Tuesday, May 6, 2025

स्वादेश

कुम्भ है ये कुम्भ है, अयोध्या कला महाकुम्भ है, सरयू जल के आचमन से भागता निशुम्भ है, कुम्भ है ये कुम्भ है

गीत है ये रीत है, ये प्रेम भरी प्रीत है, जिसमें भक्ति भावना है, उसकी जग में जीत है, लोकगीत भक्तिगीत, गीतों का ये कुम्भ है। 
कुम्भ है ये कुम्भ है..

चित्रकला, शिल्पकला, हस्तकला की आकृति, सागर "कला-भवन" में यहाँ दूर होती विकृति, हर कला का सागर है, ये कला का महाकुम्भ है।
कुम्भ है ये कुम्भ........

साहित्य और संस्कृति विखेरती विद्या, कवि और कवियित्री आस्था की सुसंस्कृति, कृति से जग चले वही ये काव्यकुंभ है।
कुम्भ है ये कुम्भ है........

पर्यटन वा दूरदुरिया आस्था का कुम्भ है, ज्ञान वा सम्मान वाला स्वाभिमान कुम्भ है, राजा राम वाला जय जय महाकुम्भ है।
कुम्भ है ये कुम्भ है.....

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