पर्वत, नदियाँ, खेत हरे हैं
सबके मन में दीप जले हैं।
रंग अनेक, विssचार नयेsss हैं,
दिल में भारत प्रेम पलेsss हैं।
पर्वत......
बोली-बानी लाख रही है
पर मिट्टी की ,खुशबू वही है।
चलो मिलाएँ हाथ सभी से,
देश बने मिसाल सही है।
पर्वत.....
जात-पात की ,छोड़ गुलामी,
भारत को दे, प्रेम निशानी।
भाईचारे का स्वर जब गूंजे,
हर कोना फिर, फूलों से पूंजे।
पर्वत.......
गीत
चन्द्रपाल राजभर
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गीत: "एक भारत प्यारा है"
नीला अम्बर, हरे नज़ारे,
फूल खिले हर बाग़ किनारे।
हर दिल में है प्रेम हमारा,
सपनों जैसा देश हमारा।
एक भारत प्यारा है,
सबका इसमें सहारा है।
भाषा-भेष भले हों कितने,
मन के दीप जलें हैं अपने।
मिलकर बोलें स्नेह की बोली,
सदियों तक ये बात न भूली।
एक भारत प्यारा है,
सबका इसमें सहारा है।
cp
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कजरी: “चलो दीप जलाएं
चलो रे मनवा, कुछ कर दिखाएँ
अंधियारी रातों में,चलो दीपक जलाएँ।
चलो रे मनवा ,कुछ करके दिखायें ।।
हिम्मत की नैया है, साहस की पतवार
छू लेंना अंबर को, कभी पाँव न पसार
चलो रे मनवा......
रुकना नहीं अब,थकना नहीं है
हर मुश्किल को अब, सुलझाना यहीं है।
चलो रे मनवा , कुछ कर दिखाएँ,
अंधियारी रातों में, चलो दीपक जलाएँ।
चन्द्रपाल राजभर
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