Saturday, October 26, 2024

गजल एल्बम 12 टाईप


ग़ज़ल

कहाँ से ये चिराग़ों की रोशनी आए
हर एक ख़्वाब में इक नयी जमी आए।

उम्र भर के सफ़र में साए तलाशते हैं
कहीं से तो नए सफर की हवा आए

हवा भी सख़्त है राह भी ग़मज़दा है
कभी तो कोई राहत का सिलसिला आए।

क़दम क़दम पर हम इम्तिहान देते हैं
मिलें वो लोग जो रूह में बसा आए।

खुदा नहीं, न सही, आदमी का हौसला सही
कभी तो ऐसे भी हालात में खुशी आए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल

नहीं है राह में अब कोई चराग़ों का सहारा
उम्मीदें भी टूटें तो किसका किनारा।

कदमों में छाले हैं, सफ़र है मुश्किलों का
फिर दर्द को सीने में अब हम पुकारा।

वो इश्क़ की बातें, वो वादे भी खो गए
मगर दिल ने फिर भी उसे ही पुकारा।

बिछड़ कर भी उसकी महक साथ है यूँ
जैसे हवाओं में हो ख़ुशबू का गुज़ारा।

जिन्हें चाहा हमने उम्र भर अपने लिए
वही दूर से अब करते हैं इशारा।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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3
ग़ज़ल

राहों में खड़े हैं मगर मंज़िल नहीं मिलती
दिल में ख़्वाहिशें हैं मगर महफ़िल नहीं मिलती।

जिसे चाहा था अपना समझ कर हर पल
वो शख्सियत अब दिल के क़ाबिल नहीं मिलती।

ख्वाबों की ताबीर है आँखों में कहीं खोई
चाहत में वो पहली सी चंचल नहीं मिलती।

हर दर्द ने आकर मुझे समझा दिया यूँ
ज़ख़्मों पर अब मरहम की सिलसिल नहीं मिलती।

जो रोशनी थी दिल में कभी चिराग़ बनकर
अब उसे भी इस दिल में मंज़िल नहीं मिलती।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल

वो पलकों की छाँव में साये तलाशते हैं
जो उजालों में ख़ुद को भटकते पाते हैं।

दिल की किताबों में दर्द लिखा हर पन्ने पर
जिन्हें पढ़कर लोग आँसू बहाते हैं।

उनके लिए हमसे बढ़कर न कोई था
आज वही हमें ख़्वाबों में जलाते हैं।

जो नज़रें मिलाते थे कल तलक हमसे
आज वो नज़रें हमसे छुपाते हैं।

ज़माने का रिवाज है बेवफाई करना
हम तो वफ़ा में भी दुनिया से हार जाते हैं।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल

ख़ामोशियों में छुपी हुई सदा की तरह
हम घुलते रहे हैं रेत की अदा की तरह।

जो दर्द दिल में रखा था बरसों से हमने
अब बह निकला है बेवजह दुआ की तरह।

जिन्हें सोचा था अपने वो दूर हो गए
जैसे हो बादल से बिछड़ी हवा की तरह।

ख़ुशियाँ तो हमने भी देखी हैं कई बार
पर वो आईं और गईं हैं घटा की तरह।

तन्हाई में हमने यूँ काटे हैं लम्हे
जैसे जलता हो कोई दिया की तरह।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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6
ग़ज़ल

तन्हाई में ख़ुद से ही बातें की हमने
हर राज़ दिल का यूँ बयान की हमने।

वो लम्हे जो उनके साथ गुज़रे थे कभी
हर एक याद को सँभाल के रखी हमने।

अश्कों को रोका पर बरसने लगे फिर भी
सपनों में फिर से उन्हें देखी हमने।

चाह कर भी जिन्हें भुला ना सके कभी
उनकी यादों को दिल में छुपा ली हमने।

अब कोई सवाल ना जवाबों का गिला है
बस ख़ुदा से रिश्ता बना लिया हमने।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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7
ग़ज़ल

वक़्त ने चेहरे से हर रंग छीन लिया
आईने में अब अपना अक्स भी नहीं मिला।

उड़ गए हैं परिंदों की तरह सारे ख़्वाब
अब दिल को कोई आसरा भी नहीं मिला।

जिन्हें देखा था अपनों की नज़र से कभी
वो किसी मोड़ पर फिर दोबारा नहीं मिला।

हर दर्द को हँसी में छुपा लिया हमने
ग़म का कोई चश्मदीद गवाह नहीं मिला।

मंज़िलें तो बहुत थीं सफ़र में मगर
रास्तों में हमें अपना साथ भी नहीं मिला।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गजल

मुद्दतों से दिल ने कोई ख्वाब नहीं देखा
रात भर जागे हैं पर माहताब नहीं देखा।

चमकते हैं सितारे फ़लक की बाँहों में
मगर इस दिल का कोई हिसाब नहीं देखा।

उम्मीद की लौ जलाते रहे ताउम्र हम
पर सहर का कोई भी नक्शा आब नहीं देखा।

कहने को सब अपने थे आसपास मेरे
मगर दर्द समझे ऐसा हमसफ़र नहीं देखा।

ख़ुद को भी ढूँढ़ा है इस वीराने में कई बार
पर इस चेहरे पर वही नक़ाब नहीं देखा।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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