जो रुक गया है, वो ज़रूर चलेगा।
जो दर्द आज है दिल में छुपा
वो एक दिन हँसते हुए निकलेगा।
ग़म की रातें हमेशा नहीं रहतीं
सुबह का सूरज फिर निकलेगा।
जो टूटा है कभी हमारे हाथों से
वो एक दिन फिर से संजोएगा।
वक्त के फेरे में कभी ना उलझो,
एक दिन सब कुछ बदल जायेगा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गजल
पास आयेगा
एक दिन वक्त ज़रूर बदलेगा
हर दर्द भी अपना रूप लेगा।
जो कल था खोया, आज ग़म में था
वो कल नए रूप में खिलके रहेगा।
हर रात के बाद सुबह ज़रूर आएगी
ॲंधेरा कहीं न दूर चलेगा।
जो टूट चुका है दिल में कभी
वो एक दिन फिर से जुड़के रहेगा।
वो जो कभी दूर थे हमारी ज़िंदगी से
एक दिन वो हमारे पास ज़रूर आएंगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
उनका नाम
चर्चा उनकी हो रही थी, और हम ख़ामोश थे
ग़म में डूबे हुए थे, दिल में कुछ रोश थे।
उनकी यादों का दरिया हर रोज़ उमड़ता था
हम चुपके से उसे आँखों में रोका करते थे।
दूसरे ज़ुबाॅं से उनका नाम आता था
हम अपने ख्वाबों में उस नाम को बोला करते थे।
दूसरे कहते थे, वो तो बदल गए हैं
हम अपनी आँखों में उनका चेहरा पाया करते थे।
चर्चा करते रहे लोग, हम सुनते रहे
दिल में क्या था, बस उसी पर जीते रहे।
उनकी हॅंसी की ध्वनि अब भी कानों में गूॅंजती है
हर ख़ामोशी में हमसे उनका राज़ खोला करती है।
दूसरे कहते थे अब वो किसी और के हैं
हम उसी उम्मीद में अपनी राहें मोड़ा करते हैं।
वो नहीं थे, फिर भी उनकी चर्चा से जुड़े थे
हम हर शब्द में उन्हीं का नाम बोला करते थे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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गजल
4
हम पराये हुए
चर्चा उनकी थी, और हम सुनते रहे
दिल की बातें चुपके से हम कहते रहे।
वो जो कभी हमारे थे, अब खो गए हैं
हम उनकी यादों में दिन बिताते रहे।
दूसरे कहते थे वो अब भी हमारे हैं
वो हमारी खामोशियों में रहते रहे।
वो कहते थे हमें छोड़ दो, आगे बढ़ो
हम उन्हीं के पीछे हमेशा चलते रहे।
कभी ख़्वाबों में दिखती थी उनकी हॅंसी
हम उन्हें रोज़ अपने ख़यालों में पाते रहे।
चर्चा होती थी उनके बारे में हर जगह
हम ख़ुद को उनकी धड़कन में पाते रहे।
वो नहीं थे पास, फिर भी उनकी यादें थी
हम उनके बिना, फिर भी जीते रहे।
आख़िरकार उनकी चर्चा अब ख़त्म हुई
वो किसी और के हो गए हम पराये रहे
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
महफ़िले चर्चा
चर्चा उनकी महफ़िल में हर रोज़ होती रही
हम चुप थे मग़र दिल में आग जलती रही।
उनके किस्से हर ज़ुबाॅं पर सजते रहे
हमारी ख़ामोशी चुपके से सब कहती रही।
वो कभी हमारे थे, ये बात सबको थी ख़बर
पर ये दास्तां अब कहानी बनती रही।
रास्तों पर चलते हुए वो याद आए
हर क़दम पर बस उनकी झलक मिलती रही।
लोगों ने कहा वो बदल गए हैं बहुत
हम उनकी पुरानी तस्वीर से बॅंधे रहे।
हर इक बात में था उनका ज़िक्र कहीं
हम सुनते रहे और साॅंसें थमती रही।
जो रिश्ते कभी दिल के करीब थे हमारे
अब बस ख़यालों की एक लकीर बनती रही।
वो नहीं पास, पर चर्चा हर ओर है उनकी
हम फिर भी अपने दर्द में मुस्कुराते रहे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
चर्चा उनकी
चर्चा उनकी थी हर किसी की जुबाॅं पर
हम दिल में राज़ उनका छुपाते रहे हर पल।
लोग कहते रहे वो अब हमारे नहीं
हम फिर भी अपनी वफ़ा निभाते रहे हर पल।
उनकी बातों में था एक जादू सा कभी
हम उसी जादू में ख़ुद को पाते रहे हर पल।
वो दूर हो गए मग़र उनकी यादें रह गईं
हम उन यादों से दिल लगाते रहे हर पल।
लोग पूछते हैं क्यों अभी तक तन्हा हैं
हम ख़ामोश रहकर मुस्कुराते रहे हर पल।
ज़िक्र उनका हो तो दिल काँप जाता है
हम उनकी यादों को दुलारते रहे हर पल।
वो चले गए पर निशानियाॅं छोड़ गए
हम उन निशानियों से दिल लगाते रहे हर पल।
अब बस उनकी बातें बाकी रह गईं हैं
हम उनकी बातों में ख़ुद को पाते रहे हर पल।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
ढूॅंढती रही
चर्चा उनकी हर दिन यूँ होती रही
जैसे दिल की धड़कन खोती रही।
वो कहीं और अब बस चुके हैं
पर उनकी याद हमें संजोती रही।
हर महफ़िल में नाम उनका ही था
हमारी तन्हाई बस ये कहती रही।
लोगों की बातों में वो रहते हैं
हमारी ख़ामोशी उनकी ही होती रही।
वो जो बदल गए वक्त के साथ
हमारी चाहत फिर भी रोती रही।
जुबाॅं से कुछ कहा नहीं हमने कभी
पर निगाहें वही बात कहती रही।
अब भी है ख़ामोशियों में उनकी आवाज़
हर रात वो हमें जगाती रही।
चर्चा उनकी हर ओर रहती है
हमारी ख़ामोशी उन्हें ढूॅंढ़ती रही।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
उनकी याद
उनकी याद हमें सताती रही
रात भर ख़ामोशी हमें जगाती रही।
दिल में था बस उन्हीं का ख़्याल
हर साॅंस उनकी तरफ जाती रही।
वो जो दूर हो गए हैं हमसे
फिर भी नज़दीकियाॅं बढ़ाती रहीं।
हमनें चाहा उन्हें भूल जाएं
पर चाहत हमें समझाती रही।
जिन राहों पर साथ चले थे कभी
उन राहों की धूल हमें बुलाती रही।
ख़्वाबों में आते रहे हर रोज़ वो
नींद हमारी यूँ ही लुटती रही।
वो गए तो ज़िंदगी वीरान हो गई
उनकी याद हमें बहुत रुलाती रही।
छुपा लिया हमने दर्द की दास्ताॅं को
पर उनकी ख़ामोशी बहुत चुभती रही।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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