1
ग़ज़ल
जो वक्त था
जो वक़्त था, वो फ़िर न लौटेगा कभी
तेरी यादें अब मेरी सौगात हैं सभी।
जिन्हें चाहा था दिल से मैंने कभी
उनसे अब कोई उम्मीद नहीं रही।
हर दर्द अब तो मुस्कान बन चुका है
जो था ग़म, वो अब राहत बन चुका है।
कुछ लम्हे अब आँखों में रुकते नहीं
जो कभी थे, वो अब पास आते नहीं।
जीते जी तो हम सब ने खो दिया
मगर मौत के बाद हम फ़िर से जोड़े गए।
जो था मेरा, वो अब तेरा हो चुका
कभी पास था, अब वो सपना हो चुका।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
वो मिला नहीं
जो हमें चाहिए था, वो कभी मिला नहीं
इस रास्ते में फ़िर हमें तेरा प्यार मिला नहीं।
तू गया तो दिल का ख़ालीपन बढ़ गया
लेकिन तुझसे बढ़कर अब कोई मिला नहीं।
चाहतें थीं बहुत, मगर हासिल नहीं हुईं
मेरे अरमान में तुझ सा कोई मिला नहीं।
हर रोज़ नए सपने सजाते थे हम
लेकिन उन सपनों में कोई तुमसा मिला नहीं।
तू गया तो खामोशियाँ बनीं रूह का हिस्सा
दिल में जो दर्द की आवाज़ थी वो कोई सुन नहीं
जो तुझसे बिछड़ा, वो ख़ुद से भी खो गया
अब दिल में वो भी कभी जीता नहीं।
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3
ग़ज़ल
ख़ुद को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते खो गया हूँ मैं
हर उम्मीद को दिल से छोड़ा गया हूँ मैं।
वक़्त की धारा में बहते-बहते
अब तो ख़ुद से ही दूर हो गया हूँ मैं।
जो कभी था दिल में तेरा नाम
अब उसी नाम से डर गया हूँ मैं।
कभी रौशनी थी राहों में अपनी
अब ॲंधेरों में खो गया हूँ मैं।
वो पल, वो लम्हे, जो साथ तूने दिया
अब अकेले सन्नाटों से घिर गया हूँ मैं।
तू था मेरे साथ जब मेरा था अस्तित्व
अब तुझसे दूर, बहुत तन्हा हो गया हूँ मैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
दिल के दरिया
दिल के दरिया में अब किनारा नहीं रहा
उसकी यादों का कोई सहारा नहीं रहा।
सपनों का शहर अब वीरान हो गया
जहाँ बसते थे वो, नज़ारा नहीं रहा।
हर ग़म को सीने में दबा लिया है मैंने
अब किसी दर्द का इज़हार नहीं रहा।
वो लम्हे, जो कभी ख़ुशबू से भरे थे
अब उनमें कोई भी ख़ुमार नहीं रहा।
वक़्त ने हमसे सब कुछ छीन लिया
अब ज़िंदगी में वो निखार नहीं रहा।
जो तुझसे जुड़ा था, सब टूट चुका है
अब रिश्तों का कोई भी पुकार नहीं रहा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
लम्हों का साथ
जिन लम्हों ने साथ निभाया था, खो गए
वो ख़्वाब जो आँखों में आए थे, सो गए।
दुनियाॅं के रंग में बदलते रहे सब
हम अपने ही साए में कहीं खो गए।
वो बातों की ख़ुशबू, वो हँसी के पल
जो कभी थे हमारे, कहाँ वो चले गए।
हर दर्द को दिल से लगाया हमने
पर वो घाव भी अब धुँधले हो गए।
वो चेहरा, जो दिल का सुकून था कभी
आज यादों के जाल में बिखर के रह गए।
जो सफ़र शुरू हुआ था तेरे नाम से
उस सफ़र के निशाँ भी अब मिट गए।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
ख़्वाबों का किनारा
ख़्वाबों का कोई किनारा नहीं मिला
मंज़िल का भी कोई इशारा नहीं मिला।
हर राह में ढूँढा तुझे बार-बार
लेकिन तेरा कोई सहारा नहीं मिला।
दिल की ज़मीन बंजर सी हो गई
फूलों का फ़िर से नज़ारा नहीं मिला।
जो दर्द छुपा था लफ्ज़ों के बीच
उस दर्द का भी गमख़्वारा नहीं मिला।
वो वादे, जो किए थे तुझसे कभी
उनका निभाना गवारा नहीं मिला।
ज़िंदगी ने दिए लाख सबक हमें
पर सुकून का भी खज़ाना नहीं मिला।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
सुनाने की चाह
जो कहा नहीं, वो सुनाने की चाह थी
ख़ामोशी में भी एक तराने की चाह थी।
दिल ने माॅंगी थी बस थोड़ी सी राहत
मग़र हर ग़म को छुपाने की चाह थी।
वो जो अपना था, अब पराया हो गया
फिर भी रिश्ते को निभाने की चाह थी।
सफ़र तो तय हुआ, मग़र तन्हा ही सही
हर मोड़ पर मुस्कुराने की चाह थी।
चाहा था एक रोशनी का सहारा मिले
ॲंधेरों में भी दीप जलाने की चाह थी।
दिल ने टूटकर भी ख़्वाब देखे बहुत
हर ख़्वाब को सजाने की चाह थी।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
हासिल हुआ
जो हासिल हुआ, वो खोने का डर रहा
हर ख़ुशी के पीछे ग़मों का असर रहा।
चाहतें थीं मग़र अधूरी ही रह गईं
हर आरज़ू पे वक़्त का पहरा कसर रहा।
हमने संभाला हर ज़ख्म मुस्कान से
पर दिल के कोने में टीस का घर रहा।
मंज़िलें पास आईं, फिर दूर हो गईं
हर सफ़र में कहीं अकेलापन भर रहा।
वो जो था कभी अपने ख़्वाबों का जहाॅं
अब टूटे ख़्वाबों का एक नगर रहा।
तेरे बग़ैर ज़िंदगी जी तो रहे हैं हम
मग़र हर पल तेरी कमी का असर रहा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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