1
गज़ल
तेरी याद सजा रखा है
तेरी यादों का साया यूँ सजा रखा है
दिल में तेरी चाहत को बसा रखा है।
बेवफा कहके गया जो मुझसे कभी
अब उसकी राहों को भी रौशन बना रखा है।
हर शाम तेरी आहट सी लगती है
ख्वाबों में तेरा चेहरा सजा रखा है
आँखों से ढलके जो अश्क तेरी खातिर
उन्हें हमने लबों से छुपा रखा है।
दिल के हर कोने में तेरी याद है
हर दर्द को हमने हँसकर सजा रखा है।
तेरी जुदाई में दिन भी अंधेरे हैं
तेरी यादों से चिरागों को जला रखा है।
तेरी खुशबू से महकती हैं ये साँसें
हर एक सांस में तेरा नाम बसा रखा है।
तू लौटकर आएगा कभी इस यकीन में
दिल के दरवाजे को खुला रखा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गज़ल
तेरी यादों का साया
तेरी यादों का साया यूँ सजा रखा है
दिल में तेरी चाहत को बसा रखा है।
बेवफा कहके गया जो मुझसे कभी
अब उसकी राहों को भी रौशन बना रखा है।
हर शाम तेरी आहट सी लगती है
ख्वाबों में तेरा चेहरा सजा रखा है।
आँखों से ढलके जो अश्क तेरी खातिर
उन्हें हमने लबों से छुपा रखा है।
दिल के हर कोने में तेरी याद है
हर दर्द को हमने हँसकर सहा रखा है।
तेरी जुदाई में दिन भी अंधेरे हैं
तेरी यादों से चिरागों को जला रखा है।
तेरी खुशबू से महकती हैं ये साँसें
हर एक सांस में तेरा नाम बसा रखा है।
तू लौटकर आएगा कभी इस यकीन में
दिल के दरवाजे को खुला रखा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
गज़ल
नजरे बिछाए बैठे हैं
तेरी राहों में नजरें बिछाए बैठे हैं
तेरी यादों को दिल में बसाए बैठे हैं।
हर शाम की तन्हाई में तेरा ही ख्याल
तेरे बिना हर लम्हा बिताए बैठे हैं।
दिल के वीराने में तेरा नाम गूंजता है
तेरी खामोशी को हम समझाए बैठे हैं।
वो वादे, वो बातें जो अधूरी रह गईं
उन लम्हों को फिर से जगाए बैठे हैं।
तेरी चाहत का जादू है इस दिल पर
तेरी ख्वाहिश में खुद को भुलाए बैठे हैं।
जिन राहों पे तेरा साथ कभी था हमें
उन राहों में फिर से हम आए बैठे हैं।
तू जो वापस लौट आए तो बहारें हों
तेरी उम्मीद का दीया जलाए बैठे हैं।
हर मोड़ पर तेरा इंतजार है हमें
तेरी यादों के जख्म छुपाए बैठे हैं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
गज़ल
तेरी राहों में खुद को भूल बैठे हैं
तेरी राहों में खुद को भुला बैठे हैं
तेरी यादों का दिया जला बैठे हैं।
बेरुखी से भरी है ये तेरी नज़र
फिर भी हम तुझसे दिल लगा बैठे हैं।
जो ख्वाब तेरे संग देखे थे कभी
उन ख्वाबों को दिल में सजा बैठे हैं।
तेरी दूरी ने दिल को दुखा दिया
तेरी चाहत का दर्द छुपा बैठे हैं।
तेरी बातें हमें आज भी याद हैं
उन लम्हों को हम फिर जगा बैठे हैं।
तेरे बिना हर ख्वाब अधूरा लगे
तेरी राहों में आंसू बहा बैठे हैं।
जो उम्मीद थी तुझसे, वो टूट गई
फिर भी तेरा वादा निभा बैठे हैं।
तेरी खामोशी में भी बस तेरा नाम
तेरी बेवफाई को हम भुला बैठे हैं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
गज़ल
यादों का दामन छोड़ रहे
तेरी दूरी का हर ग़म निभा रहे हैं हम
दिल के जख्मों को अश्कों से धो रहे हैं हम।
तेरी खामोशी में भी एक सदा है
उस सदा के सहारे अब जी रहे हैं हम।
