हम तब भी अपने वादों पर खड़े थे, आज भी अपने वादों पर खड़े हैं।
वक़्त बदला, हालात बदले, रिश्तों की परिभाषाएँ बदलीं
मगर हमारी जुबान की सच्चाई आज भी वही है
जो कल थी, जो कल भी रहेगी।
जिसको जहां जाना हो, जाए
जिसको बेवफा होना है, हो जाए।
हमने न कभी राहों को रोका, न किसी के इरादों को बाँधा
जो साथ चला, वो भी अपना, जो छोड़ गया, उसकी भी मरज़ी।
मोहब्बत और वफ़ा के मायने अगर बदलते हैं
तो बदलने दो, हमें परवाह नहीं।
हम नफरत से नहीं, मोहब्बत से जिए हैं
आज भी उसी सोच पर अडिग खड़े हैं।
रिश्ते सौदों में बदल जाएं, तो अफ़सोस नहीं
हमने न खरीदा, न बेचा, सिर्फ़ निभाया है।
जो लौटकर आए, दरवाज़ा खुला है
जो मुड़कर न देखे, उसके लिए भी दुआएँ हैं।
हम तब भी अपने वादों पर खड़े थे
आज भी अपने वादों पर खड़े हैं।
*आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर*
*लेखक SWA MUMBAI*
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