🎤 तपती धरती पर संवेदना की हरियाली: डाॅ.चन्द्रपाल राजभर का पर्यावरणीय योगदान
नाम - डॉ.चन्द्रपाल राजभर
पिता/पति का नाम-: राम अनुज राजभर
जन्म स्थल-: ग्राम सजमपुर जनपद सुल्तानपुर
जन्मतिथि -:06/07/1990
राष्ट्रीयता-:भारतीय
पता
स्थाई पता -:ग्राम सजमपुर पोस्ट हरपुर थाना अखण्डनगर तहसील कादीपुर जनपद सुलतानपुर उत्तर प्रदेश पिन कोड 22 8172
वर्तमान पता-: प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ कादीपुर जनपद सुलतानपुर उत्तर प्रदेश पिन कोड 228145
ई-मेल-:chandrapal6790@gmail.com
मोबाइल नम्बर-:9721764379,7984612205
शिक्षा-: बीटीसी,एम.ए.(चित्रकला)मास्टर आॅफ योगा,मास्टर आॅफ जर्नलिज्म(MJ) डॉक्ट्रेट उपाधि (ड्राइंग पेंटिंग)
पद-
चित्रकारिता /बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ ब्लॉक-कादीपुर में सहायक अध्यापक
कार्यक्षेत्र /विधा-: कला एवं शिक्षा
वर्तमान पद पर सेवा -
राष्ट्रीय अध्यक्ष (कला एंव शिक्षक विंग) क्राइम इन्फार्मेशन ब्यूरो इण्डिया,
जिला आईटी सेल प्रभारी आॅल टीचर/इम्पलाईज बेलफेयर ऐसोशिऐशन उत्तर प्रदेश
जिलाध्यक्ष क्राइम इन्फार्मेशन ब्यूरो इण्डिया
जिला मीडिया प्रभारी उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ सुल्तानपुर
लेखक गीतकार- (SWA) स्क्रीन राइटर एसोसिएशन अंधेरी मुंबई
संपादक(पूर्व)नयी दिशा पत्रिका
लेखक- प्रकृति चित्रण पुस्तक आईजी/इण्टरमीडिएट), ग़ज़ल अभिलाषा दर्द-ए-बेवफाई खण्ड-१, ग़ज़ल अभिलाषा दर्द-ए-तन्हाई खण्ड-2, अभिलाषा मोटिवेशनल ग़ज़ल खण्ड-3
सहायक अध्यापक वेसिक शिक्षा विभाग सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश
कवि,लेखक,चित्रकार,पत्रकार, मूर्तिकार ,संगीतकार, सिंगर,शिक्षक,सोसल ऐक्टविष्ट,
वैज्ञानिकवादी सामाजिक कला चिन्तक
1. परिचय: जब तपिश ने चेतना जगाई
बढ़ती गर्मी, तेज़ धूप और पर्यावरणीय असंतुलन ने जब मन को विचलित किया, तब मेरे भीतर एक भाव जगा कि अगर आज भी प्रकृति के लिए कुछ नहीं किया गया, तो आने वाली पीढ़ियाँ केवल ताप, प्रदूषण और सूखे भविष्य की विरासत पाएंगी। मैं डाॅ.चन्द्रपाल राजभर, एक चित्रकार, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता, वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहा हूं। मेरा मानना है कि प्रकृति केवल चित्रों में रंगों का विषय नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। प्रकृति के प्रति मेरा प्रेम केवल कैनवास तक सीमित नहीं रहा, वह पौधों, वृक्षों और हरियाली में भी प्रकट होता है।
2. वृक्षारोपण की प्रेरणा: तपती धूप से उपजा संकल्प
वृक्षारोपण की प्रेरणा मुझे मार्च की उस दोपहर से मिली जब विद्यालय परिसर में खड़ा होकर मैंने सूरज की तीखी किरणों को सीधे महसूस किया। उस समय मन में एक विचार कौंधा—"अगर आज छांव नहीं बनाई गई, तो कल कोई छांव मिलेगी ही नहीं।" उसी क्षण मैंने ठान लिया कि पर्यावरण को बचाने का सबसे सरल, सस्ता और प्रभावी तरीका यही है कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं। मैंने ढिटर का एक पौधा लगाया, जो आज एक सुंदर, घना वृक्ष बन चुका है और विद्यालय में आने वाले बच्चों को छांव देता है।