वो हंसीं लम्हे जो संग बिताए थे कभी
उन लम्हों की यादों में खो रहे हैं हम।
तेरी चाहत की राहों में चले थे कभी
अब उन राहों में खुद को ढूंढ़ रहे हैं हम।
तेरी बेरुखी का एहसास दिल को है
पर तेरा नाम दिल से मिटा रहे हैं हम।
हर दर्द को हंसी में छुपा लेते हैं
तेरे बिन ये जिंदगी यूँ ही काट रहे हैं हम।
हर ख्वाब तेरा अब धुंधला सा लगता है
तेरी बेवफाई का हर दर्द सह रहे हैं हम।
तेरे बिना अब ये साँसें भी बोझिल हैं
तेरी यादों का दामन छोड़ रहे हैं हम।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
गज़ल
तेरा गम निभा रहे हैं
तेरी दूरी का हर ग़म निभा रहे हैं हम
दिल के जख्मों को अश्कों से धो रहे हैं हम।
तेरी खामोशी में भी एक सदा है
उस सदा के सहारे अब जी रहे हैं हम।
वो हंसीं लम्हे जो संग बिताए थे कभी
उन लम्हों की यादों में खो रहे हैं हम।
तेरी चाहत की राहों में चले थे कभी
अब उन राहों में खुद को ढूंढ़ रहे हैं हम।
तेरी बेरुखी का एहसास दिल को है
पर तेरा नाम दिल से मिटा रहे हैं हम।
हर दर्द को हंसी में छुपा लेते हैं
तेरे बिन ये जिंदगी यूँ ही काट रहे हैं हम।
हर ख्वाब तेरा अब धुंधला सा लगता है
तेरी बेवफाई का हर दर्द सह रहे हैं हम।
तेरे बिना अब ये साँसें भी बोझिल हैं
तेरी यादों का दामन छोड़ रहे हैं हम।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
गज़ल
धड़कन में तेरा नाम गूंजता है
तेरे बिना हर सुबह अधूरी सी लगती है
तेरी यादों की महक हवा में बसी लगती है।
सपनों में तेरा चेहरा मुस्कुराता है
फिर भी तन्हाई में दिल सिसकती सी है।
तेरे संग बिताए लम्हे अब यादों में हैं
हर एक पल की याद में अब तकलीफ लगती है।
वो बातें जो कभी खुशी से की थीं हमनें
अब सोचते हैं तो ये हंसी भी चुराई सी लगती है।
तू जो सामने हो, वक्त रुक सा जाता है
तेरे बिन हर लम्हा बस एक सजा सी लगती है।
तेरी खामोशी में छिपा है एक राज़ गहरा
हर लफ्ज़ में तेरी मोहब्बत की खुशबू सी लगती है।
जिन राहों में तेरा साथ हमें मिला था
वो राहें अब भी मुझे बेताब करती हैं।
तेरे बिना इस दिल को अब चैन नहीं आता
हर धड़कन में तेरा नाम गूंजती है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
गज़ल:
तेरे बिना दिल तड़पता है
तेरे बिना हर लम्हा अधूरा सा लगता है
तेरी यादों का साया दिल को खींचता है।
चाँद की रातों में तेरा ही अक्स रहता है
तेरे बिना ये दिल मेरा खुद को ढूंढता है।
तू जो साथ हो, हर दर्द को भुला दें
तेरे बिना ये सन्नाटा चुपचाप गूंजता है।
तेरी हंसी में छुपी है मेरी खुशियाँ
तू जो दूर जाए, दिल फिर तड़पता है।
तेरे ख्वाबों की खुशबू महके हर घड़ी
तेरे बिना ये हर एक सपना वीरान सा लगता है।
तू लौटकर आए, तो बहारें फिर खिलेंगी
तेरे बिन ये दिल का हर कोना सूना सा लगता है।
तेरी मोहब्बत में छिपा है मेरा सुकून
तेरे बिना हर एक रंग मुरझाता सा लगता है।
तेरे जाने से ही ये दिल वीराना सा लगता है
तेरे पास रहूँ तो ये जहाँ मुस्कुराया सा लगता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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