तेरी वफ़ा का धोखा
1
तेरी वफ़ा का धोखा दिल में बस गया
एक और ग़म का राज़ अब खुल गया।
तेरे ही कहे शब्द अब दर्द बन गए
मेरी तन्हाई का राग हलचल में बदल गया।
वो प्यार का दावा अब सिर्फ़ एक झूठ है
तेरी आँखों में जो चाँद था, वो ढल गया।
मेरी चाहतों को तुमने तोड़ा ऐसे
जैसे हर ख्वाब मेरा उड़कर गिर गया।
तेरे हर वादे ने मुझे दगा दिया
तेरी सूरत में ही अब वह साया ढल गया।
दिल की इस खामोशी में अब ग़म नहीं है
तुझे खोने के बाद सब कुछ हलचल में बदल गया।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
तेरी वफ़ा का धोखा दिल में ग़म बन गया
जो था ख्वाबों में प्यारा, अब वो जहर बन गया।
तुमसे जो उम्मीदें थीं, वह सब टूट गईं
सपनों की जो थी उड़ान, अब वह असर बन गया।
हर पल तेरे प्यार की राहों में बिछा था
अब वो हर कदम खुद में एक डर बन गया।
तेरे बिना जो था रंगीन, अब वह सूनापन है
हर एहसास जो था जीवन, अब वह डर बन गया।
वो जो कभी था मेरा, अब वो कुछ भी नहीं है
तेरी वफ़ा का धोखा, अब ग़म बन गया।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें
दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें बस गईं
चाॅंदनी रातों में आहें अब सज़ा बन गईं।
वो लम्हे जो थे रोशन चिराग़ों की तरह
अब ॲंधेरों में काली परछाईयाँ बन गईं।
तेरे बिना हर ख़्वाब अधूरा सा लगता है
जो थी तस्वीर, वो दरककर धुऑं बन गईं।
तेरी वफ़ा का फ़साना जो कभी ख़ास था
अब हर बात में वो तेरे ख़लिश बन गईं।
तुझसे बिछड़कर हर ख़ुशी बेमानी है
दिल की दीवारें अब सिसकियाॅं बन गईं।
खंडहरों से जो गुज़रते हैं ये ज़ख़्म मेरे
तेरी यादें अब मेरी दवा बन गईं।
गज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
दिल के खंडहर में
दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें बसी रहीं
जो भी हुईं मुलाकातें, वो अधूरी सी रहीं।
तेरे बिना हर एक ख़्वाब सिसकता रहा
चाहतें जो थीं हमारी, वो बिखरती ही रहीं।
वो जो तेरा नाम लिया था हवा ने कभी
अब वही सर्द हवाएँ मुझे सताती रहीं।
दिल के वीरानें में तेरी तस्वीर रहीं
आँसू बनके हर ग़म में बहती ही रहीं।
तेरे वादों का दिया बुझ चुका है मगर
उसकी राख में चिंगारियाँ दहकती रहीं।
अब तो बस खंडहरों में तन्हाई का बसेरा है
तेरी यादें मेरी रूह से उलझती ही रहीं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
गजल
खंडहर में गूॅंजती यादें
दिल के खंडहर में गूॅंजती आवाज़ है
हर ओर बिखरी तेरी कोई बात है।
वो लम्हे जो तेरे संग रोशन थे कभी
अब सन्नाटों में डूबी हुई एक रात है।
दीवारों पे चिपकी तेरी तस्वीर है
जिनमें कैद बस एक अधूरी बात है।
तेरे वादों के साए जो जीने न दें
हर साॅंस अब दर्द की सौगात है।
जो चाहा था कभी, वो मिला ही नहीं
अब खंडहर ही ग़मों की निज़ात है।
यादें तेरी हर कोने में ठहरी हुईं हैं
दिल की वीरानी में बस उनकी ही बात है।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
दिल में गूॅंजती सदा
दिल के खंडहर में गूॅंजती सदा आई है,
तेरे वादों की कोई अधूरी दुआ लाई है।
जो सपने देखे थे तेरे साथ कभी,
अब उनकी राख चुपचाप हवा लाई है।
वो जो मुस्कान थी तेरे इशारों में बसी,
अब वही ऑंखों में ग़म की घटा लाई है।
तेरे बिना हर रास्ता वीराना लगा,
तेरी यादों ने हर गली सज़ा पाई है।
ख़ुद से लड़ते हैं हर रात इन तन्हाइयों में,
तेरे झूठे वादों की कसक फिर सज़ा लाई है।
दिल के खंडहर में अब तेरा नाम है,
जो एक ग़म का कारवाॅं हर तरफ़ लाई है।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
गूॅंजती यादें
दिल के खंडहर में अब सन्नाटा गहराता है,
हर कोना तेरी बेरुखी का फ़साना सुनाता है।
वो लम्हे जो तेरे साथ जी लिए कभी
अब ख़ामोशी में दर्द बताकर छुपाता है।
तेरी हँसी का सवेरा जो रौशन था कभी
अब ॲंधेरों का घना साया बन जाता है।
टूटे हुए ख़्वाबों की सरगम है हर तरफ़
जो दिल के हर ज़ख्म को फिर जगाता है।
तेरी तस्वीर धुॅंधली है, पर नज़र आती है
हर बार ये दिल तुझमें खुद को पाता है।
दिल के खंडहर में अब कोई रुके क्यों भला
बस एक वीरानी है जो साथ निभाता है।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
खंडहर में गूंजती सदा
ख़ामोश दीवारों ने कुछ राज़ बताए हैं
टूटे ख़्वाबों ने फिर से ऑंसू गिराए हैं।
वो खिड़कियाॅं जो खोलती थीं रोशनी का रास्ता
अब ॲंधेरों का ठिकाना बन गई हैं सदा।
जो मोम की तरह पिघलता था दिल कभी
अब पत्थरों में ढल चुका दर्द बनकर।
हर कोने में तेरे कदमों की आहट है
मानो तू लौट आए, पर बस ख़्वाब है।
दिल के खंडहर में अब रह गई है सिर्फ़
यादें, जो हर रात कहानी सुनाती हैं।
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