Saturday, October 19, 2024

1.अभिलाषा बेवफाई ग़ज़ल - आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

1
रातों का सिलसिला

चुपके-चुपके वो बातें,दिल में उतरने लग गईं
पहले ख़ामोशी,फिर ख़ामोशी-ए-शब,फिर ख़ामोशियां जुड़ गईं

रास्तों में चलते-चलते,जब रूह तुम्हारी मिल गईं
पहले सफ़र,फिर सफ़र-ए-ख्वाब,फिर मंज़िलें तय हो गईं

तन्हाई में जब भी कभी, याद तुम्हारी आ गईं
पहले आहट,फिर आहट-ए-निगाह,फिर ज़िन्दगी रौनक हो गईं

मोहब्बत की इन राहों में,जब दिल लगी बढ़ गईं
पहले क़दम,फिर क़दम-ए-वफ़ा,फिर राहें आसान हो गईं

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2
ख़्वाबों की ताबीर

धीरे-धीरे वो निगाहें,दिल को छूने लग गईं
पहले ख़्वाब,फिर ख़्वाब-ए-हसीं,फिर ख़्वाबें ताबीर हो गईं

चाँदनी रातों में जब, यादें वो बिखर गईं
पहले यादें,फिर यादों का हक़,फिर यादों का चांद हो गईं

आपसे मिलकर मेरी,धड़कनें धड़क गईं
पहले धड़कन,फिर धड़कन-ए-शोर,फिर धड़कन धड़कन हो गईं

इश्क़ की खुशबू जब,चारों ओर फैल गईं
पहले हवा,फिर हवाऐं खुशबू,फिर इश्क़ खुशबू हो गईं

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
बेचैन ख़्वाब

रात-रात भर ख़्वाबों में,तेरा चेहरा आता रहा
पहले ख़्वाब,फिर ख़्वाब-ए-बेचैनी,फिर नींदों से रिश्ता टूटा रहा

तन्हाई में तेरी आहट,दिल को छूकर गुजर गई
पहले साया,फिर साया-ए-शाम,फिर सिलसिले तन्हाईं हो गईं

तेरे लफ़्ज़ों में जादू सा,मुझको जो महसूस हुआ
पहले बात,फिर बात-ए-जुनूं,फिर दिल का फ़साना सुरू हुआ 

इश्क़ की राहों में जब, दम कदम रखता गया
पहले कदम,फिर कदम-ए-वफ़ा,फिर दिले कारवां बढ़ता गया

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर

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4
गीत: - टूटी हुई कसमें

तेरी निगाहों में जो प्यार था,
 अब वो फरेब में बदल गया।
दिल से निभाई थी जो कसमें 
अब वो झूंठ का जाल बन गया।

रफ़्ता-रफ़्ता दूर हुए तुम,
मैं पल-पल तड़पता रह गया।
वो जो हंसी तेरी खास थी,
अब वो लम्हा बेरहम हो गया।

तूने बेवजह छोड़ दिया,
मैं तन्हाई में खो गया।
तेरे बिना अब हर ख्वाब,
मेरा अब जैसे बिखर गया।

वादा तूने जो तोड़ दिया
दिल को ऐसे घायल किया।
जैसे कच्ची मछलियों को 
जल बिन तड़पता छोड़ दिया

तेरे बिना जिंदगी है बेमानी,
हर पल जैसे खाली हो गया।
दिल की तसल्ली चाही बहुत,
पर तू कहीं और खो गया।

अब तेरा चेहरा भी धुंधला,
यादों में जैसे राख बची है।
जो प्यार तुझसे मांगा था,
अब बस एक झूठी खुशी है।

तेरी राह तकते-तकते,
आंखों से चांदनी बुझ गई।
दिल ने किया था जो भरोसा,
अब उम्मीद भी वो टूट गई।

          गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल: - ख़ता तेरी थी

ख़ता तेरी थी, सज़ा हमको मिली,
मोहब्बत में हर घड़ी शाम हो चली।
किया था वादा और निभाया नहीं 
मासूम बताकर पूरी सजा हमें मिली
खता...
मोहब्बत.

