Saturday, October 19, 2024

बच्चों की कविता -आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

1
खेल-खेल में राजा बेटा

राजा बेटा खड़ा-खड़ा,
माँ से कहे ज़रा-ज़रा।
माँ, मुझे खिलौने दो,
छोटा-सा एक घरौंदा दो।

पहले मिट्टी लाऊँ मैं,
फिर उससे ईंट बनाऊँ मैं।
ईंटों से दीवार उठाऊँ,
छोटा सा मकान बनाऊँ मैं।

फूलों से सजाऊँ द्वार,
बगिया में लगाऊँ प्यार।
पक्षी आएँ चहकते,
खुश होकर गीत गाते।

फिर अंदर मैं दौड़ूँगा,
मिठाई का स्वाद लूँगा।
माँ, तुम मुझे देख मुस्काओ,
राजा बेटा कह ललचाओ।

चमच से हलवा खाऊँ मैं,
तुम्हें भी थोड़ा खिलाऊँ मैं।
राजा बेटा हँस-खेलकर,
फिर से नयी दुनिया बसाऊँ।

रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
चाँद मामा के संग खेल

चाँद मामा आसमान से,
झाँक रहे हैं धीरे-धीरे।
मैं तो चाहूँ उनके संग,
खेलूँ मैं भी हँसते-हँसते।

मामा कहें, “आओ बेटा,”
बैठो मेरी गोदी में।
तारों संग खेलेंगे हम,
नीले आसमान की कोठी में।

तारे देंगे चमकती गेंद,
चाँद मामा चलाएँ खेल।
घूम-घूमकर सारे सितारे,
लगाएँ अपनी चमक के मेले।

मामा मुझे प्यार से बोलें,
“बेटा खेलो खुश होके।”
मैं भी खूब खिलखिलाऊँ,
सितारों के संग रौशनी में डूबके।

फिर मामा मुझे सुलाएँ,
तारों की चादर फैलाएँ।
मीठी नींद का आँगन होगा,
जहाँ सपनों में फिर मिल जाएँ।

 रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3

बाग में तितली आई

बाग में तितली आई,
रंग-बिरंगी खुशबू लाई।
फूलों संग वो खेल रही,
हवा में पंख फैल रही।

इधर-उधर वो उड़ती जाती,
फूलों की बातें वो बताती।
कभी गुलाब पर बैठी जाती,
कभी चमेली गुनगुनाती।

मैं भी दौड़ा तितली के संग,
हाथों में रंगों का ढंग।
पर वो मुझसे दूर गई,
फिर से उड़कर पास आई।

तितली कहे, “आओ खेलें,
रंग-बिरंगे फूल हम चुनें।
धरती माँ को दें ये उपहार,
हर कोने में हो खुशहाली का भार।”

मैंने उससे कहा, “रुको ज़रा,
तुमसे बातें कर लूँ सारा।
तुम्हारे संग उड़ना चाहूँ,
खुशियों का संसार बनाऊँ।”

तितली हँसकर बोली प्यारी,
“रंगों की दुनिया है न्यारी।
जहाँ भी जाओ खुश रहना,
हर पल मुस्कुराते रहना।”

       रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4

नन्हा बादल

आसमान में नन्हा बादल,
बोल रहा है मीठी बात।
"मुझे छूने आओ बच्चे,
मैं दूँगा ठंडी सौगात।"

मैंने सोचा, दौड़ के जाऊँ,
आसमां को छू आऊँ।
बादल मुझसे दूर चला,
पर वो हँसकर फिर आया।

हवा के संग उड़ता जाए,
नदी और पहाड़ निहारे।
मैंने पूछा, “बादल भैया,
तुम क्यों करते हो इशारे?”

बादल बोला, “आओ मेरे संग,
घूमो साथ आकाश में।
धूप-छांव का खेल रचाएँ,
सतरंगी इंद्रधनुष बनाएँ।”

मैंने फिर से हँस दिया,
सोचा मैं भी उड़ जाऊँगा।
बादल संग आसमां में,
सपनों का घर बनाऊँगा।

        रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
सूरज अंकल आए

सुबह-सुबह सूरज अंकल आए,
रोशनी के दीप जलाए।
सबको उठने की दी पुकार,
बोले, "बच्चों, करो तैयारी यार!"

मैंने जल्दी मुँह धोया,
बस्ता लेकर भागा-भागा।
स्कूल पहुँचते ही दोस्तों संग,
खेल खेला हमने मस्त रंग।

पहला पीरियड पढ़ाई का,
दूसरा खेल-खिलाई का।
टिफिन में माँ ने दिए पराँठे,
दोस्तों ने माँगे हिस्से बाँट के।

बेल बजी और छुट्टी आई,
फिर से मस्ती करने की बारी आई।
घर पहुँचा तो माँ ने कहा,
"पहले खाओ फिर खेलो ज़रा।"

शाम को सूरज अंकल बोले,
“अब मैं जा रहा हूँ ढलके।
कल फिर आऊँगा जगाने,
सपनों में तुमको बुलाने।”

           रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
चाँद से बातें

रात हुई, चमका चाँद,
टिमटिम तारे, प्यारा आसमान।
चुपके से मैंने खिड़की खोली,
देखा चाँद हँसता भोली।

मैंने कहा, "चाँद मामा,
कैसे चमकते हो हर रजनी?"
चाँद ने हँसकर बात बताई,
"तारों की संगत ने चमक बढ़ाई।"

तारों ने भी कहा साथ,
"हम हैं चाँद के प्यारे साथी।
रात को सब जगमग करते,
दुनिया भर को रौशन करते।"

मैंने पूछा, "तुम क्यों दूर,
आसमान में रहते भरपूर?"
चाँद ने कहा, "सपनों में आओ,
हमसे मिलने तुम भी जाओ।"

