1
ग़ज़ल
मिली ख़्वाबों को जो सूरत, वो दिल से मिट नहीं पाई,
ख़ामोशी थी वहां लेकिन, सदा कुछ कह नहीं पाई।
खिले थे फूल राहों में, वो खुशबू साथ थी उनके,
मगर मेरी निगाहों से, ये दूरी सह नहीं पाई।
कभी वो साथ चलते थे, कभी वो पास होते थे,
मगर इन सांसों की उलझन, कहीं पर रह नहीं पाई।
नजर में उनकी मासूमियत, न जाने क्या बसी थी यूं,
दिलों की बात ये समझें, ज़ुबां तो कह नहीं पाई।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
तेरा चेहरा जो देखा है, तो अब देखा नहीं जाता,
वो इक मंजर बसा दिल में, जो अब भुलाया नहीं जाता।
चली है बात सादगी की, कोई रंगीन लहजा है,
बयाँ हर दर्द हो लेकिन, कभी समझाया नहीं जाता।
तन्हाई की ये रातें हैं, मगर ये दिल तो जागे है,
तेरी यादों का दरिया है, जो सूखाया नहीं जाता।
ख़ता थी किसकी, किस्मत थी, ये दिल ने खुद से पूछा जब,
कोई मुझसे ये सच लेकिन कभी बतलाया नहीं जाता।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
कभी जो साथ चलता था, वो अब मिलता नहीं मुझसे,
वो रिश्ता जो पुराना था, वो अब सुलझा नहीं मुझसे।
तेरी यादों का आलम है, जिया जाता नहीं मुझसे,
तेरी चाहत की चादर को, कभी उलझा नहीं मुझसे।
हर इक लम्हा तेरे बिन यूं, मुझे तड़पा के जाता है,
ये दर्द-ए-दिल का क़िस्सा अब, कहीं भुलाया नहीं मुझसे।
वो खामोशी, वो तनहाई, कई रंजिशें हैं रग-रग में,
तेरे जाने के सदमे से, कभी उबरा नहीं मनसे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
तेरी ख़ामोश नज़रों में कोई पैगाम रहता है,
न जाने क्या सदा दिल में, सदा बेनाम रहता है।
तेरी यादों की गहराई में दिल को डूब जाना है,
समुंदर होके भी शायद वो यूँ ही प्यासा रहता है।
तेरी बातों का जादू भी अब तन्हा-सा दिखाई दे,
हर इक ख़्वाब अधूरा सा, तेरे बिन शाम रहता है।
चलो मानो ये रिश्ते भी कुछ मजबूरियों में हैं,
मगर दिल से कहो अब तक वो क्यों बदनाम रहता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
तेरी राहों में दिल रखकर कभी लौटे नहीं हम तो,
तुझे पाकर भी अब तक हैं, मगर पूरे नहीं हम तो।
वो चाहत का सफ़र था या कोई ख्वाब बिखरा सा,
तेरी उम्मीद में अब तक कभी टूटे नहीं हम तो।
तेरे लहजे में खो जाने की हसरत थी सदा दिल को,
मगर तू दूर है फिर भी तुझे भूले नहीं हम तो।
गिला तकदीर का हमको नहीं, शिकवा भी क्या कर लें,
तेरी राहों में हर ग़म से कभी रूठे नहीं हम तो।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
बसा है दिल में वो चेहरा, मगर मिलता नहीं हमसे,
न जाने कौन सा रिश्ता, जुड़ा रहता है ये हमसे।
हज़ारों ख़्वाब थे अपने, मगर कुछ भी नहीं अपना,
वो सपना भी है आंखों में, जो मिलता ही नहीं हमसे।
हमारी चाहतों का रंग भी फीका सा पड़ जाए,
कई रंजिश में वो छुपकर जुदा रहता है ये हमसे।
कभी तन्हा हुए हम जब, उसे आवाज़ दी दिल से,
मगर खामोशियों में भी सदा कहती नहीं हमसे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
कहाँ से लाऊँ वो लम्हें, जो संग तेरे बिताए थे,
वो खुशबू अब भी सांसों में, जो तूने यूँ सजाए थे।
तेरी यादों की परछाई, मेरी रूह को सहलाती,
वो कुछ अनकही बातें, जो तेरी ख़ामोशी में छिपाए थे।
दिल की सूनी राहों में अब बस खामोशी है,
वो ताजगी नहीं बाक़ी, जो तूने मुस्कुराए थे।
तुझे पाया तो था लेकिन, तुझे खोकर ही जाना ये,
वो लम्हे जिंदगी के थे, जो तुमसे ही चुराए थे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
तेरे ख्वाबों की रंगत से सजा करते थे हम अक्सर
तू पास नहीं था लेकिन, तुझे चाहा किए हम अक्सर।
तू हो या न हो साथ मेरे, ये दिल को था यकीं तुझ पर
तेरी धड़कन की आवाज़ें सुना करते थे हम अक्सर।
तेरी बातें, तेरी यादें, तेरी खुशबू बसी ऐसे
ख़ुद अपनी रूह से भी दूर रहा करते थे हम अक्सर।
तेरी तन्हाई की ख़ातिर, हर इक दर्द सहा हमने
तेरे बिना भी हँसने की अदाएँ करते थे हम अक्सर।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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