 तेरे झूठे वादों में यूं फंस गए हम
हर उम्मीद की लौ अब बुझ चली।
तू बेवफा निकला, ये समझ गए हम,
मगर दिल में खामोशी अब बस चली।
खता...
मोहब्बत...

 तेरे इश्क़ का रंग फीका जो पड़ा,
आंखों से फिर अश्कों की बौछार चली।
दिल से चाहा तुझको जान से ज़्यादा,
अब मेरी धड़कन ठहरी-ठहरी सी चली।
खता...
मोहब्बत.

 तूने तोड़ दीं जो कसमें थीं अपनी,
अब खामोशी भी यहां चीख चली।
तेरी यादों ने दिल को किया यूं घायल,
कि हर सुबह जैसे,अब रात हो चली।
खता...
मोहब्बत.

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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6

ग़ज़ल:- तेरी बेवफाई

 तेरी बेवफाई का ज़िक्र है हर जगह,
हम अकेले हैं दर्द ऐ इश्क है जगह जगह
तुम तो कहते थे हम तुम्हारे हैं 
और छोड़कर चले गए पराई जगह
तेरी...
हम...

 तेरे वादे हवा बनके उड़ गए,
दिल के अरमान अब राख हो गए।
जो मोहब्बत कभी रौशन थी दिल में,
अब वो यादें बनकर धुंधले हो गए।
तेरी...
हम..

 तेरी राहों में बिछाए थे ख्वाब मैंने,
तूने बेखुदी में उन्हें तोड़ दिया।
अब दर्द की चादर ओढ़े बैठा हूं मैं 
कसम दिल से अब जीना छोड़ दिया।
तेरी...
हम...

 तेरे इश्क़ की लौ जो बुझी है अब,
मेरी दुनिया में सन्नाटा छा गया।
तूने जो दिए वो जख्म बड़े गहरे हैं,
अब हर लम्हा जैसे,कांटा बन गया।
तेरी...
हम..

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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7
          ग़ज़ल-
 नज़रों से दिल को जीत गया कोई

नज़रों से दिल को जीत गया कोई,
जैसे सूखी राहों में, फूल खिला कोई।
दिल की वीरानियों में जो था सन्नाटा,
वहां प्यार की सरगम, बजा गया कोई।
नजरों...
जैसे सूखी...

 चुपके से बिना कहे, पास आ गया कोई,
जैसे अधूरी सांसों में, जान भर गया कोई।
दिल की उलझनों को, सुलझा दिया उसने,
जैसे मेरी हर बेबसी को, मिटा गया कोई।
नजरों...
जैसे सूखी

 जिस दर्द को सीने में, बरसों दबाए रखा,
उस दर्द को दुनिया को, बता गया कोई।
आंखों में जो आंसू थे, बहे हर रात को,
उन्हें नमी से प्यालों में, सजा गया कोई।
नजरों...
जैसे सूखी

 जिस प्यार की तलाश में, भटक रहा था मैं,
उस प्यार की बारिश में, भिगो गया कोई।
सारी उदासी छिपा कर, मुस्कान दे गया,कोई
जैसे दिल को मेरे फिर से, हंसा गया कोई।
नजरों...
जैसे सूखी

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
      ग़ज़ल
 चुपके से दिल में उतर गया कोई

चुपके से दिल में उतर गया कोई,
जैसे वीराने में दिया जला गया कोई।
टूटे हुए अरमानों की धूल को,
अपने लम्स से हटा गया कोई।
चुपके...
जैसे...

 सर्द रातों में जो था ख़ालीपन,
उसको गरमी से सुलगा गया कोई।
जिस ख्वाब को दिल ने बुन रखा था,
वो ख्वाब हक़ीक़त बना गया कोई।
चुपके...
जैसे...

 जिस दर्द से सिसकियां भर रहा था मैं,
उस दर्द को आंखों से धो गया कोई।
हर इक ज़ख्म पे जो थे घाव गहरे,
उन घावों पर मरहम लगा गया कोई।
चुपके...
जैसे...

 दिल की उदासी को हवा दे कर,
हंसी की राहें दिखा गया कोई।
जैसे बिखरे हुए मोती थे दिल में,
उन्हें फिर से दिलों में पिरो गया कोई।
चुपके...
जैसे...

गीत 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 



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