Sunday, October 27, 2024

गजल एल्बम 22 टाईप

गज़ल

तन भी सुंदर, मन भी सुंदर, फिर भी अभिलाषा बेवफा हो गई
जबसे उसके चेहरे की छाया, दिल की दुनिया वीरान हो गई।

प्यार की राहों में जबसे आए, धड़कनों की धुन भी खो गई
ख्वाबों में छुपी थी उसकी सूरत, अब तो बस यादें रह गई।

आँखों में बसी थी हसीन बातें, वो पल थी जैसे एक जश्न हो
फिर भी चाहत में खामोशी आई, अब तो हर बात अधूरी हो गई।

दिल के मंजर में वो भी था एक, जो खुद को खुदा सा मानता था
मोहब्बत की इस जंग में जबसे, वो दर्द की कहानी बन गया।

रूप भी सुंदर, मन भी सुंदर, फिर भी अभिलाषा बेवफा हो गई
जबसे उसके चेहरे की छाया, दिल की दुनिया वीरान हो गई।

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गज़ल

आज अभिलाषा मन में आयी

आज अभिलाषा मन में आयी
और यादों की चादर बिछाई।

दिल में तेरा ही जज़्बा है बसा
हर घड़ी तेरा ही ख्वाब सजाई।

खुशबू से तेरी महका ये जहा
हर लम्हा तेरा ही नाम गुनगुनाई।

सपनों में फिर से तेरा ही बसेरा
तेरी बाहों का वो साया भायी।

आज अभिलाषा मन में आयी
और यादों की चादर बिछाई।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
गजल
वो धोखा देकर चले गए 

वो धोखा देकर चले गए
हम तन्हा यूं ही रह गए।

दिल में उम्मीदें थी उनकी
वो सब अरमान कह गए।

राहों में फूल बिछाए थे
पर कांटे सारे सह गए।

जुड़ा था उनसे मेरा सफ़र
वो मोड़ पे क्यूँ बहक गए।

जिनसे थी रौशनी दिल की
वो दीये भी बुझा गए।

अब तो बस यादें हैं बाकी
वो अपना असर छोड़ गए।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गजल

तुम्हारी बातें हवा में ठहरती नहीं
कमाल ये है कि फिर भी असर दिखता नहीं।

मैं जलते हुए चिरागों का किस्सा क्या कहूँ
मैं टूटते ख्वाबों का सिर्फ़ तमाशबीन नहीं।

तेरी वफ़ा का चेहरा भी झूठा लगता है
तू इक खामोश चीख है, ये कोई नई बात नहीं।

तुम्हारे लफ़्ज़ भी जैसे किसी कांटे से चुभें
अदीब हो, मगर ज़रा-सी हसीन नहीं।

तुझे खबर है कि तेरा ये रवैया क्या करे
तू इंसान का मोल जाने, मशीन नहीं।

बहुत मशहूर है आएंगे लोग यहाँ
ये दिल देखने के काबिल तो है, हसीन नहीं।

जरा संभल के चलो राहों में, ये ढलान है
तुम्हारे हाथ में कांटे हों, मगर न कोई ज़मीन नहीं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल
आसरा मिलता नहीं 

तुम्हारे झूठ का अब मुझपे असर होता नहीं
कमाल ये है कि कोई सबक नज़र आता नहीं।

मैं वीरानों में जलते हुए दिए सा हूँ
मैं वो शख्स हूँ जिसे कोई साथ देता नहीं।

तेरी हसरतें भी एक छलावा सी लगें
तू इक खामोश इमारत है, कोई घर नहीं।

तूने वादों को तोड़ा यूँ बार-बार कि
अब दिल में तेरी कोई जगह बचती नहीं।

तुम्हारी आँखों में कुछ सवाल हैं लेकिन
वो सवाल है कि जिनका जवाब मिलता नहीं।

बड़ी मशहूर है तेरी बातें हर जगह
मगर इस दिल की आग को कोई बुझाता नहीं।

चलते रहो तुम अपनी राहों पे बेखबर
यहाँ हर मोड़ पे कोई आसरा मिलता नहीं।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल
कोई इंतजार नहीं 

तुम्हारी राहों में अब कोई इंतज़ार नहीं
कमाल ये है कि दिल को कोई करार नहीं।

मैं तेरी ख़्वाहिशों का बुत बन कर रह गया
मैं वो आईना हूँ जिसमें अब कोई निखार नहीं।

तेरी बातें भी अब बुझी-बुझी सी लगती हैं
तू वो दीया है जिसमें रौशनी का असर नहीं।

तूने हर लम्हा यूँ गुज़ार दिया बेरुखी से
अब दिल में तेरे लिए कोई प्यार नहीं।

मेरा सफ़र तो तुझसे ही शुरू हुआ था कभी
अब तेरी राहों में जाने का इख्तियार नहीं।

जग में मशहूर है तेरी बातें मगर
तू मेरे ज़ख्मों का अब कोई गवाह नहीं।

यूँ ही चलते-चलते बिछड़ गए हम
अब तेरे ख्यालों में कोई गुज़िश्ता यार नहीं।

गजल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल
बेवजह वह मुझसे खफा हो चला 

वो बेवजह हमसे खफा सा रहने लगा
कमाल ये है कि कुछ भी कहे बिना चला।

मैं दर्द का रिश्ता निभा रहा हूँ यूँ
जैसे ख़ामोशी में कोई साज़ बजा चला।

तेरी नजरें भी अब कुछ छुपाने लगी हैं
तू राज़ कोई अनकहा सा छोड़ चला।

दिल में तेरी यादें बसी हैं आज भी
पर तू हर लम्हा बदल के जा चला।

तूने जो वादे किए थे कभी प्यार में
वो सब हवाओं में उड़ा के जा चला।

जाने क्यों तेरा अक्स अब धुंधला लगे
तू मेरे ख्वाबों से भी दूर जा चला।

अब तो बस रह गई है तन्हा ये राह
तू एक परछाईं बन के मुझसे जुदा चला।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
ग़ज़ल
वो नजरे चुरा कर चला गया

वो हमसे नजरें चुरा के चलता गया
कमाल ये है कि कोई भी रिश्ता निभा न सका।

दिल के जज़्बातों को वो समझ न सका
मैं आग बन के जलता रहा, वो बुझा न सका।

तेरी खुशबू से आज भी महकता हूँ मैं
मगर तू अपने निशां तक छोड़ न सका।

उसके हर वादे में एक छलावा था
मैं सच मानता रहा, वो निभा न सका।

मेरी हर राह में उसके नक्श थे मगर
वो एक मोड़ पे आकर साथ आ न सका।

उसके चेहरे की हंसी भी झूठी थी
मैं आइना बन गया, वो खुद को देख न सका।

अब मैं तन्हा हूँ इन ख्यालों की भीड़ में
वो भीड़ में होकर भी मेरा हो न सका।

गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

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