मिले न राह तो साये से रौशनी कर ली
ग़मों की ओट में जाकर खुशी कर ली।
हर एक ठोकर को समझा हमने कोई इनाम
जमीं को चूम के हमने भी उड़ान भर ली।
जो खो गया उसे हमनें दुआओं में रखा है
जो पास था उसी से बंदगी कर ली।
न कोई वादा, न शिकवा, न कोई सवाल रहा
तेरी खामोशी से ही जिंदगी बसर कर ली।
नज़रों से बात की, लबों से कुछ नहीं कहा
चुप रह के भी हमने बहुत सी बात कर ली।
जिसे जहां ने ठुकरा दिया हर मोड़ पर
उसी को अपना कहके हमदर्दी कर ली।
जिन्हें था इश्क़ सिर्फ धन और दौलत से,
उन्हें देखकर हमनें ख़ुद्दारी कर ली।
न भीड़ में थे, न तन्हा किसी को लगे हम
कुछ इस अदा से हमनें बंदगी कर ली।
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2
गीत
राख में भी एक जुगनू जला लिया हमने,
राख में भी एक जुगनू जला लिया हमनें
अंधेरों को पकड़ के उजाला किया हमनें।
हर एक टूटे ख़्वाब को माथे लगाया हमनें
खुद अपनी ही साँसों से सौदा किया हमनें।
जो थमा नहीं उन्हें भी थामना सीखा
हर मोड़ पर ख़ुद को ही रास्ता किया हमनें।
न शिकवा किया, न कोई आरज़ू बची
जो मिला जहां, उसी में खुदा किया हमनें।
नज़रों से बात की, लबों से कुछ नहीं
चुप रह के भी बहुत कुछ कहा लिया हमने।
जिन्हें थी आदत सोने की चकाचौंध से
उन्हें देखकर दिल को साफ़ किया हमने।
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