Sunday, November 10, 2024

गजल एल्बम 40 वो परदेशी हो गये


ग़ज़ल

वो परदेशी हो गए, ये दर्द कह नहीं पाए
दिल से थे जो हमारे, अब वो रह नहीं पाए।

सपनों में हर सुबह थे, शामों में साथ चलते
रातों के उन फसानों से अब बह नहीं पाए।

कभी हमसफ़र थे वो, हर कदम पे साथ थे
अब यादों की राहों में, साये गिन नहीं पाए।

फासले बढ़े कुछ ऐसे, ये दूरी भी चुभने लगी
वो अपनों के होकर भी अपने बन नहीं पाए।

तन्हाई का आलम है, अब लौटेंगे शायद
दिल की ये हसरतें भी, मगर कह नहीं पाए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------**--------
2
ग़ज़ल

वो परदेशी हो गए, ये बात समझ न आए
दिल की हर इक धड़कन, अब उनसे दूर जाए।

थी पास रह के जिनसे, ये जिंदगी संवरी
अब वो जो बिछड़े हमसे, हर साज़ टूट जाए।

आँखों में बस के जो थे, सपनों के शहर जैसे
अब उन फिज़ाओं में भी, वीरानी घिरती जाए।

हँसते थे संग में जिनके, हर दुख भुला दिया था
अब उनके बिन ये दुनिया, बेजान नज़र आए।

दिल चाहता है कह दें, लौट आओ तुम फिर से
पर इस खामोशी को, लफ्ज़ों में ढाल न पाए।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------- ------------
3
ग़ज़ल

वो परदेशी हो गए, हमें छोड़ के चले गए,
अब दिल में हर दिन बस, उनके बिना जी रहे।

राहों में उनके निशान, अब फीके हो चुके हैं,
वो जो थे साथ कभी, अब किसी और राह पे चले गए।

हसरतें थीं जिनसे, वो ख्वाब बन कर रह गए,
जो वादे थे कभी, वो वादे टूट के चले गए।

ख़ामोशी की इस चुप्प में, इक ग़म सा बैठा है,
उनकी यादों में जो थे, वो रंग धुंधले हो गए।

अब भी उनका इंतजार, दिल में हर दिन करता हूॅं
पर वो परदेशी हो गए, और हम भी अकेले हो गए
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------
4
ग़ज़ल

वो परदेशी हुए ऐसे, हमसे जुदा हो गए
यादों के सिलसिले भी, अब बेवफ़ा हो गए।

कभी जो हर बात में, साथ हमारे थे
उनके बिना हर ख़्वाब अब अधूरा हो गए।

दूरियाँ बढ़ीं तो दिल में कुछ टूटने लगा
जो रिश्ते गहरे थे, अब धुआँ हो गए।

हर रोज़ सोचा लौटेंगे, दर पे आ जाएँगे
पर वो हवाओं संग जैसे हवा हो गए।

कहने को ज़िंदा हैं, पर वो बात अब कहाँ
उनकी कमी से हम भी कुछ ख़फ़ा हो गए।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------++------*
5
ग़ज़ल 
उन्होंने दिल तोड़ दिया
वो किसी का दिल तोड़ दें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
हमारे दर्द से जलें, उन्हें कोई दर्द नहीं होता।

वो तो हॅंस के गुजर गए, हमारी ख़ामोशी से
दिल पर जो ज़ख्म लगे, उन्हें कोई एहसास नहीं होता।

हमने दिल की बात कही, वो मुस्कुरा के चले गए,
हम पर जो असर हुआ, उन्हें कुछ खास नहीं होता।

हम उनके ख्यालों में, हर रात जागते रहे
वो चैन से सोते रहे, उन्हें कोई याद नहीं होता।

हम तो अश्क बहा के जीते रहे उनकी चाहत में
वो गैरों में खुश रहें, उन्हें कोई फिक्र नहीं होता।

दिल की दुनिया उजड़ गई, हम तनहा खड़े रहे
वो किसी और के हो लिए, हमें कोई रास नहीं होता।

हर दर्द सहकर भी हम, उन्हें चाहत में याद करें
वो भूल कर हंस दें, उन्हें कोई गम नहीं होता।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
6
ग़ज़ल 
उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
वो किसी का दिल तोड़ दें, उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
हमारी सांसें रुक जाएं, उन्हें कोई दर्द नहीं होता।

हमने उनकी राहों में बिछा दीं हज़ारों ख्वाहिशें
वो रौंद कर चले गए, उन्हें कोई अफ़सोस नहीं होता।

हम हर बात पर झुकते रहे उनकी खुशी के लिए
वो बेवफाई कर गए, उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं होता।

हमने अपनी ज़िंदगी सौंपी उनके हाथों में
वो खेल कर छोड़ दें, उन्हें कोई ख्वाब नहीं होता।

हम टूट कर भी उनसे जुड़ने की उम्मीद रखें
वो दूरी बना लें, उन्हें कोई कसम नहीं होता।

हमारी आहें सुनने की फ़ुर्सत उन्हें कब थी
वो हंस कर गुजर गए, उन्हें कोई शिकस्त नहीं होता।

जिनके लिए हम हर दर्द को सहते रहे
वो किसी और के हो गए, उन्हें कोई कसूर नहीं होता।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
7
ग़ज़ल 
बेवफा बेअसर
तू किसी का दिल तोड़ कर भी खुश है, ये तेरा हुनर है
हमारी आँखों में आँसू, तुझे उससे क्या डर है।

हमने तेरी राहों में फूलों का बिस्तर सजाया
तू काँटे छोड़ गया, तेरा दिल कितना पत्थर है।

तेरे बिना हर ख़ुशी बेमानी-सी लगती है
तू मुस्कुरा कर गया, ये कैसा ज़हर है।

हमने दिल की किताब में तेरा नाम लिखा था
तूने पन्ने फाड़ दिए, ये कैसा कहर है।

तेरी चाहत में हमने खुद को भुला दिया
तू फिर भी बेखबर, ये कैसी कसर है।

हमारा हर लम्हा तुझ पर कुर्बान होता रहा
तू गैरों के साथ, तुझे कोई क्यों फिकर है?

वो शख्स जो दिल का हर जज़्बा जानता था
अब कहता है, “हममें कोई रिश्ता नहीं, बेअसर है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------
8
गज़ल 
बेरुखी सिला
तेरी बेरुखी ने हमें ये सिला दिया है
हमने दिल लगाया था, दर्द मिला दिया है।

हम खामोश थे फिर भी गूँजती रही सदा
तेरी यादों ने हमें फिर से रुला दिया है।

तू था राहों का चिराग, बुझकर दूर हो गया
अंधेरों ने हमें हर ओर घेरा बना दिया है।

हमने हर सांस तुझे सौंप दी थी खुशी से
तूने हर ख्वाब मेरा बिखरा सा कर दिया है।

अब ये हाल है कि तेरा नाम भी न लूँ
दिल को खामोश रहने का सबक सिखा दिया है।

कभी हमारी जाॅं था तू, हँसी थी ज़िंदगी
तेरी जुदाई ने हमें तन्हा बना दिया है।

यूं तो चलते हैं लोग, मगर फर्क पड़ता है
तूने दर्द में हर रिश्ता अपना भुला दिया है।


No comments:

Post a Comment