Sunday, November 10, 2024

ग़ज़ल पर्यावरण संरक्षण आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

1
ग़ज़ल 
धरती की सुन्दरता इन पेड़ों से है
हमारी हर साॅंस इन घनेड़ों से है।

ये ठंडी छांव, ये ताजगी की बहार
दिल की हर उमंग इन हरी बेलों से है।

सूरज की तपिश को ये रोकते सदा
हमारी हर राहत इन छायों से है।

ये फल और फूल से हमें भरते हैं
जीवन की हर मिठास इन रूहों से है।

चलो इन्हें सहेजें, इन्हें बचा लें हम
क्योंकि ज़िंदगी की प्यास इन पेड़ों से है।

इनसे ही महकती है ये प्यारी ज़मीं
हमारी हर सुबह इन फिजाओं से है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल 
धरती की सुन्दरता

धरती की सुन्दरता इन पेड़ों से है
जीवन की हर ऋतु इन छायाओं से है।

इनकी हर शाख से है उम्मीदें जुड़ी
सांसों की हर डोर इन फिज़ाओं से है।

फल-फूल जो देते हैं ये हर बार हमें
जीवन का हर रंग इन अदाओं से है।

धरती की खुशबू ये हवाओं में भरते
जीवन की हर लौ इन बलाओं से है।

आओ मिलकर इन्हें संभालें सदा
क्योंकि जीवन की बुनियाद इन जड़ों से है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
ग़ज़ल 

धरती की सुन्दरता इन पेड़ों से है
हर एक सांस हमारी इन पेड़ों से है।

ये छाॅंव देते हैं तपती धूप में सदा
हमारी हर राहत इन सायों से है।

जो हरियाली हमें सुकून देती है
वो सजी हुई इन ही अदाओं से है।

हर शाख में छिपा है आशीर्वाद इनका
हमारी हर खुशी इन छांवों से है।

आओ इन्हें बचा लें, इन्हें थाम लें
क्योंकि जीवन की आस इन पथों से है।

ये पेड़ हमारे सच्चे साथी हैं
हमारी जिंदगी की मिठास इनसे है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल 
ये पेड़ जो धरती का श्रृंगार करते हैं
हमारी हर साॅंस इन पर निर्भर करते हैं।

इनकी शाखों में बसी हैं अनगिनत कहानियाॅं
हर हरी पत्ती में ये जीवन बिखरते हैं।

जब थकान से टूटे, ये हमें थाम लेते हैं
हमारी हर मुश्किल में ये साथ चलते हैं।

ये फल-फूल, ये खुशबू का सुंदर संसार
हर दिल को सुकून ये यूँ ही बख्शते हैं।

आओ इन्हें सहेज लें, इन्हें संभाल लें
क्योंकि धरती का हर रंग इनसे सजते हैं।

इनकी छाॅंव में बसता है सुख का एहसास
हर धड़कन का गीत इन्हीं पर खिलते हैं।
गज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल 

ये पेड़ हमारी ज़िंदगी का हिस्सा हैं
धरती की हर खूबसूरती इनसे है।

इनकी जड़ों में छुपा है जीवन का राज
हर दिन की उम्मीद इनकी शाखों से है।

जब भी दिल थक जाए, इनकी छाॅंव में बैठ लेता हूॅं 
मेरी हर साॅंसे शुकूॅं, सिर्फ इनसे है 

ये हवा, ये मिट्टी, इनसे जुड़े हैं हम
धरती की आत्मा इन हरियाली से है।

आओ, इन्हें बचा लें, इसे संजो लें हम
क्योंकि हमारी खुशी इन पेड़ों से है।

इनकी हर पत्तियों में दुआ है बसी
इनसे ही तो धरती की रंगत है सजी।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल 
आओ पेड़ लगाएं, धरती को स्वच्छ बनाएं

हर एक पत्ते से नई ताजगी को लाएं।

इनकी छांव में हर दिल को सुकून मिले
इनकी जड़ों में जीवन के राज समाएं।

पानी और हवा, ये सब इन्हीं से हैं,
हमारी ज़िन्दगी इनसे जुड़ी राहों से है।

आओ पेड़ लगाएं, हर जगह हर दिशा,
धरती को सजाएं, बचाएं हम मिलकर यह।

इनसे ही तो जीवन की रौनक है,
धरती का हर रंग इनकी हरी छांव में महकता है।


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