कुछ लोगों के बेवफा हो जाने से पूरा समाज बेवफा नहीं हो जाता आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन
कुछ लोगों की बेवफाई इंसान के मन को इतना तोड़ देती है कि उसे पूरी दुनिया ही बेवफा नजर आने लगती है। जब अपनों के धोखे का दर्द दिल में घर कर जाता है, तो विश्वास की दीवारें धीरे-धीरे गिरने लगती हैं। जिस इंसान ने सच्चाई और मोहब्बत के बीज बोए होते हैं, वही खुद को अकेला और ठगा हुआ महसूस करता है। लेकिन यह दुनिया उतनी भी बुरी नहीं है जितनी हमें कुछ लोगों की बेवफाई के बाद नजर आने लगती है।
जीवन का यह कठोर सत्य है कि हर इंसान एक जैसा नहीं होता। कुछ लोग अपनी स्वार्थ की दुनिया में इतने डूबे होते हैं कि वे रिश्तों की गहराइयों को समझ ही नहीं पाते। वे जब तक साथ होते हैं, तब तक वफादारी का दिखावा करते हैं और मौका मिलते ही बेवफाई की राह पकड़ लेते हैं। ऐसे लोग किसी के समर्पण और भावनाओं को एक खिलौने की तरह इस्तेमाल कर छोड़ जाते हैं।
लेकिन क्या कुछ लोगों की बेवफाई के कारण पूरी दुनिया से उम्मीद छोड़ देना सही है? नहीं। क्योंकि इंसानियत की बुनियाद ही अच्छाई और विश्वास पर टिकी होती है। इस दुनिया में ऐसे लोग भी हैं जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के दुख में साथ खड़े होते हैं। वे न तो दिखावा करते हैं और न ही अपनी वफादारी का ढिंढोरा पीटते हैं।
बेवफाई से टूटने वाले इंसान को यह समझना जरूरी है कि कुछ लोगों की फितरत पूरी दुनिया की पहचान नहीं होती। विश्वासघात से सबक लेना चाहिए, लेकिन हर किसी पर शक करना इंसान की अपनी अच्छाई को कमजोर करने जैसा है। दर्द को हथियार बनाकर जिंदगी को और मजबूत बनाना ही असली जीत होती है।
हर अंधेरी रात के बाद सुबह जरूर आती है। अगर दुनिया में बेवफा लोग हैं तो वफादार लोग भी हैं। हमें उन पर ध्यान देना चाहिए जो बिना किसी शर्त के हमारे साथ खड़े होते हैं। जिनके दिलों में इंसानियत की रोशनी जलती है, वे समाज की असली पहचान होते हैं।
बेवफाई के जख्म गहरे जरूर होते हैं, लेकिन इन जख्मों को अपनी ताकत बनाकर आगे बढ़ना ही जिंदगी का असली मकसद है। विश्वास टूटने से इंसान कमजोर नहीं होता, बल्कि उसे यह समझने का मौका मिलता है कि कौन अपना था और कौन सिर्फ वक्त का मुसाफिर। जो दिल दुखाने वाले थे, वे चले गए, लेकिन जो दिल जीतने वाले हैं, वे हमेशा साथ रहेंगे।
इसलिए कुछ लोगों के बेवफा हो जाने से पूरी दुनिया पर सवाल उठाना खुद के अस्तित्व को नकारने जैसा है। इंसानियत आज भी जिंदा है, बस उसे परखने के लिए धैर्य और हौसले की जरूरत होती है।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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