कल्पना कीजिए, यदि समाज से अच्छे लोग पूरी तरह हट जाएं, तो शेष समाज का स्वरूप कैसा होगा? आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन
समाज का स्वरूप किसी भी व्यक्ति, परिवार, या समूह के सामूहिक प्रयासों और मूल्यों का प्रतिबिंब होता है। जब एक समाज में सकारात्मकता, सहयोग, और प्रोत्साहन का माहौल होता है, तब वह समाज विकास और सामूहिक उत्थान की ओर अग्रसर होता है। लेकिन यदि अच्छे लोगों को नीचा दिखाने, बदनाम करने या उनके प्रयासों को हतोत्साहित करने का चलन बढ़ने लगे, तो वह समाज न केवल अपने नैतिक और सांस्कृतिक स्तर को खो देता है, बल्कि दीर्घकालिक रूप से आत्म-विनाश की ओर अग्रसर हो जाता है।
ऐसी परिस्थितियों में, जहां अच्छाई को तिरस्कार और बुराई को महत्व दिया जाए, वहां समाज का संतुलन बिगड़ने लगता है। अच्छे लोग, जिनके प्रयासों से समाज को दिशा मिलती है, यदि निरंतर आलोचना और हतोत्साहन का शिकार हों, तो उनकी ऊर्जा, रचनात्मकता, और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कमजोर पड़ने लगती है। परिणामस्वरूप, समाज में नकारात्मकता का प्रसार तेज हो जाता है, और एक ऐसा वातावरण तैयार होता है जहां स्वार्थ, प्रतिस्पर्धा, और असंतोष मुख्य धारा बन जाते हैं।
मनोविज्ञान की दृष्टि से देखें, तो प्रोत्साहन और सराहना किसी भी व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह एक प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा है, जो व्यक्ति को न केवल अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने में मदद करती है, बल्कि उसे अपने कार्य को और अधिक प्रभावी ढंग से करने की प्रेरणा भी देती है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों पर एक साधारण लाइक, कमेंट, या प्रशंसा भले ही छोटी प्रतीत हो, लेकिन इसका प्रभाव गहरा होता है। यह संदेश देता है कि किसी का प्रयास न केवल देखा जा रहा है, बल्कि उसकी कद्र भी की जा रही है।
अच्छे लोगों को नीचा दिखाने का प्रयास करने वाले लोग अक्सर अपनी असुरक्षा, ईर्ष्या, और स्वार्थ से प्रेरित होते हैं। वे यह नहीं समझते कि अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे समाज की जड़ों को कमजोर कर रहे हैं। ऐसे लोगों का उद्देश्य केवल अपने लाभ के लिए दूसरों को हानि पहुंचाना होता है, और इसके परिणामस्वरूप समाज में विघटन और असंतुलन बढ़ता है।
समाज को इस गिरावट से बचाने के लिए आवश्यक है कि हम अच्छे लोगों की पहचान करें और उनके प्रयासों को खुले दिल से प्रोत्साहित करें। चाहे वह कलाकार हो, शिक्षक हो, लेखक हो, या समाजसेवी—उनके प्रयासों की सराहना करना हमारी जिम्मेदारी है। यह सराहना केवल उनके काम को मान्यता देने का माध्यम नहीं है, बल्कि एक ऐसा तंत्र है जो समाज में सकारात्मकता और रचनात्मकता का प्रसार करता है।
कल्पना कीजिए, यदि समाज से अच्छे लोग पूरी तरह हट जाएं, तो शेष समाज का स्वरूप कैसा होगा? यह एक ऐसा भयावह चित्र होगा जहां कोई मूल्य, कोई दिशा, और कोई प्रेरणा शेष नहीं रहेगी। यह वह स्थिति होगी जहां स्वार्थ, नैतिक पतन, और अराजकता का बोलबाला होगा। इसलिए यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि हम अच्छाई को संरक्षित करें, उसका पोषण करें, और उसे बढ़ावा दें।
प्रोत्साहन न केवल व्यक्तियों को उनकी सीमाओं से परे जाने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि समाज को एकजुट और प्रगतिशील बनाता है। इसलिए, हर व्यक्ति का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने शब्दों, कार्यों, और समर्थन के माध्यम से अच्छाई का साथ दे। केवल तभी हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं जो न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणा बन सके।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक-SWA MUMBAI
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