Friday, November 8, 2024

ग़ज़ल एल्बम 37 नजर टाईप

नज़र झुकी है फिर भी कमाल कर गई
(ग़ज़ल)

नज़र झुकी है फिर भी कमाल कर गई
खामोशी में दिल पर सवाल कर गई।

उसकी हया में जो असर था बेमिसाल
वो एक नज़र में ही बेहाल कर गई।

रुकी थी पास आकर वो बस यूँ ही
फिर दूर जा के मुझे बेहाल कर गई।

ख्वाबों में उसकी परछाई बस गई
जागी आँखों को भी मलाल कर गई।

चुपचाप निगाहों से कह गई वो बात
मेरे दिल की हसरतों को बेहाल कर गई।

अभिलाषा पास नहीं है और सवाल कर गई
बस इक खामोश नज़र से वो बवाल कर गई।

नज़र झुकी है फिर भी असर छोड़ गई
दिल में हलचल से ख्याल छोड़ गई।

ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
(ग़ज़ल)
कमाल 
नज़र झुकी है फिर भी कमाल कर गई
दिल में छुपी चाहत बहाल कर गई।

कुछ कहे बिन उसने कहा सब कुछ
चुप्पियों में भी अपनी मिसाल कर गई।

उसकी हया का जलवा था यूँ खास
जो सामने थी मगर वो मलाल कर गई।

पलकों की चिलमन से झाँकती थी वो
देखते-देखते ही बवाल कर गई।

अधूरी ख्वाहिशों का उसने ज़िक्र किया
मेरे ख्वाबों में जैसे धमाल कर गई।

नज़र झुकी है फिर भी असर उसका है
दिल की दुनिया में वो सवाल कर गई।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
(ग़ज़ल)
झुकी नजर 
नज़र झुकी है फिर भी असर कर गई
दिल के हर ज़ख्म को बिखर कर गई।

कुछ कहे बिन उसने सब कुछ कह दिया
खामोश रहकर भी खबर कर गई।

रुकी-रुकी सी वो चली थी दूर तक
मगर पलकों में कोई सफर कर गई।

उसके जाने का ग़म चुभता है यूँ
जैसे हर ख़्वाब से गुजर कर गई।

हर लम्हा उसके ख्यालों में बसा है
मुझे तन्हा छोड़, बेअसर कर गई।

नज़र झुकी है, पर निशाॅं छोड़ गई
दिल के हर कोने में असर कर गई।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
गज़ल 
खामोश नजर 

खामोशियाँ भी अपना कमाल कर गईं
बिन बोले ही दिल में सवाल कर गईं।

वो चुप थीं, मगर आँखों से बयाँ कर गईं
जो बातें अधूरी थीं, जता कर गईं।

नज़रों की चिलमन में दर्द छिपा था
वो जाते-जाते भी मलाल कर गईं।

हर लफ्ज़ के पीछे छुपा राज़ था
वो खामोशियों से भी हलाल कर गईं।

उनकी अदाओं में थी कुछ कहानियाँ
जिन्हें वो नज़रों से बेहाल कर गईं।

खामोशियाँ भी अपना कमाल कर गईं
दिल के वीराने में जलाल कर गईं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
उनकी याद बहुत आती है
(ग़ज़ल)

उनकी याद बहुत आती है
खामोशी में सदा छुप जाती है।

हर बात में उनका ही जिक्र है
रातों में तन्हाई भर जाती है।

जो लम्हे संग बिताए थे कभी
वो आँखों में तस्वीर बन जाती है।

दिल में बसाए हैं जो ख्वाब उनके
वो यादों में रंग भर जाती है।

बिन बोले वो बातें कह गए
अब हर आहट में गूँज जाती है।

उनकी याद बहुत आती है
जैसे हर सांस रुक सी जाती है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल 
उनकी याद 
उनकी याद बहुत आती है
दिल की धड़कन बढ़ जाती है।

जिन लम्हों में थे साथ कभी
अब वो तन्हाई दे जाती है।

खामोशियों में गूँजते हैं वो
हर सांस में रूह तक बस जाती है।

आँखों में छुपे हैं ख्वाब सभी
यादों में शबनम बन जाती है।

बिन बोले वो सब कह गए हैं
अब हर बात में लौट आती है।

उनकी याद बहुत आती है
जैसे हर राह ठहर जाती
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
(ग़ज़ल)
उनकी याद बहुत आती है

उनकी याद बहुत आती है
जैसे खुशबू हवा में छा जाती है।

वो बातें, वो मुलाकातें उनकी,श
हर रात ख्वाबों में आ जाती है।

दिल में है दर्द उनके फासलों का
पर हर धड़कन उन्हीं को चाहती है।

आँखें बंद करूँ तो वो सामने हों
यादें परछाई-सी बन के आ जाती है।

बिछड़ के उनसे चैन खो गया है
सांसें भी अब सवाल कर जाती है।

उनकी याद बहुत आती है
हर घड़ी ये तड़प बढ़ जाती है।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
(ग़ज़ल)
याद दिल में 
उनकी याद बहुत आती है
हर बात दिल में बस जाती है।

जो चेहरे पर थी मुस्कान कभी
अब वो आँखों में खो जाती है।

तन्हाई में उनकी गूँज है कहीं
खामोशी को गीत बना जाती है।

वो दूर हैं मगर करीब हैं यूँ
हर साँस में उन्हें बुला जाती है।

कभी छूटी राहों का सिलसिला
अब ख्वाबों को भी तड़पा जाती है।

उनकी याद बहुत आती है
जैसे धड़कन को थमा जाती है।

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