Sunday, June 15, 2025

अगर आप थोडा सा आगे बढ़ आइये तो जलन रखने वाले बहुत पैदा हो जाते हैं आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन


अगर आप थोडा सा आगे बढ़ आइये तो जलन रखने वाले बहुत पैदा हो जाते हैं आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन

अगर आप थोड़ा सा आगे बढ़ आइये, तो जलन रखने वाले बहुत पैदा हो जाते हैं — यह वाक्य महज़ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि गहरी सामाजिक और मनोवैज्ञानिक सच्चाई का आईना है। जैसे ही कोई व्यक्ति अपने सीमित दायरे से बाहर निकलता है, आत्मनिर्भरता और आत्मविकास की दिशा में कदम बढ़ाता है, तो समाज में ऐसे कई लोग अचानक सक्रिय हो उठते हैं जिन्हें उसकी यह तरक्की चुभने लगती है।
यह जलन दरअसल उसकी सफलता नहीं, बल्कि उनकी असफलता की झुंझलाहट होती है। वे उस आईने से डरते हैं जिसमें उनकी निष्क्रियता, उनकी आत्महीनता, उनकी जड़ता साफ दिखती है।मनोविज्ञान के अनुसार, जब कोई व्यक्ति लगातार प्रयास करके किसी लक्ष्य को प्राप्त करता है, तो वो दूसरों के भीतर दबे हुए हीनभाव और तुलना की प्रवृत्ति को सक्रिय कर देता है। यह तुलना भीतर-ही-भीतर आत्मघातक होती है, क्योंकि जलन रखने वाला व्यक्ति खुद प्रयास नहीं करता, पर चाहता है कि दूसरा भी वहीं रुक जाए जहाँ वह है।

आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर के अनुभव इसी सोच को पुष्टि देते हैं। जब उन्होंने गांव के एक सामान्य परिवेश से निकलकर कला, शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में लगातार प्रगति की, तो तालियाँ कम और आलोचनाएँ अधिक सुनने को मिलीं। लोग कहने लगे – "ये कैसे आगे निकल गया?" कुछ ने कहा – "पहुंच होगी, तभी मिला होगा सब," जबकि किसी ने उसके परिश्रम, तपस्या और वर्षों की साधना की बात नहीं की।एक बार एक विद्यालय में उन्होंने बच्चों के लिए पर्यावरण पर चित्र प्रदर्शनी लगाई। उद्देश्य था – बच्चों में प्रकृति के प्रति संवेदना और वैज्ञानिक सोच को जागृत करना। लेकिन कुछ सहकर्मी जलन में पड़कर यह बात फैलाने लगे कि "ये सब दिखावा है, खुद को महान साबित करने की कोशिश है।"यहाँ प्रश्न यह नहीं कि किसने क्या कहा, बल्कि यह कि जब भी कोई व्यक्ति नया करता है, समाज को दिशा देने का प्रयास करता है, तो उसकी नीयत नहीं, बल्कि नीयत का बहाना खोजकर उसकी छवि को धुंधलाने की कोशिश की जाती है। यही जलन है।प्रेरणा इस बात में है कि जब आप जान जाएं कि लोग आपकी सफलता से जलते हैं, तो समझ लीजिए — आप सही रास्ते पर हैं। जलन सफलता की वह छाया है, जो केवल उसी पर पड़ती है जो ऊंचाई की ओर बढ़ रहा हो। ठहरे हुए पानी पर कोई पत्थर नहीं फेंकता।इसलिए अपने मार्ग पर डटे रहिए। जो जलते हैं, वे बुझा नहीं सकते। उनकी जलन की आग, आपकी आत्मा की लौ को और तेज करेगी। और अंततः इतिहास उन्हीं के नाम होता है, जो तमाम विरोध और ईर्ष्या के बीच अपने कर्म और उद्देश्य में अडिग रहते हैं।

"अगर आप थोड़ा सा आगे बढ़ आइये, तो जलन रखने वाले बहुत पैदा हो जाते हैं,
लेकिन यह मत भूलिए — सूरज अकेला ही जलता है, तभी पूरी धरती रोशन होती है।"

आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
लेखक SWA MUMBAI

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