3. अब तक कुल लगाए गए पौधों की संख्या
वर्ष 2007 से लेकर अब तक, मैंने अपने विद्यालय, घर, गाँव और विभिन्न सार्वजनिक स्थलों पर लगभग 1200 से अधिक पौधे लगाए हैं। यह कार्य मेरे लिए कोई कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन का एक जरूरी हिस्सा बन गया है। इन पौधों को लगाना मेरे लिए किसी सामाजिक सेवा से कम नहीं। हर पौधा मेरे लिए एक जीवन के अंकुर के समान है, जो भविष्य को सांसें देगा।
4. वृक्ष बन चुके पौधों की संख्या
इन लगाए गए पौधों में से अब तक लगभग 402 पौधे पूर्ण रूप से वृक्ष बन चुके हैं। कुछ विद्यालय के बच्चों की देखरेख में, कुछ ग्रामीणों द्वारा संरक्षित किए गए, और कुछ स्वयं मेरी देखरेख में बड़े हुए हैं। ढिटर, नीम, पीपल, आम,अमरूद, सहजन, अर्जुन और आम जैसे पेड़ आज अपनी शाखाओं में न केवल छांव देते हैं, बल्कि पर्यावरण को शुद्ध भी करते हैं। इन वृक्षों ने यह प्रमाणित किया है कि एक व्यक्ति की पहल समाज को बदल सकती है।
5. पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता का कार्य
सिर्फ पेड़ लगाना काफी नहीं होता, लोगों को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार करना ज़रूरी होता है। मैंने बच्चों को प्रकृति की महत्ता समझाने के लिए विशेष कक्षाएं चलाईं। दीवारों पर प्रेरक पर्यावरणीय चित्र बनवाए, स्कूल के हर कार्यक्रम में एक पौधा लगाने की परंपरा शुरू की। साथ ही सामाजिक मंचों, कार्यशालाओं और लेखों के माध्यम से आम जनता को जागरूक करता रहा हूं कि "विकास केवल इमारतें नहीं, हरियाली भी है।" मेरे गीतों, कविताओं और चित्रों में भी पर्यावरणीय संदेश समाहित रहता है।
6. पर्यावरण संरक्षण हेतु सम्मान एवं पहचान
मेरे द्वारा किए गए कार्यों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी मिली है। मुझे पर्यावरण प्रहरी सम्मान 2020,पर्यावरण प्रहरी सम्मान-2021,अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण योद्धा सम्मान 2022,अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण योद्धा सम्मान- 2023,अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण वॉरियर सम्मान 2024,राष्ट्रीय पर्यावरण एवं बालिका शिक्षा पुरस्कार-2025,इंटरनेशनल एनवायरनमेंट वॉरियर अवार्ड 2025 आदि लगभग 30 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं, जो इस बात के प्रमाण हैं कि अगर कार्य सच्चे मन से किया जाए, तो समाज उसे सराहता भी है।
इन सम्मानों से मुझे व्यक्तिगत संतोष तो मिलता ही है, साथ ही यह जिम्मेदारी भी महसूस होती है कि मैं और अधिक लोगों को इस अभियान से जोड़ूं, ताकि हर गली, हर आंगन, हर विद्यालय एक हरित दिशा में कदम बढ़ा सके।
"पेड़ लगाइए, पीढ़ियाँ बचाइए"—यही मेरा संदेश है।
— आर्टिस्ट चंद्रपाल राजभर
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