समाज में जलसी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, जो मानवीय संबंधों, सामाजिक ताने-बाने और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रही है। जलसी का भाव प्राचीन काल से ही इंसान के भीतर मौजूद रहा है, परंतु आधुनिक समाज में इसकी तीव्रता और प्रभाव कहीं अधिक बढ़ गए हैं। जलसी को अक्सर एक व्यक्तिगत कमजोरी माना जाता है, लेकिन जब यह भाव समाज में व्यापक स्तर पर फैल जाता है, तो यह सामाजिक धारणाओं, रिश्तों और यहाँ तक कि विकास को भी प्रभावित कर सकता है।
आधुनिक समाज में सफलता का मापदंड बहुत बदल गया है। धन, शोहरत, पद, और सामाजिक प्रतिष्ठा को ही जीवन की सफलता के मानकों के रूप में देखा जाता है। इस प्रतिस्पर्धात्मक सोच के चलते लोग दूसरों की उपलब्धियों से खुद की तुलना करने लगते हैं। इससे जलसी का जन्म होता है, जो व्यक्ति को न केवल आंतरिक रूप से तनावग्रस्त करता है, बल्कि सामाजिक संबंधों में भी दूरियाँ पैदा कर देता है। जलसी के कारण व्यक्ति न केवल दूसरों की तरक्की से नाखुश होता है, बल्कि अपनी ही खुशियों का आनंद भी खो देता है।
सामाजिक मीडिया का उदय इस समस्या को और बढ़ावा दे रहा है। आज के युग में लोग अपने जीवन के सबसे बेहतर पहलुओं को सोशल मीडिया पर प्रदर्शित करते हैं। यह दूसरों के जीवन को देखकर लोगों में एक तरह की हीनभावना और जलसी पैदा करता है। जब व्यक्ति किसी और की सफलता या खुशियों को देखकर अपनी कमियों पर ध्यान केंद्रित करता है, तो यह मानसिक असंतुलन और आत्मविश्वास की कमी का कारण बनता है। इस जलसी से उत्पन्न नकारात्मकता समाज में आपसी सहयोग, समर्थन, और सकारात्मक संवाद की भावना को कमजोर कर देती है।
परिवार और मित्रता जैसी सामाजिक संस्थाएँ भी जलसी के कारण प्रभावित हो रही हैं। परिवारों में भाई-बहनों के बीच, दोस्तों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा मिल रहा है। यह प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होने के बजाय हानिकारक रूप ले रही है, जहाँ लोग एक-दूसरे की प्रगति से खुश होने के बजाय जलसी करने लगते हैं। यह केवल रिश्तों में खटास ही नहीं लाती, बल्कि व्यक्तिगत विकास को भी रोकती है।
जलसी के कारण समाज में कई अन्य नैतिक समस्याएँ भी जन्म ले रही हैं। जब कोई व्यक्ति जलसी के प्रभाव में होता है, तो वह गलत तरीकों से दूसरों को नीचे गिराने की कोशिश करता है। यह व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर घातक हो सकता है। भ्रष्टाचार, झूठ, और धोखाधड़ी जैसे अनैतिक कार्यों को अंजाम देने में जलसी एक प्रमुख भूमिका निभाती है। लोग अपनी तुलना में दूसरों को सफल होते देख किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि समाज में ईमानदारी, सच्चाई, और नैतिकता की जगह स्वार्थ और धोखेबाजी ले लेती है।
समाज को इस जलसी से बचाने के लिए हमें अपनी सोच में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि हर व्यक्ति की जीवन यात्रा और परिस्थितियाँ अलग होती हैं। दूसरों की सफलता को अपनी असफलता के रूप में नहीं देखना चाहिए। इसके बजाय, हमें एक-दूसरे की खुशियों और प्रगति में साझेदार बनना चाहिए। जलसी का समाधान आपसी प्रेम, सहयोग, और सच्चे समर्थन में है। जब हम दूसरों की सफलता का जश्न मनाना सीखेंगे, तब ही हम जलसी से मुक्त होकर समाज में वास्तविक सौहार्द और शांति की स्थापना कर सकेंगे।
यह कहना उचित होगा कि जलसी न केवल व्यक्तिगत स्तर पर हानिकारक है, बल्कि समाज के सामूहिक हितों को भी बुरी तरह प्रभावित करती है। इसका उपचार केवल व्यक्तिगत सोच और व्यवहार में बदलाव के माध्यम से ही संभव है। जब हम दूसरों की खुशी में अपनी खुशी ढूंढने लगेंगे, तभी हम एक स्वस्थ, सकारात्मक और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर पाएंगे।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक -SWA MUMBAI
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