Sunday, October 27, 2024

गजल एल्बम 21 टाईप

1
गजल
खुशियों की बरसात की 

आँखों ने आँखों से जब बात की
दिल की गहराई में एक रात की।

तेरे इश्क़ की खुशबू से महका
ज़िंदगी में छाई है रुत्बात की।

हर लफ्ज़ में तेरा ही जिक्र है
तेरे बिना क्या है मेरी बात की।

तू मेरी धड़कन, तू मेरा साया
ख्वाबों में तेरा ही साथ की।

चाहत में तेरा नाम लिखा है
इश्क़ की राहों में सौ सौ सौगात की।

छुपा रखा है मैंने तुझको दिल में
खुद से छिपा के रखी सौगात की।

जब से तुझसे मिला हूँ मैं
जिंदगी में खुशियों की बारात की।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
गजल
आँखों ने आँखों से जब बात की

आँखों ने आँखों से जब बात की
दिल में छिपी थी एक सौगात की।

तेरी मोहब्बत का जादू है ऐसा
हर एक लम्हा हो जैसे बरसात की।

चुपके से तूने किया जब इशारा
जिंदगी में आए एक नई रात की।

तेरी मुस्कान में छुपा है सारा
खुशबू बसी हो जैसे गुलाबात की।

हर ख्वाब में तेरा ही चेहरा है
आँखों ने देखा तेरा हसीन नज़ारात की।

बातें तेरा एहसास दिलाती हैं
तेरे बिना अधूरी है हर रात बात की।

तेरे संग बीते हर एक लम्हा
जिंदगी है जैसे महकती सौगात की।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
नजर से मुलाकात हुई

नज़र से नज़र की जो मुलाकात हुई
दिल में छिपी थी एक नई सौगात हुई।

तेरे इश्क़ का जादू है अद्भुत सा
हर धड़कन में तेरा ही जिक्र, हर बात हुई।

जब तूने मुस्कुराकर किया इशारा
जिंदगी में जैसे बहारों की रात हुई।

तेरे होंठों की लाली में रंग है सारा
हर लम्हा तेरा दीदार, बस यही चाहत हुई।

ख्वाबों में बस है तेरा नज़ारा
तेरे बिना हर चीज़ अधूरी, जैसे कोई ईजात हुई।

तेरी ख़ुशबू से महका ये जहाँ
तेरे संग बिताए हर लम्हा, ख़ुदा की नेमत हुई।

तेरे प्यार में खोया हूँ मैं
जिंदगी में जैसे मोहब्बत की बरात हुई।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल
दिल से दिल की जो की बातें

दिल से दिल की जो की बातें
जिंदगी में खुली नई सौगातें।

तेरे इश्क़ का जादू है अद्भुत
खुशियों में लिपटी हैं सारी रातें।

जब तूने किया मुझसे इशारा
दिल की गहराई में तैर गईं बातें।

तेरी मुस्कान में बसी है रौनक
जैसे बहारों में खिलतीं हैं फुलवारतें।

तेरे साथ बिताए हर एक लम्हा
खुशबू में ढल गई हैं सारी बातें।

तू जो पास हो, तो हर दर्द मिटता
तेरे बिना अधूरी हैं ये ख़्वाबातें।

तेरे प्यार में खोया हूँ मैं
तेरी यादों में बसीं हैं जज़्बातें।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
गजल
आँखों से आँखों की जो बातें हुईं

आँखों से आँखों की जो बातें हुईं
दिल की गहराई में नई सौगातें हुईं।

तेरे इश्क़ का जादू है नज़ाकत
हर धड़कन में तेरा नाम पर बातें हुईं।

जब तूने इशारे से दिल को छुआ
खुशियों की लहर में बहे ये रातें हुईं।

तेरी मुस्कान में बसी है बहार
जैसे बाग़ों में खिलतीं हैं सौगातें हुईं।

तेरे संग बिताए हर लम्हा खास
तेरे बिना अधूरी हैं मेरी चाहतें हुईं।

तेरे प्यार का जादू है बेपनाह
हर लफ्ज़ में बसीं हैं ये ख़्वाबातें हुईं।

तेरे बिना सारा जहां है वीरान
तू जो साथ हो, तो महकतीं हैं बातें हुईं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
गज़ल
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया

मैं देखता रहा और जमाना लूट गया
किसी के हाथ से जादू, कोई छूट गया।

खुदा के नाम पर जो जंग शुरू हुई
आसमानों से मेरा चाँद भी टूट गया।

धड़कनों की आवाज़ में गूँजती है तन्हाई
तेरे बिना ये दिल मेरा क्यों रूठ गया।

खामोशियों की रात में यूं ही सोचते हैं
हर एक दर्द का सफर कैसे अनूदित गया।

सपनों में तेरे चेहरे की रोशनी बसी है
पर अब ये दिल तो जैसे कहीं भूल गया।

ग़मों की लहरों में जब तूफान आया
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
गज़ल

सपने तन्हाई के संग फिर से सजा हो गया
हर एक मोड़ पर दिल मेरा फिर से झुका हो गया।

तेरे इश्क़ की राहों में जबसे आया हूँ मैं
खुशबू से महकता वो नज़ारा हो गया।

हर एक याद में तेरे मुस्कान की छवि है
खामोशियों से तेरा नाम क्यों जुदा हो गया?

रंजिशों के बादल में छुपा है मेरा साया
तेरे बिना ये दिल मेरा क्यों बिछड़ा हो गया?

वो लम्हे जो साथ थे, अब क्यों हैं दूर यहाँ?
दिल की दास्तान में तू ही तू छिपा रह गया।

जज़्बातों की बंजर ज़मीन पर अब क्या कहूँ
मैं देखता रहा और जमाना लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
गज़ल
मैं देखता रहा और सागर लूट गया।

उसने कहा था सारा ज़माना साथ है मेरे
पर आज ख़ुदा से ही ये दिल क्यों ख़फ़ा हो गया।

बिछड़कर हमसे वो अपनी राह चला गया
सपनों की दुनियाँ से हक़ीक़त का जुदा हो गया।

जिनकी बातों में मिठास थी, वो अब तितलियाँ
उन्हीं की याद में ये मन, क्यों फिर से रोया हो गया।

चाँदनी रातों में महके जब फूलों की खुशबू
दिल के इस बाग़ में सारा ग़म क्यों ग़ायब हो गया।

किताबों की खामोशियों में जो खोया था कभी
वो राज़ आज मेरे वजूद से कैसे छुपा हो गया?

कश्ती तन्हा थी, लहरों से यूं मिलकर चली
मैं देखता रहा और सागर लूट गया।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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