Thursday, May 30, 2024

पेड़ जैसे लोग और संगठन

                   
                         पेड़ जैसे लोग
                   एक सामाजिक चिंतन

पेड़ और पत्थर जैसे लोग जब सामाजिक संगठन के नाम पर  राजनीतिज्ञों के साथ मिलकर अन्दर ही अन्दर सब को गुमराह करके राजनीति करने लगे और नेताओं के लिये बोट बैंक तैयार करनें लगें तो समझ लो वह सामाजिक संगठन नहीं राजनीति संगठन हो गया है,जो बच्चों के नाम पर राजनीति करने का प्रयास करता है छोटे- छोटे बच्चों के परिवारों को लुभा कर अपनी राजनीतिक चमकाने का प्रयास करता है
वहीं कुछ कर्मचारी जो बेचारे किताबें रटकर पास तो हो गये लेकिन दिमागी रूप से पैदल हो गए जो तानाशाही संगठन की दूरदर्शिता नहीं समझ पाते वो कर्मचारी तो हैं लेकिन गुमराह हैं ऐसे लोगों को अपनी चेतना जागृति स्वयं खुद अपने चिंतन के माध्यम से बढ़ानी होगी जो कठिन तो हैं लेकिन असम्भव नहीं खैर जो मानसिक गुलाम या मोटे दिमाग या पेड़,पत्थर जैसे लोग होते हैं उनको कुछ समझ में नहीं आता और जो समझदार लोग हैं जिनके पास आत्मा,मान,सम्मान दूरदर्शिता होती है वै लोग ऐसे तानाशाही संगठनों का बहिष्कार करते हैं जिससे की एक वास्तविक समाज का सृजन हो सके ये पेड़ पत्थर जैसे लोग क्या समाज का सृजन करेगें वहीं किसी ने कहा है कि पेड़ सिर्फ पेड़ ही पैदा कर सकता है, पत्थर सिर्फ पत्थर पैदा कर सकता है अच्छा समाज या इंसान नहीं वैसे ये बातें सबके समझ से बाहर होंगी और जो समझते हैं वो ऐसे सामाजिक संगठनों का बहिष्कार करते हैं ।

                       चन्द्रपाल राजभर  (आर्टिस्ट)
        वैज्ञानिकवादी सामाजिक कला चिंतक इण्डिया
                        लेखक- SWA मुम्बई

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