Sunday, October 27, 2024

गजल एल्बम 17 टाईप

ग़ज़ल
 पास था और दूर हो गया

पास था और दूर हो गया
उसकी याद का सिलसिला अधूरा हो गया।
लोग कहते हैं, वो बड़ा मगरूर हो गया
खुद से खुद ही बेगाना न जाने क्यों हो गया।

दिल की धड़कन में बसी थी खुशबू उसकी
अब तो बस आँखों में अक्स सजीला हो गया।
उसकी बातें, उसकी हंसी का जादू,
हर लम्हा ख्वाबों में, वो पल अजीज हो गया।

खुद को खोकर उसे पाने की चाहत
फिर भी क्यों दिल मेरा बेहोश हो गया?
अब उसकी यादों में खोकर रह जाता
एक पल में वो फिर से मुझसे दूर हो गया।

वो चाँद सा चेहरा, वो जादुई नजरें
बिछड़ने की घड़ी में सब कुछ अधूरा हो गया।
वक्त की धारा ने छीन ली मुझसे
वो ख्वाब सा रिश्ता, एक सपना हो गया।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल
दूर हो गया

पास था और दूर हो गया
वो ख्वाब था, जो अब अधूरा हो गया।
बातें उसकी, यादों की चादर में
छिपा है दिल, एक राज़ तन्हा हो गया।

सपनों में बसा था वो साया उसका
हर लम्हा बस एक इशारा हो गया।
उसकी हंसी से महका था जहां
अब तो बस सन्नाटा, हर तारा हो गया।

खुद को भुलाकर उसकी बाहों में बसा
अब तो दिल का हर जज़्बा, मजबूर हो गया।
छोड़ गया वो हर एक वादा मेरा
उसकी राहों में मेरा साया भी दूर हो गया।

किससे कहें अब अपनी दास्तान हम
बिना उसकी जिन्दगी, एक मंजर खामोश हो गया।
दिल के कोने में उसकी यादों का बसेरा
फिर से ढूंढने पर वो कहीं और हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
साथ था और दूर हो गया
उसका हर लम्हा बड़ा नूर हो गया।
दिल की धड़कन में बसी थी उसकी सदा
आज वो हंसते हुए क्यों मजबूर हो गया।

सपनों के रंगों से सजाया था मैंने
अब वो चेहरा बस एक दस्तूर हो गया।
हर बात में उसका जादू था शामिल
बिछड़ने के बाद सब कुछ चूर हो गया।

किसी राह पर बिछड़ गया वो मंजर
हर याद में उसका जिक्र दस्तूर हो गया।
खुद को खोकर उसे ढूंढने की कोशिश
फिर भी वो हर बार मुझसे दूर हो गया।

वक्त के हाथों में खेलती है तक़दीर
हसीन लम्हा भी अब एक कसूर हो गया।
दूर रहकर भी वो दिल के पास है
फिर भी जाने क्यों सब कुछ दूर हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल
 बेबसी की कहानी

ख्वाबों में बसा था जो, वो अब दूर हो गया
आंसुओं में डूबा दिल, एक अफसाना हो गया।
जिसकी बाहों में थी सारी खुशियां मेरी
अब तो वो पल भी जैसे एक बनेगा हो गया।

हर सुबह की किरण में था वो साया मेरा
रात की खामोशी में अब वो चुप सा हो गया।
कितनी बातें थी, कितनी यादें बसी थी
बिछड़ने के बाद सब कुछ अन्जाना हो गया।

जिंदगी के सफर में खो गया वो
दिल की गहराई में एक नया मोड़ हो गया।
छोटी-छोटी बातों पर जो मुस्कुराता था
अब उसका नाम सुनकर दिल में शोर हो गया।

चाहत की लहरों में डूबा था जो कभी
अब वो रिश्ते का नाम भी कतरना हो गया।
वक्त की इस आंधी में सब कुछ बह गया
हर पल की चिंगारी अब बस राख हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल - दूरियाँ और यादें

