1
ग़ज़ल
वो याद बहुत आते हैं
वो याद बहुत आते हैं, हर रात जगाते हैं।
दिल में कसक देते हैं, अश्कों में नहाते हैं।
जो साथ बिताए पल थे, ख़्वाबों में समाते हैं
उनकी कमी का दर्द, सीने में छुपाते हैं।
चुपचाप सा लगता है, हर शोर भी ख़ामोश
सन्नाटे के साए अब, हर रोज़ डराते हैं।
फूलों की महक जैसी, वो बात कहाॅं भूले
यादों के गुलिस्ताॅं में, हर रोज़ वो आते हैं।
दुनिया से छुपाकर हम, तन्हा जो सिसकते हैं
सजदे में झुकी पलकों से, बस उनको बुलाते हैं।
वो याद बहुत आते हैं, हर रात जगाते हैं
दिल के वीराने में, वो फिर से बसाते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
वो याद बहुत आते हैं
वो याद बहुत आते हैं, और हम आँसू बहाते हैं।
सपनों में बुलाकर फिर, पलकों से सजाते हैं।
ख़ामोश सा लगता है, हर शोर भी उनके बिन,
सन्नाटा भी रातों में, अफ़साने सुनाते हैं।
चाहा जो भुला दें उन्हें, हर जतन अधूरा है,
ज़ख्मों के किनारों पर, वो मरहम लगाते हैं।
तस्वीर थी जो धुंधली, अब और निखर आई,
उनके हँसने-रोने के, मंज़र भी लुभाते हैं।
हर मोड़ पे हर गली में, एहसास उन्हीं का है,
हवा के झोंके बनकर, ग़म बनके सताते हैं।
वो याद बहुत आते हैं, दिल दर्द जगाते हैं,
जो बीत चुका कल था, उसे फिर दोहराते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
वो याद बहुत आते हैं, हर वक्त सताते हैं
सपनों में आकर हमें, चुपके से रुलाते हैं।
गुज़रे हुए दिन जैसे, धुंध में खो जाते हैं
राहों में उनकी आहटें, हमको फिर से पकाते हैं।
चाहा था कभी भूल जाएं, पर दिल को गवारा नहीं
वो ख्वाब अब भी हर रात, हमारी आँखों में समाते हैं।
हवा भी वही है, मौसम भी वही हैं
लेकिन वो जज़्बात अब, दिल को तन्हा कर जाते हैं।
वो याद बहुत आते हैं, दिल में गहरी चुप्पी है
जो पास नहीं थे कभी, वो अब यादों में झलकते हैं
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
वो यादें
यादें नहीं अब दर्द बन गई हैं
रातों में गुमसुम सा फर्ज़ बन गई हैं।
जब तुम साथ थे, पल ठहरे हुए थे
अब वो यादें धुॅंधला रंग बन गई हैं।
कुछ ख़्वाब अधूरे से रह गए हैं
हर एहसास एक तन्हाई बन गई है।
जो कभी हँसी में खो जाते थे
वो पल अब सिसकियाँ बन गई हैं।
तुम्हारे बिना ये हवाएँ फीकी हैं
ये यादें अब शायरी बन गई हैं।
दिल में तुम्हारा नाम सज़ा था जैसे
अब वो यादें ख़ुदा की दुआ बन गई हैं।
अभी भी तुम्हारी ख़ामोशी में सुकून है
कभी यादों की परछाईं बन गई हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
दिल का हर कोना वीरान सा हो गया।
जो कभी साथ था, अब दूर हो गया
हर याद अब ख़ामोशी में खो गया।
तुम थे पास तो दुनिया हॅंसीन थी
अब तुम बिना, हर पल दर्द में डूब गया।
वो बातें, वो हँसी, जो कभी तुमसे थी
अब ख़ामोशी में भी, वो सिसकता रह गया।
हमने दिल से चाहा था तुम्हें
लेकिन वो चाहत भी अब साया हो गया।
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
अब हर ख़्वाब तन्हा सा हो गया।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
एहसास बदल गया
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
जैसे कोई ख़्वाब टूटकर ढल गया।
हर पल उसकी यादें शबनमी थीं
अब वो ख़्वाब भी अधूरा सा बन गया।
हमें तो लगा था वह पास रहेगा
पर वक्त के साथ हर राग बदल गया।
सपनों की दुनिया में रंग थे बहुत
अब हर रंग धुॅंधला, बेरंग सा हो गया।
वो हॅंसी, वो बातें, वो प्यारे दिन
सब कुछ एक याद बनकर दिल में गल गया।
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
किसी ख़्वाब की तरह अब दिल में पल
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
दिल में जो था, अब वो हलचल गया।
जो कभी करीब था, अब दूर हो गया
हर बात अब वो, ख़ामोशी में दब गया।
वो छाँव, वो सुकून, वो पल थे प्यारे
अब दर्द का मौसम सब कुछ नफ़रत से भर गया।
कभी जो दिल की धड़कन था, अब वह ख़ामोश है
वह एहसास किसी अज़नबी सा पल बन गया।
राहों में अब उसकी यादें हैं अकेली
जो प्यार था कभी, वह ख़्वाब बनके छल गया।
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
अब अकेलेपन में वह और भी पल बन गया।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
रास्ता
अब हर रास्ता खाली सा लगता है
जहाँ भी जाऊँ, बस तन्हाई सा लगता है।
कभी जो था भीड़ में हॅंसी का घर
अब हर कोना उदासी में डूबा सा लगता है।
वो जो कदम साथ चलते थे कभी
अब हर कदम अकेला सा लगता है।
जहाँ भी देखूँ, कोई न कोई कमी है
जैसे मेरा जहाॅं अब अधूरा सा लगता है।
वो जो थे करीब, अब दूर हो गए
उनके बिना ये हर पल सूनापन सा लगता है।
अब हर रास्ता खाली सा लगता है
और जीवन अब बड़ा भारी सा लगता है
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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