नौकरी गाड़ी घोड़ा पैसे और राजनीति से कोई बड़ा नहीं होता बड़ा होता है आदमी व्यक्तित्व से । आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंत
नौकरी, गाड़ी, घोड़ा, पैसे और राजनीति ये सभी केवल बाहरी दिखावे के प्रतीक हैं, जो किसी व्यक्ति की सामाजिक हैसियत तो दर्शा सकते हैं, परंतु उसकी असल महानता या मूल्य को नहीं। यह एक भ्रम है जो समाज ने खुद रचा है—कि जिसके पास अधिक भौतिक संसाधन हैं, वही सबसे योग्य है। लेकिन अगर इतिहास और वर्तमान को ध्यान से देखें तो यह सत्य उजागर होता है कि व्यक्ति की सच्ची पहचान उसके चरित्र, सोच, और कार्यशैली से होती है, न कि उसके पद, प्रतिष्ठा या धन से।जिस प्रकार एक पेड़ को उसकी छाया और फल से जाना जाता है, न कि उसकी ऊँचाई से, वैसे ही इंसान को उसके व्यक्तित्व से पहचाना जाना चाहिए, न कि उसकी संपत्ति या राजनीतिक पकड़ से। मनोविज्ञान भी यही कहता है कि बाहरी उपलब्धियों से आत्ममूल्य का निर्धारण करना व्यक्ति को निरंतर असुरक्षा, तुलना और अहंकार की ओर ले जाता है। वहीं जो व्यक्ति आत्मचिंतन, करुणा और विनम्रता से जीता है, वह दूसरों के जीवन में वास्तविक परिवर्तन ला सकता है।ध्यान दें कि बहुत से लोग जिनके पास गाड़ियाँ हैं, ऊँची नौकरियाँ हैं या राजनीतिक ताकत है, वे अकेलेपन, अविश्वास और आंतरिक खालीपन से जूझ रहे हैं। वहीं एक साधारण दिखने वाला इंसान, जिसने अपने व्यवहार, सोच और सेवा से लोगों का हृदय जीत लिया है, वह सच्चे अर्थों में बड़ा होता है। यही बात महात्मा गांधी, बाबा आमटे या मदर टेरेसा जैसे लोगों ने साबित की—कि व्यक्तित्व की ऊँचाई ही असल ऊँचाई होती है।एक शिक्षक जिसकी वाणी से परिवर्तन होता है, एक कलाकार जिसकी कला समाज को दिशा देती है, एक मजदूर जो ईमानदारी से अपने श्रम को पूजता है—ये सभी उस ‘बड़े आदमी’ की श्रेणी में आते हैं, जिनकी पहचान पद या पैसा नहीं, बल्कि उनका व्यक्तित्व है।इसलिए जरूरी है कि हम बच्चों को बचपन से यह सिखाएं कि नौकरी या पैसा जीवन का साधन हैं, साध्य नहीं। उन्हें खुद के भीतर झांकने की प्रेरणा दें, ताकि वे आत्मनिर्भर, मूल्यवान और समाज के लिए उपयोगी बन सकें।बड़ा वही होता है जो अपने विचारों से बड़ा हो, जो दूसरों के सम्मान में छोटा बन सके और जो दिखावे के शोर में भी सादगी और संवेदनशीलता की आवाज़ को जीवित रख सके। यही चिंतन आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर की सोच को विशेष बनाता है—जहाँ मनुष्य की महानता उसके व्यक्तित्व में बसती है, न कि उसके संसाधनों में।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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