1
ग़ज़ल
जब मैं मुस्कुरा राता हूॅं
मैं जब मुस्कुराता हूॅं, तो कुछ ग़मगीन होते हैंमेरी रौनक से जलने वाले ज़मीन होते हैं।
कभी जो छुपके बैठे थे मेरी परछाईं में
आज वही मेरे सूरज से मलीन होते हैं।
उन्हें ख़बर नहीं मेरे इरादों की उड़ान की
जो समझते हैं कि मेरे जख़्म नमकीन होते हैं।
जहाॅं उम्मीद के दीप जलाए मैंने चुपचाप
वहीं साजिशों के साए भी कमीन होते हैं।
मैं चल रहा हूॅं अपनी राह पर यक़ीन से
जो देख रहे हैं दूर से, ग़मगीन होते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
मैं जब भी हॅंस पड़ा
मैं जब भी हॅंस पड़ा, उनके सवाल गहरे थे
जो कल थे साथ मेरे, अब फ़िज़ूल पहरे थे।
मेरी उड़ान से चौंकें जो आज ख़ामोश हैं
वही कहेंगे कल, रास्ते बहुत सुनहरे थे।
खु़शबुओं का ये सफ़र यूॅं ही नहीं बना
चमन के हर ग़ुलाब में छुपे कुछ ज़हर थे।
सफ़र की धूल ने मुझको चमका दिया
जो काॅंटों पर हॅंसे, वही मेरे कहकहे थे।
हर दर्द को मैंने अपने दिल में छुपा लिया
वो सोचते थे अश्क मिरे महज़ ठहरे थे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
ख़्वाब
जो ख़्वाब मेरे थे, वो नज़रें चुराएंगे,
मेरी हर जीत पर लोग खि़स्से बनाएंगे।
मैं अपनी राह में काॅंटे बिछाने वालों से,
चमन के फूल बनकर ज़वाब दिलवाएंगे।
जो आज रोशनी से नजरें चुरा रहे हैं,
कल मिरे नाम का दिया जलाएंगे।
ॲंधेरों से जो लड़कर उजाला लाया हूॅं
वो मेरे जज्बे की कहानियाॅं सुनाएंगे।
मुझे गिराने की कोशिशें हुईं थीं लाख मग़र
मेरे मुकाम पर झुककर सलाम करेंगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
ख़ुद ही पिघलते हैं
मैं जब ख़ुश हूॅं, तो कुछ तो दिल में जलते हैं
जो हसरतें मेरे लिए, वही ख़ुद ही पिघलते हैं।
जिन्हें लगता था कि मेरी राहें रुक जाएंगी
वो अब मेरी मंजिलों के पीछे चलते हैं।
मेरी ख़ामोशी में, जो समझते थे ग़म की बात
वही अब मेरी हॅंसी के लम्हे खोजते हैं।
जो चलते थे मेरी सफ़लता से दूर कभी
अब वही रास्ते मेरे साथ चलते हैं।
मेरी हिम्मत से डरकर, जो कभी बिखरे थे
अब वो मेरी सियाही से नयी रचनाएँ लिखते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
मेरी ख़ुशी से जलन
मेरी ख़ुशी को देखकर कुछ तो जलते होंगे
वो कभी मेरे ऑंसू पर हॅंसी उड़ाते होंगे।
मैंने तो जी लिया हर दर्द को गले लगाकर
मग़र वो जिनसे कोई उम्मीदें जताते होंगे।
मेरे रास्तों की धूल में अब चमक है समाई
जो कभी मेरे क़दमों को नापते जाते होंगे।
जो कल मुझे गिराने के ख़्वाब देखते थे
आज मेरे साथ उनके सिर झुके होते होंगे।
सिर्फ़ मेरी मुस्कान से जो दूर थे पहले
अब वो मेरे ग़मों को भी अपने साथ लाते होंगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
बेचैन
मेरी खुशियों को देखकर कुछ तो बेचैन होंगे
जो कभी मेरे ग़म में चुपके से शामिल थे।
मैंने हर दर्द को सीने में छुपाया है गहरे
मग़र वो अब मेरी हॅंसी में ही शामिल होंगे।
जो काॅंटे बोते थे राहों में कभी मेरे
आज फ़ूल बनकर मेरे क़दमों में बिछाएंगे।
हर एक पल में मैंने ख़ुद को तराशा है
मग़र वो लोग अब मेरी सूरत पे फ़िदा होंगे।
जो कल मेरी बर्बादी के ख़्वाब देखते थे
आज मेरी कामयाबी से हैरान होंगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
जब भी हॅंसता हूॅं
मैं जब भी हॅंसता हूॅं, कुछ तो ख़ामोश होते हैं
जो मेरी राहों में काॅंटे बोते थे, वो ही घायल होते हैं।
मेरी बढ़ती हुई हिम्मत से अब वो डरते हैं
जो कल मेरे सपनों को चुराते थे, आज वो बेकार होते हैं।
मेरे हर एक क़दम में ताकत का एहसास है
जो सोचते थे मैं रुक जाऊॅं, वो ही अब निराश होते हैं।
जो कभी मुझे गिराने के लिए साजिशें करते थे
अब मेरी सफ़लता को देखकर सिर्फ़ चुप रहते हैं।
मेरे दर्द को जो देख रहे थे हॅंसी में बदलते
अब वही मेरी मुस्कान में अपने सवालों को पलते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
8
ग़ज़ल
मेरे ख़्वाबों से
मेरे ख्वाबों से जलने वाले अब कैसे बुझेंगे
जो मेरी राह में काॅंटे थे, वो अब फ़ूल होंगे।
मेरी हॅंसी को देखकर अब दिलों में घबराहट होगी
जो कभी मेरे ग़म में रास नहीं आते थे, अब सिखेंगे।
जो मेरी तकलीफों पर मुस्कुराते थे ग़लती से
अब मेरी खु़शियों को देखकर दुआ करेंगे।
मैंने हर दर्द को अपना साथी बना लिया है
अब वही लोग मेरे साथ चलते होंगे, जिनका रास्ता कभी और था।
मैंने ख़ुद को आज़माया और हर ग़म को जीते
जो सोचते थे कि मैं टूट जाऊॅं, वो अब ख़ुद टूटे होंगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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