Saturday, May 24, 2025

जीवन एक संघर्ष है इस संघर्ष के दौर में अपने अनुभव को जरूर लिखना चाहिए आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन

                      आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
चिंतन 
जीवन अपने आप में एक निरंतर चलने वाला संघर्ष है, जिसमें हर व्यक्ति को किसी न किसी रूप में परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। यह संघर्ष कभी बाहरी परिस्थितियों से होता है, तो कभी अपने ही अंतरमन से। ऐसे दौर में जब मनुष्य असमंजस, पीड़ा और उतार-चढ़ावों से गुजर रहा होता है, तब सबसे बड़ी आवश्यकता होती है आत्ममंथन की — एक ऐसे चिंतन की जो उसकी चेतना को जागृत करे और उसे अपनी यात्रा का साक्षी बनाए।कलाकार चन्द्रपाल राजभर का यह चिंतन कि "संघर्ष के दौर में अपने अनुभव को जरूर लिखना चाहिए" न केवल व्यक्तिगत आत्माभिव्यक्ति का माध्यम है, बल्कि सामाजिक चेतना का भी संप्रेषण है। जब कोई व्यक्ति अपने संघर्षों को लिपिबद्ध करता है, तो वह केवल एक डायरी नहीं भर रहा होता, बल्कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए जीने की राहें और सोचने की दृष्टि संजो रहा होता है। ये अनुभव न सिर्फ प्रेरणा का स्रोत बनते हैं, बल्कि समाज के अंदर दबी हुई आवाज़ों को उजागर भी करते हैं।चन्द्रपाल राजभर ने अपने चित्रों, कविताओं और लेखों के माध्यम से जिस तरह जीवन के कठोर पक्षों को उकेरा है, वह इस बात का प्रमाण है कि संघर्ष केवल पीड़ा नहीं देता, बल्कि एक नई दृष्टि भी देता है। उनके कला-सृजन में एक विशेष प्रकार की संवेदना दिखाई देती है — वह संवेदना जो मिट्टी से जुड़ी है, समाज से उपजी है और जीवन की ठोस वास्तविकताओं से टकरा कर आकार लेती है।जब कोई व्यक्ति अपने अनुभवों को कलमबद्ध करता है, तो वह अपने अंदर की ऊर्जा को दिशा देता है। वह अपने दर्द, अपनी उम्मीदों और अपनी जिजीविषा को शब्दों में ढाल कर न केवल खुद को हल्का करता है, बल्कि समाज के लिए एक आईना भी तैयार करता है। संघर्षों का लेखन दरअसल वह स्याही है जो भविष्य की किताबों में नायकत्व और प्रेरणा की कहानियाँ रचती है।वर्तमान समय में जब मानसिक अवसाद, सामाजिक विषमता और आंतरिक द्वंद्व बढ़ रहे हैं, ऐसे में लेखन और आत्म-अभिव्यक्ति का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह केवल कला की दृष्टि से नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से भी आवश्यक है। चन्द्रपाल राजभर की यह सोच इस युग की मांग को साकार करती है कि हर व्यक्ति को अपने संघर्षों को शब्दों में पिरोना चाहिए, ताकि वे केवल दुःख की गाथा न रहकर समाज के लिए सीख बन सकें।संघर्ष का अनुभव केवल व्यक्तिगत नहीं होता, उसमें सामूहिक पीड़ा भी गूंजती है। जब एक कलाकार, लेखक या कोई भी संवेदनशील व्यक्ति अपने संघर्षों को साझा करता है, तो वह दरअसल एक पूरी पीढ़ी की आवाज़ बन जाता है। यही कारण है कि चन्द्रपाल राजभर जैसे कलाकार का चिंतन केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव तक सीमित नहीं रहता, बल्कि वह सामाजिक दस्तावेज़ बन जाता है — एक ऐसा दस्तावेज़ जो समय की गति के साथ भी प्रासंगिक बना रहता है इसलिए जीवन में जब भी संघर्ष आएं, हमें उनसे भागने के बजाय उन्हें समझने और उनसे सीखने की जरूरत है। और उस सीख को लेखन या कला के माध्यम से संसार के साथ साझा करना हमारी जिम्मेदारी भी है और साधना भी। चन्द्रपाल राजभर की यह सोच हर उस व्यक्ति को प्रेरित करती है जो जीवन के किसी मोड़ पर ठहर सा गया है — कि उठो, सोचो, लिखो और समाज को वह रास्ता दिखाओ जो तुमने अपने अनुभवों से सीखा है। यही संघर्ष की सार्थक परिणति है।

 आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
लेखक SWA MUMBAI

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