि हमारे अंदर असीम संभावनाएँ हैं और हमें अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखना चाहिए।

अभिलाषाओं का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। वे न केवल हमारे वर्तमान को आकार देती हैं, बल्कि हमारे भविष्य को भी दिशा देती हैं। जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और ये अभिलाषाएँ ही हमें उन परिस्थितियों से उबरने की शक्ति देती हैं। जब हम किसी लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो यह हमारी अभिलाषाएँ ही हैं जो हमें मार्गदर्शन करती हैं और हमारी हिम्मत को बनाए रखती हैं।

अभिलाषाओं का सबसे बड़ा गुण यह है कि वे हमें सपने देखने की क्षमता देती हैं। सपने ही वह बीज होते हैं जो हमारे जीवन में बड़े-बड़े वृक्ष बनकर खड़े होते हैं। जब हम किसी चीज की अभिलाषा करते हैं, तो हम उसके लिए मेहनत करने को तैयार रहते हैं। यह मेहनत ही हमें सफलता की ओर ले जाती है। 

सपनों को पूरा करने के लिए हमें दृढ़ निश्चय और धैर्य की आवश्यकता होती है। अभिलाषाएँ हमें यह सिखाती हैं कि धैर्य का महत्त्व क्या है। जीवन में कभी-कभी हमें लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, लेकिन यदि हमारी अभिलाषा सच्ची और मजबूत है, तो वह हमें हार नहीं मानने देती। वह हमें प्रेरित करती है कि हम अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहें, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।

इसके अलावा, अभिलाषाएँ हमें हमारे संबंधों के बारे में भी सिखाती हैं। जब हम किसी चीज की अभिलाषा करते हैं, तो हमें यह समझ में आता है कि हमें अपनी सफलता के लिए किस-किसका सहयोग चाहिए। यह हमारे रिश्तों को मजबूत बनाने में मदद करती है और हमें यह सिखाती है कि जीवन में सहयोग और समर्थन का कितना महत्त्व है।

अभिलाषाओं का एक और महत्त्वपूर्ण पहलू यह है कि वे हमें आत्मनिरीक्षण करने की क्षमता देती हैं। जब हम किसी चीज की अभिलाषा करते हैं और वह पूरी नहीं होती, तो हमें यह सोचने का मौका मिलता है कि हमसे कहाँ चूक हुई। यह आत्मनिरीक्षण हमें हमारी गलतियों से सीखने का अवसर देता है और हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।

अभिलाषाएँ हमें यह भी सिखाती हैं कि जीवन में कभी भी स्थिर नहीं रहना चाहिए। हमें हमेशा अपने लक्ष्यों को पुनः मूल्यांकन करना चाहिए और नई चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए। जीवन में संतोष और खुशी प्राप्त करने के लिए हमें अपनी अभिलाषाओं को साकार करने का प्रयास करते रहना चाहिए।

अभिलाषाएँ हमारे जीवन की वह धरोहर हैं जो हमें जीवित रखती हैं। वे हमें हमारे अस्तित्व का अहसास दिलाती हैं और हमारे जीवन को एक नई दिशा देती हैं। चाहे अभिलाषाएँ पूरी हों या अधूरी, वे हमेशा हमारे दिल में एक खास जगह बनाए रखती हैं। इसलिए, हमें अपनी अभिलाषाओं को कभी मरने नहीं देना चाहिए और हमेशा उनके प्रति ईमानदार रहना चाहिए।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
लेखक SWA MUMBAI