1
ग़ज़ल
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
बाज़ार में अब हर सपना बिकता है।
जिनकी बातों में था सच्चाई का दम,
उनका भी अब हर किस्सा बिकता है।
मूल्य रिश्तों का जहाँ खो गया हो
हर अपना यहाँ बेगाना बिकता है।
इंसानियत का नाम न लो यहाँ
सड़कों पर यहाँ हर चेहरा बिकता है।
जबसे दौलत का खेल चला है
ईमान यहाँ पर सस्ता बिकता है।
जो कभी अनमोल थे दिलों में
आजकल हर वो रिश्ता बिकता है।
रख लो संभाल के अपनी आत्मा
क्योंकि यहाँ हर आईना बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गजल
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
हर कदम पर इमोशन का झूठ बिकता है।
सपने जो कभी थे दिल के करीब
अब उनका भी हसीन मंजर बिकता है।
चाहत के रंगों की जैसे कमी हो
हर दिल में अब बस अधूरा बिकता है।
इंसान की कीमत यहाँ बेमिसाल
पर धन का तो यहाँ हर बिंब बिकता है।
रिश्तों की महक को मिटा दिया है
हर एक पल में अब हर लम्हा बिकता है।
मोहब्बत की सच्चाई का क्या हाल
सच्चा प्रेम यहाँ पर सस्ता बिकता है।
चलो कुछ देर तो हम हंस लें यहाँ
इस बाजार में अब हर ख्वाब बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
यहां हर रंग विकलता है
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
इंसानियत का हर लम्हा बिकता है।
ख़्वाबों की बस्ती में जबसे आया
हर खुशी का यहाँ मोल बिकता है।
वक्त की कीमत को क्या समझे लोग
हर पत्ता अब बस जोश में बिकता है।
इश्क़ के नाम पर जो बातें होतीं
उनका भी अब सिसकियों में बिकता है।
नफरत के साये में खोई है मोहब्बत
हर दिल का यहाँ बस डर बिकता है।
धन-दौलत के आगे झुकी है इंसानियत
अब हर भावना भी बस चकना बिकता है।
सपनों की सौगात लेके आए जो
उनका भी यहाँ हर रंग बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
ये भारत है यहाँ सब कुछ बिकता है
सपनों की रंगत भी अब बिकता है।
सच्चाई की खोज में निकले थे हम
पर झूठ का हर चेहरा बिकता है।
मोहब्बत की राह में जो खड़ा था
अब वो भी यहाँ पर ठेका बिकता है।
इंसानियत का क्या हाल हो गया
हर गली में अब ये फेरा बिकता है।
वक्त की दस्तक को समझ न सके
बाज़ार में अब हर तेरा बिकता है।
किसी की आंखों में एक आंसू था
वो दर्द भी यहाँ पर बेचा बिकता है।
खुशियों का क्या मोल है यहाँ
हर एक लम्हा अब शौक से बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।
खुशियों के नाम पर जो मिलता है
दुःख का एक नन्हा सा हिस्सा बिकता है।
मोहब्बत के रंग भी कुछ यूँ हैं
हर एहसास अब जज़्बात में बिकता है।
सपने जो सच होते नहीं कभी
उनका भी अब किस्सा बिकता है।
इंसानियत की कीमत गिर गई
हर रिश्ता अब यहाँ पर बिकता है।
मोहब्बत की राह पर जब चले
हर मोड़ पर ये तज़ुर्बा बिकता है।
खुश रहना भी अब मुश्किल हो गया
हर चेहरे पर ये फेरा बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।
सपनों की कीमत अब तौली जाती
हर दिल का यहाँ दर्द छिपता है।
खुशियों की लहरें जब लौटतीं
हर आंसू के संग वो मिलता है।
रिश्तों की परवाह अब किसे है
हर चेहरा यहाँ बस मुखौटा बिकता है।
इंसानियत की ढलान पर जब से
हर बात में अब एक झूठ बिकता है।
जज़्बात के हर रंग का सौदा
हर गली में अब ये सस्ता बिकता है।
दिल के अरमानों की जब बात होती
हर हसरत यहाँ पे सरेआम बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
यहां धोखा भी विकलता है
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ सब कुछ बाजार में बिकता है।
खुशियों की चादर भी लुटती गई
हर चेहरे का अब दर्द छिपता है।
इश्क़ की बुनियादें अब ढह गईं
हर वादा यहाँ पर बस झूठा बिकता है।
सपने जो सजाए थे कभी हमने
अब वो भी यहाँ पर टुकड़ों में बिकता है।
दिल की बात कहने का हो रहा वक्त
हर जज़्बात अब फ़साने में बिकता है।
दौलत की चाह में खो गई इंसानियत
हर रिश्ता यहाँ पर केवल नाम बिकता है।
प्यार के नाम पर जो खेल हो रहा
हर मोड़ पर अब ये धोखा बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
गजल
यहां धोखा भी विकलता है
यहाँ का बाजार बड़ा सस्ता है
यहाँ हर जज़्बात में धोखा बिकता है।
सच्चाई का बोलना अब खता है
हर हक़ यहाँ अब खामोशी में बिकता है।
रिश्तों की भीड़ में खो गए लोग
हर अपना यहाँ पर बेगाना बिकता है।
चमक-दमक में है सबकुछ शामिल
पर हर चेहरा यहाँ आईना बिकता है।
अरमानों का सौदा करने चले
हर चाहत अब पल में रुसवा बिकता है।
इंसानियत का मोल घट गया है
हर इंसान यहाँ पर पैमाना बिकता है।
जिसे हम समझे थे अनमोल कल तक
आज उसका भी हर किस्सा बिकता है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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