1
गजल
कहने वाले कहते रहेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे
छोटी-छोटी बातों में, अपना नाम करते रहेंगे।
चाहे राहें हों मुश्किल, या हो हर मोड़ पर कांटे
हम अपने इरादों को, बस मजबूत करते रहेंगे।
जो देखेंगे हमें पीछे, हम उन्हें भूल जाएंगे
खुद पर भरोसा रखकर, आगे बढ़ते जाएंगे।
हर ज़ख्म को छुपा लेंगे, अपनी मुस्कान में ढालेंगे
सपनों की दुनिया में, नए रंग भरते रहेंगे।
बातें हों या फिर उलझनें, सबको हम दरकिनार करेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गजल
कहने वाले कहते रहेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे
खुद पर विश्वास की लकीरें, हर दिन बनाते रहेंगे।
जो चुराएंगे हमारी ख़ुशियाँ, हम उन्हें जलाते रहेंगे
हर मुश्किल में हिम्मत से, नए सपने सजाते रहेंगे।
जो कहेंगे झूठी बातें, उनकी बातें नहीं सुनेंगे
सच्चाई की राह पर हम, आगे कदम बढ़ते रहेंगे।
हर मुसीबत में हों जब साथी, हम न कभी हार मानेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते रहेंगे।
हर कदम पर एक नई सोच, हर विचार में एक नया रंग
हम अपने काम में रहेंगे, बस उम्मीद अपनी बढ़ाते रहेंगे।
असफलता का डर नहीं हमें, हर कोशिश में जान डालेंगे
कहने वाले कहते रहेंगे, हम अपना काम करते
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
गजल
जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें
जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें
खुद पर यकीन को संजोकर, अपने सपने पूरे करते रहें।
हर कठिनाई को पार करेंगे, हम मुश्किल से न डरेंगे
उम्मीदों की रौशनी में हम, आगे ही बढ़ते रहेंगे।
कभी तोटेंगे नहीं हिम्मत, कभी हार नहीं मानेंगे
हर नए दिन की सुबह में, नए इरादे सजाते रहेंगे।
जो आयेंगी राह में रुकावट, हम उन्हें पार करते जाएंगे
जो भी हो हालात अपने, हम खुद को न झुकने देंगे।
सपनों की दुनिया बुनेंगे, अपने हौसले को बढ़ाएंगे
जो कहते हैं वो कहते रहें, हम अपने रास्ते चलते रहें।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
गजल
यह दुनिया है
यह दुनिया है सही करोगे तो भी कहेगी
गलत करोगे तो भी कहेगी, कुछ और कहेगी।
हर एक चेहरे पर छिपी हैं राज़ की बातें
खुद को बचाकर हर कोई, मुझसे ये कहेगी।
कभी दिल की धड़कनें, कभी खामोशियों की
इस अनकहे जज़्बात की गूंज भी कहेगी।
लफ्ज़ों के खेल में छुपी है बेवफाई
पर दिल की हर एक धड़कन, सच में कहेगी।
फिर भी मुस्कुराते रहना है हमें आगे
क्योंकि ज़िंदगी की राहें, कुछ भी कहेगी।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
गजल
सच्चाई का सफर हर कोई भुला जाएगा
सच्चाई का सफर हर कोई भुला जाएगा
पर झूंठ की राह पर वो खुद को सजा जाएगा।
हर पल की धड़कन में, छिपी एक कहानी
दिल के जख्मों से वो अपना ग़म छुपा जाएगा।
तुमने जो किया, उसका हिसाब न होगा
खामोशियों की गूंज से वो सब कुछ बता जाएगा।
जिंदगी के सफर में, ना कोई सखा मिलेगा
हर मोड़ पर बस धुआं, एक रहस्य छुपा जाएगा।
इस दुनिया की फितरत है बस एक भ्रम समझना
सच यही है कि हर दिल, एक दिन ये सिखा जाएगा।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
गजल
बीता जमाना अब याद आ रहा है
बीता जमाना अब याद आ रहा है
हर एक लम्हा, अब बतला रहा है।
खुशियों की रंगीनियाँ, वो चाँदनी रातें
वो मुस्कानें, वो बातें, सब याद आ रहा है।
भूलने की कोशिश में, खोया था खुद को
पर दिल की गहराइयों में, वो याद आ रहा है।
ग़मों की सर्द हवाएँ, चलती हैं अब भी
तेरे बिना ये मौसम, अब याद आ रहा है।
छोटी-छोटी खुशियों की वो मीठी कहानियाँ
बीते कल का जादू, अब याद आ रहा है।
उजले सपनों के साए, अधूरे रह गए
वो खोया हुआ वक्त, अब याद आ रहा है।
आँखों में आँसू, दिल में एक तड़प
सच कहूँ, तो तेरा, यूं जाना याद आ रहा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
गजल
वो चाहने वाले और थे
वो जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
दिल के हर एक राज़ में अब तो बस ग़म ही और थे।
जो कहने आए थे कभी, अब वो भी नहीं आते
तेरे दीदार की चाह में, अब तो बस ख्वाब ही और थे।
रात की चांदनी में भी, तन्हा दिल का है साया
सपनों के अंधेरों में, अब तो बस ग़म ही और थे।
किसी की यादों का साया, दिल में हर रोज़ बसा है
उनकी हंसी की रेशमी छांव में, अब तो बस ख़ामोश और थे।
कौन कहता है मोहब्बत, इक जन्नत है इन आँखों में
दिल के वीराने में जो हैं, अब तो बस ख़ंजर ही और थे।
इश्क़ की राहों में बिछे, दर्द के ये खंजर सारे
ज़ख्मों की बातें करके, अब तो बस जख्म ही और थे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
गजल
जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
वो जो चाहने वाले थे ना वो लोग ही और थे
दिल की हर एक धड़कन में अब तो बस ग़म ही और थे।
जो मिले थे राहों में कभी, वो राहें भी बदल गईं
तन्हाई के साए में, अब तो बस ख्वाब ही और थे।
तेरे बग़ैर ये जि़ंदगी, जैसे एक वीरान है बाग
फूलों की खुशबू में भी, अब तो बस धुंध ही और थे।
किसी के दिल की धड़कन से, जुदाई की बातें हैं अब
वो जो ख़्वाबों में आए थे, वो साया ही और थे।
बीते लम्हों की यादों में, गहरी छाप सी रह गई
जो कभी साथी थे हमारे, बस वो ग़म ही और थे।
हर एक ख़ुशी की खातिर, हम बिछड़े जो आंसू बहाए
ख़्वाबों की उस बस्ती में, अब तो बस ग़म ही और थे।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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