1
गजल
अभिलाषा बन के रह गई ये ख्वाब की तरह
पूरी न हो सकी कभी, हिजाब की तरह।
दिल ने तो चाहा था उसे पाने का हक़
पर वो बिखर गई है किसी सराब की तरह।
तमन्नाएँ महक उठीं थीं हर गली-चौराहे
वो दिल से गुजर गई किसी गुलाब की तरह।
आँखों में ख्वाब हैं, पर चेहरे पर खामोशी
सजाए रखे हैं दिल में किताब की तरह।
जाने कब मुकम्मल हो ये ख्वाहिशें मेरी
फैली हैं ज़िंदगी में बस हिसाब की तरह।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गजल
अभिलाषा
अभिलाषा के दीप जलाए बैठे हैं
ख्वाबों के घर सजाए बैठे हैं।
मंज़िल का पता अब तक ना मिला
फिर भी राहों पे आए बैठे हैं।
दिल को है आस की वो लौटेंगे
वही टूटे पल सहलाए बैठे हैं।
ज़रा सी उम्मीद भी बाकी नहीं
फिर भी उम्मीद लगाए बैठे हैं।
सपनों का शहर था जो कभी
उस खंडहर में बसेरा बनाए बैठे हैं।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
गजल
सौगंध
लबों पर उनकी ही बात आती है
ख्वाबों में उनकी मुलाक़ात आती है।
छुपाना चाहें हम लाख कोशिशों से
पर फिर भी उनसे ही बात आती है।
दिल को समझाते हैं बार-बार हम
पर हर दफ़ा वही सौगात आती है।
उनके बिना सूनी सी है ये राहे
बस उनकी यादें साथ आती हैं।
वो दूर हैं, मगर ऐसा लगता है
हर साँस में उनकी ही सौगंध आती है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
गजल
फिर भी वही याद आती है
लबों पर उनकी ही बात आती है
हर धड़कन में इक सौगात आती है।
उन्हें भुलाने की कितनी कोशिश की
पर यादों की फिर बरसात आती है।
वो ख्वाबों में आकर चले जाते हैं
और तन्हाई में रात आती है।
हम उनके बिन भी जी रहे हैं मगर
हर सांस में उनकी मात आती है।
दिल को उनसे शिकवा तो बहुत है मगर
फिर भी दिल को वही याद आती है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
गजल
वक्त ने बहुत कुछ सिखा दिया
वक़्त ने बहुत कुछ सिखा दिया चन्दू
हर दर्द को दिल में बसा दिया चन्दू।
कभी थे हंसते हुए फिजाओं में हम
वक़्त ने तन्हा बना दिया चन्दू।
अपनों ने जब साथ छोड़ दिया
वक़्त ने सबक ये पढ़ा दिया चन्दू।
जो कल तक थे पराए निगाहों में
वो ही हमदम बना दिया चन्दू।
ख्वाहिशें अब दिल में बसी नहीं
वक़्त ने ख़्वाबों को मिटा दिया चन्दू।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
गजल
मैं लडूंगा और जीतूंगा
मैं लडूंगा और जीतूंगा, ये इरादा मेरा है
खुदा से भी जो टकरा जाऊं, वो हौसला मेरा है।
मुसीबतों की आंधियों से टकरा कर बढ़ूंगा
हर मुश्किल को झुका दूं, ये रास्ता मेरा है।
हर दर्द को सहा है मैंने, हंस के चलता रहा
अब टूट कर भी न बिखरूं, ये हौसला मेरा है।
लोग कहें कि नहीं मुमकिन, तो क्या फ़िक्र मुझे
हर ख्वाब को हकीकत करूं, ये सपना मेरा है।
हर जंग में रहूं कायम, न हार को मैं मानूं
अधूरा कुछ न छोड़ूं, ये वादा मेरा है।
इस जुनून की आग में जलके भी बढ़ता रहूं
मैं लडूंगा और जीतूंगा, ये इरादा मेरा है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
गजल
मैं लडूंगा और जीतूंगा
मैं लडूंगा और जीतूंगा, यक़ीं खुद पर बसा लूंगा
हवा के रुख़ को मोड़ दूं, ये जज़्बा आजमा लूंगा।
खड़ी हैं राह में दीवारें, तो क्या डर इनसे मुझको
इन्हें पार कर दिखाऊं, हर क़दम नया उठा लूंगा।
सफ़र मुश्किल सही लेकिन ये हौसला नहीं टूटे
ख़्वाबों को हक़ीकत में मैं धीरे-धीरे ढालूंगा।
गिरूंगा लाख बार, फिर भी सँभलना सीख जाऊंगा
हर चोट को दुआ देकर मैं अपना काम पा लूंगा।
कोई भी रोक ना पाएगा मुझे मेरी उड़ानों से
मैं लडूंगा और जीतूंगा, ये अपने दिल को सिखा
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
गजल
मैं लडूंगा और जीतूंगा
मैं लडूंगा और जीतूंगा, ये वादा हर सुबह करता
अंधेरों से उलझ कर, अपनी राह को रौशन करता।
चट्टानों से भिड़ जाऊं, तूफ़ानों से लड़ जाऊं
जो मंज़िल दूर है मुझसे, उसे क़रीब हर दिन करता।
थकान आई है राहों में, मगर कदम नहीं रुके
हर दर्द को हंसी से ढक के, जख्म अपना भरता।
ना हार मानूंगा कभी, ये हौसला है मेरे पास
किसी भी हाल में अपने इरादों को सच्चा करता।
वक़्त के साथ बदलूंगा, मगर हिम्मत नहीं छोड़ेगा
मैं लडूंगा और जीतूंगा, खुद से यही वादा करता।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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