वीणा वादिनी वर दे, माँ बुद्धि का वर दे।।2।।
अंधकार मिटा दे माॅं।।2।।
ज्ञान दीप जला दे॥
वीणा...
वाणी में मधुरता, शुभ मन में विचार हो।
हर शब्दों में शक्ति, निर्मल आधार हो॥
तू ही ज्ञान की गंगा ।।2।।
निर्मल आधार हो
अंधकार मिटा दे माॅं, ज्ञान दीप जला दे॥
वीणा...
तेरी कृपा से माँ, जीवन संवर जाए।
जो कुछ बोलूं मैं माॅं, सत्य ही स्वर आए॥
संस्कारों की माटी में।।2।।
आशीष माॅं भर दे।
अंधकार मिटा दे माॅं, ज्ञान दीप जला दे॥
वीणा...
विद्या की जोत जलाए, उजियारा कर दे।
मेरा हृदय मन मंदिर माँ, तेरा घर कर दे॥
सद्ज्ञान का अमृत माॅं।।2।।
जन-जन को दे दे।
अंधकार मिटा दे माॅं, ज्ञान दीप जल दे॥
वीणा...
रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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