दूरियाँ बढ़ती गईं, न जाने कैसे हो गया
वो जो अपना था कभी, वो अब बेगाना हो गया।
ख्वाबों की महक में बसा था हर लम्हा
अब तो यादों के साए में सारा जमाना हो गया।

उसकी हंसी की गूंज अब भी कानों में बसी
फिर भी दिल की हर धड़कन एक अफसाना हो गया।
सपनों में जो कभी साथ था, वो आज खो गया
खुद को तलाशते-तलाशते, वक्त बेगाना हो गया।

कितनी बातें थीं जिनसे सजा था मेरा दिल
हर एक लम्हा अब जैसे एक सहरा हो गया।
हंसते-खिलखिलाते थे जब हम एक साथ
अब तो बस आंसुओं का ही एक कारवां हो गया।

जिंदगी की राहों में बिछड़ना था उसे
वक्त के इस खेल में सब कुछ तन्हा हो गया।
दिल के किसी कोने में वो यादें बसी हैं
अब तो हर पल उसका ही एक साया हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल - अधूरी दास्तान

आँखों में बसी थी उसकी तस्वीरें जब
अब वो ख्वाब भी एक अधूरी दास्तान हो गया।
कितनी मोहब्बत थी, कितनी यादें संग
एक पल में सबकुछ जैसे एक सूनापन हो गया।

बातें उसकी, हंसी का जादू थी 
अब तो हर लम्हा बस एक याद बन गया।
छोटी-छोटी खुशियाँ जो संग थीं मेरे 
आज वो ही रास्ता मुझसे दूर हो गया।

सपनों के सफर में बिछड़ गया वो
दिल के कोने में बस एक तन्हा एहसास हो गया।
हर सुबह की किरण में उसका अक्स था
अब वो पल भी स्याह, एक खामोश पल हो गया।

दूरियाँ हमें छीन ले गईं एक लम्हा
खुद से खुद का ही रिश्ता बेगाना हो गया।
इस दिल के वीराने में वो यादें हैं
हर एक याद में वो ही एक साया हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल- जुदाई का आलम

जुदाई के आलम में जी रहा हूं मैं
जिसका हर लम्हा अब एक साया हो गया।
ख्वाबों में जो बसा था, वो अब दूर है
दिल के आंगन में जैसे कोई वीराना हो गया।

उसकी हंसी की गूंज अब भी है मेरे पास
फिर भी हर याद का एक जख्म ताजा हो गया।
सपनों की रेशमी चादर लिपटी थी मुझसे
अब तो वो ही ख्वाब एक अजनबी सा हो गया।

दिल के दरवाज़े पर जो खड़ा था कभी
अब वो रिश्ता एक गुमनाम सफर हो गया।
बातें उसकी, नज़रें उसकी, सब भुला दी
एक पल में वो सब कुछ बेदर्दी से मुझसे दूर हो गया।

वक्त ने किया हमसे ये अनकहा वादा
खुद की पहचान भी अब एक फसाना हो गया।
उसकी यादों में खोकर जीता हूं मैं
फिर भी हर धड़कन में उसका एहसास हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
ग़ज़ल - तन्हाई का सफर

तन्हाई का सफर अब मुझसे न सहा गया
जिसकी बाहों में था सब, वो अब वो ना रह गया।
सपनों में जो रंग बिखेरता था हर पल
वो एहसास अब बस एक खामोश रह गया।

वो बातों का जादू, वो हंसी की मिठास
अब तो यादों का साया ग़म का नज़ारा हो गया।
कितने वादे थे, कितनी चाहतें थी
बिछड़ने के बाद सबकुछ गंवारा हो गया।

दिल के जज़्बात अब पुराना हो गया 
उसके बिना हर लम्हा अब नासूर हो गया।
छोटी-छोटी खुशियाँ जो संग थीं मेरे
अब वो ही साया मुझसे दूर हो गया।

वक्त की लहरों ने सबकुछ बहा दिया
उसकी यादों में खोकर अब मैं तन्हा हो गया।
हर सुबह की किरण में बस उसका अक्स है
फिर भी दिल का हर कोना सुनसान हो गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 



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