गजल
ढूंढ रहा हूं ख़ुशियां उन वीरानों में,
ढूंढ रहा हूं ख़ुशियां उन वीरानों में
खोया हुआ हूँ मैं अपने अरमानों में।
मिटे न जिनकी छाया उस यादों से
जला रहा हूं दिल को इन वीरानों में।
हर एक सवेरा धुंधला सा आता है
तन्हाई का साथ है इन गहराइयों में।
दिल की कश्ती टूटी हर एक लहर पर
लहरों में उलझा हूँ अपने तूफानों में।
कहाँ है वो अपना, कौन है हमदम?
अकेला हूँ बस इन सन्नाटों में।
कभी जो था मेरा, अब वो पराया है
छुपा हुआ दर्द है मेरे तरानों में।
हर राह अंजानी, हर सफर बेजान
मिलूँ कहाँ खुद से, इन वीरानों में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
खोया हुआ मैं
खोया हुआ मैं, अपने अफसानों में
ढूंढ रहा हूं, सुकूं वीरानों में।
उजड़ी उम्मीदें, बुझा सा है दिल,श
ढलता है दर्द, मेरे तरानों में।
हर मोड़ पर, खामोशी का पहरा
गुमसुम है दिल, दर्द के ठिकानों में।
छोड़ गए जो साथ निभाने वाले
कैसे रहूं मैं, इन वीरानों में।
बनके पराया, दूर हुआ हर अपना
अब बेगाने हैं सब बहानों में।
जिनसे थी उम्मीद, वही बेवफा निकले
उलझन सी है दिल के अरमानों में।
सपनों का जहां, राख सा बिखरा पड़ा
बस धुआं ही धुआं मेरे अरमानों में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
खोया हुआ मैं
खोया हुआ मैं, अपने अफसानों में
ढूंढ रहा हूं, सुकूं वीरानों में।
उजड़ी उम्मीदें, बुझा सा है दिल
ढलता है दर्द, मेरे तरानों में।
हर मोड़ पर, खामोशी का पहरा
गुमसुम है दिल, दर्द के ठिकानों में।
छोड़ गए जो साथ निभाने वाले
कैसे रहूं मैं, इन वीरानों में।
बनके पराया, दूर हुआ हर अपना
अब बेगाने हैं सब बहानों में।
जिनसे थी उम्मीद, वही बेवफा निकले
उलझन सी है दिल के अरमानों में।
सपनों का जहां, राख सा बिखरा पड़ा
बस धुआं ही धुआं मेरे अरमानों में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
खोया हुआ सफर
खोया हुआ सफर है, राहों में कांटे बिछे
जिंदगी बिखरती गई, इन तन्हाइयों में।
दिल की ख्वाहिशें सब, अब राख बन गईं
गूंजते हैं अफसाने, वीरानियों में।
जो भी मिला यहां, पराया सा लगा
कोई अपना न मिला इन बेगानों में।
हर एक रिश्ता टूटा, हर वादा अधूरा
टूटे दिल की सदा है अरमानों में।
जिससे थी आस, वही छोड़ गए हमें
बस रह गई ये तन्हाई जज्बातों में।
बुझ गए चराग, हर रात बेअसर
तलाशता हूं सुबह इन अंधेरों में।
दुनिया के इस मेले में हूं तनहा खड़ा
खो गया हूं कहीं इन वीरानों में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
अजनबी सफर
अजनबी ये सफर है, जहां तन्हा खड़ा हूं
हर किसी से दूर, खुद में ही पड़ा हूं।
खामोशियों में दबी हैं सदाएं मेरी
अपने ही साए से जैसे लड़ा हूं।
किसी का साथ चाहा, पर साथ न मिला
हर दर पे बेवफाई का धुंआ उठा हूं।
टूटे हुए ख्वाबों का मंजर है सामने
बिखरी हुई यादों में हरपल सजा हूं।
रिश्तों का रंग अब बेरंग सा हुआ
अपने ही अरमानों से मैं जुदा हूं।
इस जिंदगी की जंग में हार कर
ढूंढ रहा हूं खुद को मैं खुदा हूं।
कहां है वो सुकूं, जो दिल को मिले
इन वीरानों में मैं बेसबब चला हूं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
गुमशुदा मैं
गुमशुदा मैं अपनी ही राहों में
ढूंढता सुकून दर्द की पनाहों में।
हर किसी से खफा, हर किसी से जुदा
कैसे बसूं इन बेमुरव्वत निगाहों में।
दिल के जख्म गहरे, दर्द बेहिसाब
छुपा हूं मैं अपने ही गुनाहों में।
हर ख्वाब टूटा, हर अरमान झूठा
बस ठोकरें मिली हैं चाहतों की राहों में।
जो कभी था अपना, वो दूर हो गया
खो गया हूं मैं इन उलझी बाहों में।
अब न कोई साथी, न कोई आस बाकी
बस रह गया हूं खामोश आहों में।
दुनिया से शिकायत क्या करूं अब मैं
जले हैं मेरे जज्बात सुलगती आहों में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
तन्हा सफर
तन्हा सफर में छुपे हैं सवाल कई
खोए हुए ख्वाबों का हाल कई।
दिल की तड़प कहूं या दर्द की जुस्तजू
मिले न सुकूं के कहीं खयाल कई।
जिनसे उम्मीदें थीं, वो भी रूठ गए
राह में छोड़ गए अपना जाल कई।
हर शख्स यहाँ, बेवफा सा लगा
हर लम्हे में दिखे बस मलाल कई।
कभी था उजाला, अब अंधेरा घना
दिल में छुपे हैं गहरे हलाल कई।
जिन राहों पे चला, वो बिखरी पड़ीं
हर मोड़ पर टूटे अरमान कई।
अब न किसी का इंतजार बाकी है
खो गया हूं अपनी ही चाल कई।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
बेसबब तलाश
बेसबब तलाश में भटकता रहा
हर मोड़ पर ख्वाब मैं सजा करता रहा।
दिल के आईने में चेहरा धुंधला पड़ा
अपनी ही परछाईं से लड़ा करता रहा।
राहें थीं वीरान, कोई अपना न था
मैं अपनी तन्हाई को सहा करता रहा।
चाहतें बिखरीं, पर अरमान जले
हर लम्हे में दर्द को सहता रहा।
जिसे पुकारा था कभी अपना कह के
वही पराया सा हर घड़ी लगता रहा।
अधूरी आसें, बुझी हुई बातें
खामोशियों का बोझ मैं ढोता रहा।
अब न कोई मंजिल, न कोई हमसफर
मैं अपनी ही तलाश में खोता रहा।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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