1
उनकी की बेवफाई लगातार बेचैन कर रही है
(ग़ज़ल)
उनकी की बेवफाई लगातार बेचैन कर रही है
दिल की गहराइयों में चुपके-चुपके घाव कर रही है।
हर ख्वाब में उसका चेहरा दिखता है अब तक
सपनों में सच्चाई की खोज में सवाल कर रही है।
जो कभी वादा था साथ निभाने का
वो आज मेरी यादों में दर्द दे रही है।
राहों में उसका नाम लहराता है अब
अच्छी यादें छोडकर नफ़रत कर रही है।
मैं हर कदम उसे फिर से ढूँढ़ता हूँ
अभिलाषा की बेवफाई मुझे लगातार बेचैन कर रही है।
हर सुबह की चुप्प सियाही बनती है अब
उसकी यादें ही मुझे मरा कर रही है।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
वो दूर जाने वाले, क्यों लौट के नहीं आए,
ऑंखों में ख्वाब थे जो, वो फिर से नहीं आए।
हर शाम इंतज़ार में, हम दीप जलाते हैं,
वो चाँदनी में खोकर, सवेरे नहीं आए।
दिल से निकल न पाए, वो याद के सहारे,
रस्तों से गुज़रे सारे, पर घर पे नहीं आए।
कहते थे लौटेंगे वो, इक दिन बहार बनकर,
हम सूने गुलसिताँ हैं, वो महके नहीं आए।
बरसों से हैं सवालात, दिल की जुबाॅं पे लेकिन,
वो होंठ खोलकर भी, जवाबे नहीं आए।
उम्मीद में बॅंधा हूँ, शायद वो फिर से आएं,
पर किस घड़ी में आएं, वो वक़्त नहीं आए।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
वो दूर जा के कैसे, फिर लौट के नहीं आए
जिनके बिना हम अपने, हालात पे नहीं आए।
दिल को यकीं था उनका, इक रोज़ लौट आना
पर इंतज़ार की शब में, वो रात पे नहीं आए।
वो ख्वाब थे जो हमने, साँसों में बुन लिए थे
अब टूट के बिखरते, इन बात पे नहीं आए।
फिर से वही दरीचे, उम्मीद से खुले हैं
पर उनके पाँव जाने, किस राह पे नहीं आए।
अब भी हैं उनके क़दमों की आहटों के साये
वो लौटकर कभी भी, इस ज़ात पे नहीं आए।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
वो राह देखता हूँ, जो लौट के नहीं आई
इक आस थी दिल में, पर वो भी सिमट आई।
खामोशियाँ भी अब तो करती हैं गुफ़्तगू
सुनने को उनकी बातें, ये रात है जगाई।
जिन्हें हम समझते थे, अपना साया जानां
उनकी परछाई भी, अब लौट के न आई।
वो छोड़ कर चले गए, जैसे हवा के झोंके
इस दिल के वीराने में, फिर रौनक न समाई।
हम उनसे ये पूछते, क्यूॅं दूर हो गए तुम
पर खुद से सवालों की, तासीर भी है आई।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
दिल में वो दर्द ऐसा, जो कह नहीं पाते
वो लौट आएंगे, ये वहम नहीं जाते।
रस्तों पे हर कदम, उनके निशां ढूंढते
पर वो कहीं न मिलते, जो रह नहीं पाते।
कहने को पास सब हैं, पर दिल में खालीपन
वो एक शख्स जिसके, बिना रह नहीं पाते।
वो खुश रहें जहाँ भी, ये सोचकर चुप हैं
पर चाह कर भी अश्कों को, सह नहीं पाते।
अब भी उनकी यादें, हैं दिल के आईनों में
तस्वीर धुंधली होती, मगर मिट नहीं पाते।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
यादों के मौसमों में, वो पल नहीं आते
सूखे से दिल में अब वो बादल नहीं आते।
बिछड़े हुए हैं मुद्दतों से यूँ ही तनहा
अब शाम ढल भी जाए तो वो कल नहीं आते।
जिनको था रास्तों का हर मोड़ मालूम
उनके बिना सफ़र में वो हलचल नहीं आते।
दिल को सँभाले बैठे हैं उम्मीद की डोरी
पर ज़ख्म ऐसे हैं कि फिर मरहम नहीं आते।
वो छोड़ कर गए हैं जो खामोशियाँ हमें
अब उनकी खनकती हुई हलचल नहीं आते।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
वो चुपके से बिछड़कर, फिर लौट के नहीं आए
रास्ते वही हैं लेकिन, हम संग नहीं पाए।
कितनी दफा पुकारा, तन्हाइयों से मैंने
पर उस सदा पे उनके, कदम ठहर नहीं पाए।
उम्मीद थी के शायद, वो रुख बदलेंगे
पर उनकी बेवफ़ाई में, कोई कसर नहीं पाए।
अब भी हैं चाहतों में, उनका ही कोई चेहरा
पर इस खलिश को दिल से, हम कह नहीं पाए।
वो ग़ैर थे न अपने, पर फिर भी अजनबी से
यूँ दर्द बन के आए, के कभी सह नहीं पाए।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
हर दर्द में नमी है, हर आह में शिकायत
वो लौटते नहीं हैं, क्यों दिल में है ये चाहत?
जिस रास्ते पे चलके, वो दूर जा चुके हैं
उस रास्ते में अब भी, क्यों रह गई मोहब्बत?
खामोशियों में घुलकर, वो याद बन गए हैं
हर साॅंस में बसे हैं, पर है नहीं इनायत।
हमने तो उनकी खातिर, सब कुछ ही छोड़ डाला
वो फिर भी लौटे क्यों ना, ये है अजब हिकायत।
आँखों में अश्क ले कर, हम मुस्कुराते रहते
दिल ने ये सीख ली है, तकलीफ में भी राहत।
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