जब आप आगे बढ़ने लगते हैं, तो अक्सर आपके साथ चलने वाले और जानने वाले लोग आपके विरोधी बनने लगते हैं। आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन
जब आप आगे बढ़ने लगते हैं, तो अक्सर आपके साथ चलने वाले और जानने वाले लोग आपके विरोधी बनने यह एक मानसिक और सामाजिक प्रक्रिया है, जिसे मनोविज्ञान में असुरक्षा, ईर्ष्या और प्रतिस्पर्धा से जोड़ा गया है। मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी स्थिति और पहचान को बनाए रखने की कोशिश करता है, और जब किसी दूसरे व्यक्ति की सफलता उसकी अपनी स्थिति को चुनौती देती है, तो उसे मानसिक असुरक्षा और असंतोष का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि जब आप सफलता की ओर बढ़ते हैं, तो आपके आस-पास के लोग, जिनके साथ आप पहले थे, अब आपकी प्रगति को खतरे के रूप में देखने लगते हैं।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह समझा जा सकता है कि जब कोई व्यक्ति अपनी स्थिति में सुधार करता है, तो उसके साथ चलने वाले लोग खुद को असफल महसूस करने लगते हैं। इस भावना को "सोशल कॉम्पिटिशन थ्योरी" के तहत समझा जा सकता है, जिसमें लोग अपनी स्थिति की तुलना दूसरों से करते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की सफलता को अपनी असफलता के रूप में देखता है, तो उसे मानसिक असंतोष और ईर्ष्या होती है। यही असुरक्षा और ईर्ष्या के कारण विरोध और नकारात्मकता उत्पन्न होती है।
यह विरोध न केवल व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव और उलझन पैदा करता है, बल्कि यह समाज में भी असहमति और द्वंद्व को बढ़ावा देता है। एक अध्ययन (Gupta et al., 2015) के अनुसार, जब लोग किसी दूसरे की सफलता को अपनी असफलता के रूप में महसूस करते हैं, तो वे न केवल ईर्ष्या महसूस करते हैं, बल्कि अपने प्रयासों की नाकामी को स्वीकारने में भी कठिनाई का सामना करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, वे दूसरों के खिलाफ नकारात्मक भावनाएँ और विचार उत्पन्न करते हैं।
इसके अलावा, "आत्म-सम्मान सिद्धांत" (Tesser, 1988) भी इस मानसिकता को समझाने में सहायक है। इस सिद्धांत के अनुसार, जब किसी व्यक्ति के आस-पास के लोग सफलता प्राप्त करते हैं, तो यह उनके आत्म-सम्मान को चुनौती देता है, खासकर जब वे खुद उस स्तर तक नहीं पहुँच पाए होते। इसके चलते, उन्हें लगता है कि दूसरे की सफलता उनकी असफलता को उजागर कर रही है, और इस मानसिकता के कारण विरोध उत्पन्न होता है।
यह सिद्धांत हमें यह सिखाता है कि जब आप किसी सामाजिक या व्यक्तिगत लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं, तो विरोध का सामना करना स्वाभाविक है। यह विरोध उन लोगों से आता है, जो अपनी असुरक्षा और नाकामियों से जूझ रहे होते हैं। लेकिन यह विरोध यह साबित करता है कि आप अपनी दिशा में सही जा रहे हैं और आपकी सफलता समाज के लिए एक चुनौती है, जिसे कुछ लोग स्वीकार नहीं कर पाते।
इसलिए जब आप आगे बढ़ते हैं और सफलता की ओर बढ़ते हैं, तो यह एक संकेत है कि आप अपने मार्ग में सही दिशा में चल रहे हैं, और आपको इस विरोध से डरने की बजाय इसे एक प्रेरणा के रूप में लेना चाहिए। यह विरोध केवल उन लोगों से आता है जो अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए दूसरों की सफलता को नकारात्मक रूप में देखते हैं। आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर ने अपनी कला और कार्यों के माध्यम से इस मानसिकता को चुनौती दी है और समाज में सकारात्मकता फैलाने के लिए कार्य किया है, ताकि लोग इस विरोध से परे जाकर अपनी सफलता को मान्यता दे सकें।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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