1
गजल
जीत पक्की है
राह में कांटे हों चाहे, जीत पक्की है
हौसलों से भरा दिल है, जीत पक्की है।
जो मुश्किलें हैं सामने, मैं उन्हें हराऊंगा
ये मेरे इरादों की सख्ती है, जीत पक्की है।
तूफ़ान से जूझ कर, मेरा काम बन गया
हर लहर से कह दिया है, जीत पक्की है।
जमाना रोक ले चाहे कदम मेरे आज
हाथ में अपने क़लम है, जीत पक्की है।
लडूंगा मैं हर रुकावट से बेख़ौफ़ होकर
खुद पर जो एतबार रखता हूँ, जीत पक्की है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
गजल
जीत पक्की है
मंज़िल की तरफ बढ़ा हूँ, जीत पक्की है
हर गिरावट से सीखा हूँ, जीत पक्की है।
दुश्मन लाख सामने हों, परवाह नहीं मुझे
हौसलों की दीवार बना ली है, जीत पक्की है।
अंधेरों से डर कर मैं रुकने वाला नहीं
हर सुबह को चीर कर आया हूँ, जीत पक्की है।
हर दर्द को अपना साथी मान लिया मैंने
अपने हक़ की राह बनाई है, जीत पक्की है।
चल पड़ा हूँ यक़ीं के साथ उस ओर मैं
हर कदम पर लिखा है, जीत पक्की है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
गजल
जीत पक्की है
चले हैं हम जो रास्तों पर, जीत पक्की है
हर मुश्किल में हौसला बरकरार, जीत पक्की है।
तूफ़ानों से टकराकर भी थमे नहीं हैं हम
इन लहरों को चीर देंगे, जीत पक्की है।
ख़ुद से किया है वादा, पीछे मुड़ना नहीं
ख़्वाबों में जो रंग भरा है, जीत पक्की है।
मंज़िल को पाना ही अब एक इरादा है
राह में जो भी हो, पार करेंगे, जीत पक्की है।
हर चोट को सहकर भी मैं मुस्कुराऊंगा
मेरी जंग में मेरे साथ खड़ा, जीत पक्की है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
गजल
हौसला है तो जीतेंगे ही
हौसला है तो जीतेंगे ही, ये यकीन कर लो
हर मुश्किल से हम लड़ेंगे, ये वचन कर लो।
खुद पर विश्वास हो जब, तो राहें बनती हैं,श
अंधेरों में भी रोशनी, दिल को सुकून कर लो।
सपनों की जो मंजिल है, उसे पाना है हमें
हर कांटे को चूमकर, फूलों सा चुन कर लो।
कदम से कदम मिला कर, बढ़ते रहो आगे तुम
संग अगर हो सच्चे मित्र, तो ये सफर कर लो।
न हार हो, न थकान हो, बस बढ़ते जाओ तुम
हौसला है तो जीतेंगे ही, ये वचन कर लो।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
गजल
मुझे जीतना ही होगा
मुझे जीतना ही होगा, हर इक इम्तिहान में
न झुकना है न रुकना, किसी भी आसमान में।
चले हैं साथ दुःख मेरे, मगर मैं मुस्कुराता
चमकते देखना ख़ुद को, इसी अरमान में।
मुझे गिरा के ये ज़माना, हरा नहीं सका
मैं अपने हौसले रखता हूँ अपनी शान में।
मुसीबतें भी डर जाएँ, मेरे इरादों से
मैं हर क़दम बढ़ा दूँगा, किसी भी तूफ़ान में।
रखूँगा हौसला कायम, ये जान लो सभी
मुझे जीतना ही होगा, हर इक इम्तिहान में।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
गजल
हार का ग़म जीत का जश्न बना दो
ज़िंदगी को अब राहत का गहना बना दो।
ख़ुद से मिले हैं हम, ये अहसास करो
बीते लम्हों को फिर से हसीन बना दो।
आसमान की ओर जब देखूं, तुझको पाऊं
धड़कनों में तेरे नाम का ज़िक्र बना दो।
चाहत की राहों में फिर से चलें हम
इश्क़ की जज़्बातों को चश्न बना दो।
सपनों के रंगों से रंग दो ये जहाँ
हर मोड़ पर उम्मीदों का झूला बना दो।
हार का ग़म जीत का जश्न बना दो
ज़िंदगी को अब राहत का गहना बना दो।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
नज़र झुकी है फिर भी बात हो रही
(ग़ज़ल)
नज़र झुकी है, फिर भी बात हो रही
खामोशियों में दिल की बात हो रही।
लब ये चुप है, पर निगाहें कह रही
दबे लफ्जों में इक मुलाकात हो रही।
उसके चेहरे पे भी कुछ रंग बदलते हैं
मगर हया में छिपी इबारत हो रही।
दिल का हाल उससे कैसे बयां करें
छुपाते-छुपाते बस मुलाकात हो रही।
नज़र झुकी है, फिर भी कोई देख रहा
खामोश दिलों की अब तिजारत हो रही।
यूँ हर लम्हा बॅंधे हैं वो मेरे ख्यालों में
बिन कहे बातों की हिफाजत हो रही।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर।
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8
ग़ज़ल
नजर
नज़र झुकी है, फिर भी बात हो रही
दिलों के दरमियाँ मुलाक़ात हो रही।
लब खामोश हैं, बस निगाहें कह रहीं
चुपके-चुपके दिल की सौगात हो रही।
सामने हैं वो, मगर अदाओं में हया
नज़रों में छिपी इक कायनात हो रही।
बिन कहे भी जुड़ रही हैं रूह की डोर
खामोशियों में प्यार की बरसात हो रही।
छुपाए राज़ जो दिलों में थे कहीं
अब उन राज़ों की रवायत हो रही।
नज़र झुकी है, फिर भी सब है साफ़ अब
चुपचाप लफ्ज़ों की सियासत हो रही।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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