1
ग़ज़ल
दिल की राहों में अब कोई उजाला क्यों नहीं होता
वो चेहरा देख कर फिर से सवेरा क्यों नहीं होता।
कई अफ़साने हैं दिल में, कई क़िस्से अधूरे हैं
मगर अब इस जहाँ में वो नज़ारा क्यों नहीं होता।
तेरी खुशबू से जुड़ी थीं मेरी सारी ख्वाहिशें
तेरे जाने के बाद दिल को समझाना क्यों नहीं होता।
वो लम्हें फिर नहीं आते, वो बातें फिर नहीं होतीं
तेरी यादों में अब वैसा सहारा क्यों नहीं होता।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
----------------------------
2
ग़ज़ल
तेरे बिना ये सन्नाटा, मुझे तन्हा कर गया है
हर एक लम्हा तेरा साथ, अब मुझसे छिन गया है।
वो बातें, वो हंसी, अब तो बस यादों में रह गईं
तेरे संग बीती जो शामें, अब तो वो ख्वाबों में रह गईं।
किसी को खोजते हैं, पर तेरा नज़ारा नहीं मिलता
कभी जो पास थे हम, वो अब तो मेरा प्यारा नहीं मिला।
दिल के वीराने में अब, कोई साया भी नहीं तेर
तेरे बिन ये जीवन, बस एक अधूरा सा सफ़र
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
-----------------------------
3
ग़ज़ल
तेरे जज़्बात की गहराई, मुझे समझी नहीं जाती
किसी ख़्वाब की तरह अब, ये आँखें भी भर नहीं जाती।
तेरे बिना ये तन्हाई, मेरी हर ख़ुशी को छीन ले
तेरे ख्यालों की शमा अब, किसी को भी जला नहीं जाती।
तू जो पास होता, हर दर्द से मैं बेगाना रहता
तेरे जुदा होने से हर धड़कन भी डर नहीं जाती।
मिलते हैं जब यादों में, वो लम्हें रह जाते हैं
तेरे बिना ये दुनिया अब, मुझे अच्छी नहीं लगती
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
------------------------------------
4
ग़ज़ल
तेरी खुशबू से महका है, ये दिल मेरा हर रोज़
तेरे बिन अधूरा लगता, ये जहां मेरा हर रोज़।
तेरी बातें याद आती हैं, जब भी चाँद निकला है
तू पास हो तो सारा जहां, लगे मेरा हर रोज़।
तेरे बिना ये तन्हाई में, वक्त थम सा जाता है
तेरे संग बिताए लम्हे, सहेजूँ मैं हर रोज़।
तेरे जाने के बाद भी, तू मेरा ख्वाब बना है
तेरे नाम से रोशन है, ये दिल मेरा हर रोज़।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
--------------------------------
5
ग़ज़ल
तेरे साये से भी मिलना, अब आसान नहीं लगता
हर रास्ता तन्हाई का, मुझे मानों पहचान नहीं लगता।
तेरे बिना ये चाँदनी रातें, हैं सुनी सुनी सी अब
हर एक तारा भी मुझको, जाने क्यों अनजान नहीं लगता।
कभी जो पास थे तुझसे, वो लम्हे अब याद आते हैं
तेरे जाने के बाद मुझको, कहीं भी सुकून नहीं लगता।
हर ख्वाब में अब तेरा अक्स, है छाया सा कहीं मुझमें
तेरी खुशबू से भरा ये दिल, मगर बेगानापन नहीं लगता।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
-------------------------------------
6
ग़ज़ल
तेरे जाने से दिल की, ये दीवारें भी चूर हैं
तेरे बिना ये ज़िंदगी, अब बेकार सी दूर हैं।
कई हसीन ख्वाब बुनते, जब तू पास होता था
तेरी यादों में अक्सर, अब ये दिल बेताब होता है
तेरे अल्फाज़ों की मिठास, मुझे आज भी भाती है
मगर हर लम्हा तेरे बिना, ये तन्हाई भी लाती है।
तेरे इंतज़ार में कटती, हर एक रात ये मेरी
तू जब से दूर गया है, सब कुछ अब अधूरा अधूरा है
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
--------------------------------------
7
ग़ज़ल
आज की रात तेरी याद फिर आयी
दिल के वीराने में फरियाद फिर आयी।
चुप थी जो रातों से तन्हाई मेरी
उसमें तेरी आहट की साज़ फिर आयी।
सूना था दिल, बेख़बर खामोशियों से
तेरे वादों की वो आवाज़ फिर आयी।
तोड़ कर सारे भरम, खुद से पूछा
क्या उसे भी मेरी याद फिर आयी?
तू जो बिछड़ा, तो लगने लगा ऐसे
जैसे उजड़े चमन में बहार फिर आयी।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
---------------------------------------
8
ग़ज़ल
तेरे बिन ये पल अधूरे, न जाने क्या करूँ अब मैं,
हर लम्हा तेरा एहसास, तेरे दिल में है ठहरा अब मैं।
तेरे ख्वाबों का सफर, अब तन्हाई में गूंजता है,
तेरी यादों की परछाईं, हर सुबह मुझसे पूछता है।
किसी मोड़ पर जो मिले, वो लम्हा चुरा लिया मैंने,
तेरे बिना ये ज़िंदगी, जैसे किसी कैदी से पूछता है
तेरे अल्फाज़ों की मिठास, अब मीठा ख़्वाब बन गई,
तेरे बिना ये दिल मेरा, अब बड़ा उदास हो गई
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
No comments:
Post a Comment