रात को आँखें बंद करूँगा,
तारों संग मैं उड़ चलूँगा।
चाँद मामा की गोद में बैठ,
सपनों का जहान रचूँगा।

           रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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7
मेरा खिलौना राजा

मेरे पास है खिलौना राजा,
जिससे खेलूँ दिन भर आजा।
घोड़ा जैसे दौड़े तेज,
बन जाए मेरा खास सिपहसालार।

मैं उसे सजाऊँ रोज नए,
रंग-बिरंगे कपड़े पहनाऊँ।
कभी राजा, कभी सिपाही,
हर खेल में उसे सजाऊँ।

कभी वह बने राजा महान,
बैठे अपने सोने के सिंहासन।
ताज पहनाऊँ, हाथ में तलवार,
सबसे आगे, हो तैयार।

कभी मैं उसे डॉक्टर बनाऊँ,
मुझे दवा देकर ठीक कराऊँ।
कभी बनता वो स्कूल का मास्टर,
सिखाता मुझे ज्ञान का सागर।

खेल-खेल में दिन ढल जाए,
फिर रात को भी सपना लाए।
मेरा खिलौना राजा प्यारा,
सपनों में भी करता मन हरा।

              रचना
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
चाँदनी रात

चाँदनी रात में, चमके तारे,
खुशियों की बरसात, लाए हमारे।
सपनों की महकी, ये दुनिया प्यारी,
हर दिल में बसी, ये खुशी है भारी।

फूलों की खुशबू, ले आए संग,
नन्हे-नन्हे मन में, खिले हर रंग।
गिलास में दूध, मिठाई का स्वाद,
बच्चों की हंसी, मनाए हर राग।

चाँद की गोद में, खेलें सितारे,
बच्चों की बगिया में, खिलखिलाते सारे।
सूरज की किरणें, लाए नई सहर,
हर चेहरे पर हो, बस खुशी का असर।

खेलते हैं बच्चे, खुशी से झूम,
हर दिन का जश्न, जैसे कोई धूम।
सपनों की दुनिया, रंग-बिरंगी छटा,
चाँदनी रात में, सबकी हो एकता।

हर दिल में छुपी, एक नई कहानी,
खुशियों का संदेश, बिखरे चारों ओर,
चाँदनी रात में, सबका हो प्यार,
मिलकर चलें, जैसे संग संग यार।

           रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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9
बच्चों की बगिया

सूरज की किरणें, चमकती धूप,
बच्चों की बगिया में, खिलती है रूप।
फूलों की रंग-बिरंगी, भरी है महक,
हर कली में छिपी है, खुशी की झलक।

चिड़िया चहकती, गाती मीठा गाना,
बच्चों की बगिया, है सारा जमाना।
किलकारी भरते, हंसते-खिलखिलाते,
पेड़-पौधों संग, वो खेल खेलाते।

तितलियाँ उड़ें, रंग-बिरंगी प्यारी,
बच्चों की बगिया, है सबसे न्यारी।
गुब्बारे आसमान में, उड़ते हैं अंचल,
बच्चों की हंसी, है सबसे चंचल

खुशियों की बगिया, सजती हर दिन,
बच्चे बजाते हैं, नयी नयी बीन
सपनों की दुनिया, यहाँ खुलती है wide,
बच्चों की बगिया, है सबका प्यारा side।

चलो मिलकर देखें, कैसे खिलते हैं फूल,
बच्चों की बगिया, है सबकी खुशी का पूल।
हर दिन नया रंग, हर दिन नई कहानी,
बच्चों की बगिया, है जीवन की निशानी।

रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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10
खुशियों की बगिया

सूरज की किरणें, बिखरे हर ओर,
खुशियों की बगिया, है सबसे प्यारी मोड़।
फूलों की महक, लाए नयी सुबह,
हर दिल में बसे, सुख-दुख के जज़्बातों का संग।

चिड़िया की चहक, जैसे गीत का सुर,
नन्हे-नन्हे बच्चे, गाते हंसते भरपूर।
गुब्बारे उड़ें आसमान में, रंगीन,
खुशियों का मेकअप, हो हर पल के लिए दीन।

बाग में खिलखिलाहट, जैसे बहारों का नज़ारा,
हर चेहरे पर हो खुशी, प्यार भरा सारा।
सपनों की उड़ान, जैसे तितलियाँ उड़ें,
मस्ती भरी बातें, साथ में सब मिलें।

चाँदनी रात में, जगमगाते तारे,
खुशियों की ये बगिया, है सबका प्यारा नज़ारे।
संग-साथ हम चलें, हंसते-खिलखिलाते,
खुशियों की बगिया में, सब मिलकर गुनगुनाते।

हर दिन नई कहानी, हर पल नया अहसास,
बच्चों की हंसी में, छुपा है सच्चा खास।
चलो मिलकर मनाएं, खुशियों की ये बगिया,
सपनों की दुनिया में, की दुनिया में गुजरती हैं सदियां

रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

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11
चंचल चिड़िया

चंचल चिड़िया प्यारी-प्यारी,
उड़ती जाती हर दीवारी।
नील गगन में पंख पसारे,
हर पेड़ पर उड़-उड़ जाती 

दाना चुगती, गीत सुनाती,
माँ के संग समय बिताती।
नन्हे पंखों से हौले-हौले,
आसमान में उड़ उड़ जाती

कभी पेड़ की डाली झूले
कभी नदी में खेल खेलें 
रंग-बिरंगी चिड़िया रानी,
हर पल बनती राजा रानी

बचपन में सीखती  प्यारी,
मिलती सबसे वारी बारी
चंचल चिड़िया प्यारी-प्यारी,
सबके मन की राजदुलारी।

रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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