Friday, December 13, 2024

ग़ज़ल 57

1
ग़ज़ल
मैं ख़ुश हूॅं मेरी खुशियों से कुछ तो परेशान होंगे,
मग़र मेरी उड़ानों से कई हैरान होंगे।

चमकते हैं सितारे जब मेरे आसमान में,
ज़मीं के लोग मुझसे कुछ सवालान होंगे।

ख़ुशी के गीत गाऊॅं, दिल में रोशनियाॅं हों,
मेरी हर एक धड़कन पर निगहबान होंगे।

चलूं जब भी मुसाफ़िर बनके इस राह-ए-हयात में
मेरे सफर पे गुमां करते कुछ इंसान तो होंगे।

हवा के रुख़ बदल देंगे मेरे इरादे जब
तो मेरी कामयाबी के चर्चे आम होंगे।

ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल
मैं ख़ुश हूॅं
मैं ख़ुश हूॅं मेरी खु़शियों से कुछ तो परेशान होंगे
जो जल रहे हैं दिल में, वही तो हैरान होंगे।

खिलेंगे फूल उम्मीदों के हर एक राह पर
मेरे बढ़ते क़दमों से नए अफसाने होंगे।

नज़रें झुकी होंगी उनकी, अदाएं होंगी और
जो बातें करते थे, आज वो अनजान होंगे।

मेरा हर ख़्वाब सच होकर चमकेगा इस कदर
कि मेरे जश्न में शामिल सारा ज़हान होंगे।

ज़लन के आग में जलते हैं जो आज यहाॅं
कल मेरे नाम की ख़ुशबू से महकान होंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
ग़ज़ल 
विरान होंगे 
मैं खुश हूॅं मेरी खुशियों से कुछ तो परेशान होंगे
मेरे ज़ुनून के किस्से सभी के ज़ुबान होंगे।

जहाॅं में रोशनी फैली, तो आंखें चौंधियाॅं गईं
मेरे चिराग़ ज़लते ही कई बेनिशान होंगे।

हवा के साथ बहना तो हर किसी को भा गया
मग़र जो डटके लड़ते हैं, वही पहचाने जायेगें।

मिरे सफ़र में काॅंटे थे, मग़र हौंसला बड़ा
जो देखेंगे अंजाम, वही हैरान होंगे।

ख़ुशी से जी रहा हूॅं मैं, ये उनको खल रह
जो सोचते थे सदियों तक मेरे विरान होंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल 
हौसलों के परचम
मेरे हौंसलों के परचम से कुछ तो घबराएंगे
हर मोड़ पर वो मेरे क़दमों के निशां पाएंगे।

जो संग थे कभी, आज क्यों ख़ामोश हो गए
वो वक्त की सियासत में खुद को भुलाएंगे।

मुस्कानों की रोशनी से रोशन जहाॅं हुआ
ॲंधेरों में छुपे चेहरे भी सामने आएंगे।

जो देखना चाहते हैं मुझे गिरते हुए कभी
वो मेरे आसमान को अब सर उठाएंगे।

जिन्हें खलती थी मेरी हर छोटी सी कामयाबी
वो कल मेरे ही जश्न में हाथ मिलाएंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल 
मेरे ख़्वाबों की उड़ान 
मेरे ख़्वाबों की उड़ानों से कुछ तो घबराएंगे
हर सितारे से मेरी राह के क़िस्से सुन पाएंगे।

जो छुपाते थे नफरत, अब वो चेहरे खुलेंगे
आज मुझसे दूर हैं, कल करीब नज़र आएंगे।

हवा के रुख़ से लड़कर मैंने सफ़र किया है
मेरी जीत देखकर कई सबक उठाएंगे।

जहाॅं उम्मीदें बुझीं थीं, वहां चिराग़ जलेंगे
जो कल ॲंधेरा बोते थे, वही रोश़नी लाएंगे।

जो मेरे गिरने की दुआएं किया करते थे
अब वो मेरे गीतों को गुनगुनाते पाएंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल 
मेरी उड़ान 
मेरी उड़ान के रंगों से कुछ तो हैरान होंगे
जो कल ख़फ़ा थे मुझसे, वही तो मेहरबान होंगे।

खु़शबुओं का सिलसिला हर तरफ जो छेड़ दूॅं
चुपके से बात करने को कई परेशान होंगे।

जो काॅंटे बो रहे थे, वो अब समझेंगे बात
मिरे फूलों की महक से सब परेशान होंगे।

सफ़र में धूप थी, पर हिम्मत साथ थी
अब छाॅंव देख के वो लोग हैरान होंगे।

मैं रोशन कर दूॅंगा हर ॲंधेरी गली को
जिन्होंने ताने दिए, वो भी शुक्रगुजार होंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल 
मेरी मुस्कान 
मेरी मुस्कान से दिलों में हलचलें होंगी,
खु़शियाॅं मेरी देखकर कई शिकवे होंगे।

जो मेरे रास्ते से बचकर चले थे कभी,
अब उन्हीं के ख़्वाबों में मेरे क़िस्से होंगे।

चमक जो मेरी ऑंखों में आज झलक रही,
कभी इसे मिटाने वाले खुद धुंधले होंगे।

ज़माना देखेगा मुझको नई ऊॅंचाई पर
जो पीछे छूटे थे, वहीं उलझे होंगे।

मैंने हर ग़म को जीतकर बनाया ज़हाॅं 
अब उस ज़हाॅं के राही मेरे अपने होंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
ग़ज़ल 
मेरी ख़ुशी के चिराग़
मेरी ख़ुशी के चिराग़ों से कुछ तो जल जाएंगे
जो छुपकर बैठते थे, अब सामने आएंगे।

हवा में गूॅंज रही है मिरी मेहनत की सदा
सुना है मेरे दुश्मन भी दुआ पढ़ जाएंगे।

जो राह में बिछाए थे काॅंटे किसी ने कभी
वही मिरे गुलशन में फूल बन जाएंगे।

मिरी हॅंसी का जवाब उनके पास क्या होगा
जो अश्क़ देकर मुझको मुझसे रूठ जाएंगे।

मैं रोशनी का समंदर हूॅं, बुझा नहीं सकते
जो ॲंधियारे थे कल तक, वही अब छुप जाएंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 



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