Tuesday, June 10, 2025

महाराजा सुहेलदेव के भर(राजभर) होने का प्रमाण

महाराजा सुहेलदेव को "राजभर" या "भर" समुदाय थे ।—इस संबंध में कुछ ऐतिहासिक, प्राचीन और औपनिवेशिक काल के ग्रंथ, रिपोर्ट्स और ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में प्रमाण मिलते हैं। नीचे प्रमाण सहित उन प्रमुख ग्रंथों और स्रोतों की सूची दी जा रही है, जो इस दावे को आधार देते हैं:

✅ 1. मिरात-ए-मसूदी (Mirat-i-Masudi)

लेखक: अब्द-उर-रहमान चिश्ती (मुगल काल)

वर्णन:
यह किताब ग़ाज़ी सैयद सालार मसूद की जीवनी है। इसमें लिखा है कि "सुहेलदेव एक स्थानीय राजा थे जो भर जाति से थे।"

महत्त्व:
यह सुहेलदेव का सबसे प्राचीन उल्लेख करने वाली फारसी रचना है और सीधे "भर राजा" कहा गया है।

✅ 2. गज़ेटियर ऑफ़ यूनाइटेड प्रोविंस (Bahraich District Gazetteer)

प्रकाशन वर्ष: ब्रिटिश काल में 1904, 1928 संस्करण

विवरण:
इसमें चित्तौरा झील और सुहेलदेव का उल्लेख करते हुए उन्हें "a powerful Bhar king" कहा गया है।

पेज:
Bahraich Gazetteer, 1928, Page 174-175 पर स्पष्ट वर्णन है कि राजा सुहेलदेव भर जाति के थे जिन्होंने मुस्लिम आक्रांताओं को पराजित किया।

✅ 3. बहराइच का स्थानीय इतिहास (Local Records & Oral Traditions)

स्रोत:
बहराइच और श्रावस्ती क्षेत्र की लोककथाएं और स्थानीय दस्तावेजों में भर जाति और राजभरों की वंशावली से सुहेलदेव का संबंध बताया गया है।

✅ 4. बाबू शोभाराम द्वारा रचित “राजभार इतिहास” (19वीं सदी)

विवरण:
शोभाराम ने अपने इतिहास में महाराजा सुहेलदेव को भरवंशी या राजभर वंश का बताया है।

महत्त्व:
बहुजन नायकों को खोजने वाले समाज सुधारकों के लिए यह प्रमाणिक स्रोत रहा है।

✅ 5. “राजभार समाज और इतिहास” – लेखक: रामनिवास रामभर

सामग्री:
यह पुस्तक सामाजिक इतिहास की दृष्टि से लिखी गई है जिसमें गज़ेटियर व मिरात-ए-मसूदी के आधार पर महाराजा सुहेलदेव को राजभर बताया गया है।

✅ 6. “पिछड़ा समाज और इतिहास” – डॉ. रामशरण लाल

मुख्य विचार:
लेखक ने भर समाज को प्राचीन नागवंशीय क्षत्रिय मानते हुए सुहेलदेव को राजभर समाज का वीर बताया है।


✅ 7. “बहुजन नायक सुहेलदेव” – प्रो. बद्रीनारायण (GSU, प्रयागराज)

विवरण:
प्रो. बद्रीनारायण ने अपने शोध में सुहेलदेव को बहुजन समाज का नायक बताते हुए भर जाति से संबंधित बताया है।

✅ 8. “भारतीय इतिहास कोश” – लेखक: डॉ. रामशरण शर्मा

संकेत:
यह स्पष्ट रूप से भरों के बारे में चर्चा करता है और उन्हें प्राचीन भारत का क्षत्रिय समाज बताता है, जो मध्यकाल तक राजाओं की भूमिका में रहा, जिससे सुहेलदेव की जातीयता को जोड़ा जाता है।

✅ 9. पुरातात्विक स्रोत (Archaeological Sources)

स्थान:
चित्तौरा झील, बहराइच

विवरण:
वहां खुदाई में मिले अवशेषों और लेखों से संकेत मिलता है कि यह क्षेत्र भर शासकों के अधीन था।


✅ 10. लोक साहित्य और जनश्रुतियां

गाथाएं:
अवध क्षेत्र के लोकगीतों और वाचिक परंपरा में सुहेलदेव को भर राजा कहा गया है, जो साम्राज्यवादी आक्रमणकारियों से लड़े थे।

निष्कर्ष 
इससे पूर्णता स्पष्ट हो जाता है कि महाराजा सुहेलदेव भर जिसे वर्तमान में राजभर कहा जाता है राजभर समाज से थे अब इसमें कोई मतभेद नहीं होना चाहिए 

आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
लेखक SWA MUMBAI

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