1
ग़ज़ल
तू इलाहाबादी न होती तो ठीक थामेरी मोहब्बत अधूरी न होती तो ठीक था।
तेरे शहर की गलियों में खुद को ढूंढ़ते रहे
रास्ता इतना धुॅंधला न होता तो ठीक था।
तेरी हर अदा में हमने खुद को खो दिया
तू बेपरवाह इतनी न होती तो ठीक था।
तेरे जाने के बाद भी तेरा ख्याल साथ है
दिल को यूं बहलाना न पड़ता तो ठीक था।
तेरी यादों के साए में जी रहे हैं हम
तू यूॅं दूर सबसे जुदा न होती तो ठीक था।
ख़्वाब तेरे देखे थे और जागते हम रहे
आँखों में ये सिलसिला न होता तो ठीक था।
तू अगर इलाहाबादी न होती, तो शायद
दिल यूॅं टूटा-बिखरा न होता तो ठीक था।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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2
ग़ज़ल
तू इलाहाबादी न होती तो ठीक था,
तेरी यादों का दर्द कम होता तो ठीक था।
हर सुबह तेरे नाम से दिन की शुरुआत होती,
तेरे बिना ये खामोशी न होती तो ठीक था।
तेरी आँखों का जादू दिल से जा नहीं सका,
अगर तू इतनी मोहब्बत न होती तो ठीक था।
हमने तेरे लिए अपना जहाँ छोड़ दिया,
तू अगर सर्दियाँ न होती तो ठीक था।
तेरे बिना इस दिल को चैन कहाँ,
तू ऐसा मौसम न होती तो ठीक था।
हर ग़म में तेरा ही ख्याल आता है,
तू किसी और का न होती तो ठीक था।
मेरे दिल की ये टूटन यूॅं न होती,
अगर तू इलाहाबादी न होती तो ठीक था।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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3
ग़ज़ल
तू इलाहाबाद जाकर बेवफ़ा ना होती तो ठीक था
तू इलाहाबाद जाकर बेवफ़ा ना होती तो ठीक था
तेरी बातों में ना पड़ता मैं कभी तो ठीक था।
तेरी बातों का असर दिल पर ऐसा हुआ
तू ज़िंदगी हो गई पर तू ज़िन्दगी ना होती तो ठीक था।
तेरी राहों में ख़ुद को खो बैठा था
तेरी यादों में मेरा ये पल ना बिताता तो ठीक था।
हमने तेरे ख़यालों में अपना वक्त गवाॅं दिया
अगर तू मेरी दुनिया का हिस्सा ना होती तो ठीक था।
तेरी मोहब्बत से बिछड़ने का डर सिखा हमनें
अगर तू बेवफ़ा ना होती तो ठीक था।
अब भी दिल में तेरा नाम बसा है क्या करूॅं
अगर तू अपना ना होती तो ठीक था।
मेरी तन्हाई में तेरा साथ ना होता तो ठीक था
तू इलाहाबादी ना होती तो ठीक था।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
ग़ज़ल
तू इलाहाबादी न होती तो ठीक था
मेरे दिल में ये तन्हाई न होती तो ठीक था।
तेरे बिना जीना अब मुश्किल सा लगता है
तेरी यादों की सज़ा न होती तो ठीक था।
हमने जो प्यार तुझसे किया था कभी
वो ख्वाब अधूरे न होते तो ठीक था।
तेरे जाने से खाली हो गया है दिल का कोना
वो दर्द, वो जख्म न होता तो ठीक था।
हमने तुझे दिल से चाहा था हर पल
तू इतना दूर न होती तो ठीक था।
अब तक हम तुझे भूल नहीं पाए
अगर तू हमारी जिंदगी से चली न होती तो ठीक था।
तू इलाहाबादी न होती तो शायद
ये मोहब्बत का ग़म इतना गहरा न होता तो ठीक था।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
ग़ज़ल
वो इलाहाबाद गए और उड़ने लगे
वो इलाहाबाद गए और उड़ने लगे
हमारी तन्हाई में, एक बेमन सा रंगने लगे।
उनकी यादें जिनमें हम जीते थे
अब उन यादों में अजनबी से लगने लगे।
वो जो कभी मेरे पास थे, अब दूर हो गए
जिनसे हम उम्मीदें रखते थे, अब सोने लगे।
दिल की जो बातें थी, वो अधूरी रह गईं
वो इलाहाबाद गए और खामोशी से बिखरने लगे।
तू जो था मेरा हर ख्वाब, मेरी हकीकत
तेरे बिना अब हमारी तक़दीर थमने लगे।
तेरी मुस्कान, तेरी आवाज़ का खुमार था
अब ये सब किसी और के होने लगे।
वो इलाहाबाद गए, छोड़ गए हमें अकेला
हमारी रातें उनकी यादों से ढकने लगे।
तू चला गया, और इस दिल को बिखेर दिया
हमारी कहानी अब दर्द की सूरत में बदलने लगे।
वो इलाहाबाद गए और उड़ने लगे
हमारे दिल में उनके बिना सब धुंधलाने लगे।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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6
ग़ज़ल
वो उड़ने लगे
वो इलाहाबाद गए और उड़ने लगे
जैसे मेरे ख्वाब भी अब चुराने लगे।
दिल में जो दर्द था, वो भी सन्नाटे में खो गया
उनके बिना हर रोज़ हम पुराने होने लगे।
हमने हर रास्ता उनका ही बनाया था
अब वो रास्ते सियाह और वीरान होने लगे।
वो जो कभी हमारे पास थे, अब बहुत दूर हो गए
हमारी तक़दीर में वीरानी छाने लगे।
उनकी यादें अब भी दिल में लहराती हैं
जिन्हें हर पल ताजा करने लगे।
वो इलाहाबाद गए और खो गए अपनी दुनिया में
हमारा प्यार किसी परछाई सा ठहरने लगे।
तू था वो ख़ुशबू, जो हवाओं में बसी थी
अब वो खुशबू भी कहीं खोने लगे।
वो इलाहाबाद गए और उड़ने लगे
हमारे सपने धीरे-धीरे टूटने लगे।
गज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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7
ग़ज़ल
वो आज भी याद आते हैं
वो आज भी याद आते हैं, दिल में दर्द भरा है
हमने जो प्यार किया था, वो अब तक छुपा है।
उनकी हँसी की गूॅंज आज भी कानों में बसी है
वो जख्म जो छुपाए थे, अब वो खुला है।
वो थे हमारे ख्वाबों की रोशनी
अब वो ॲंधेरा, जो हर रात हमसे जुड़ा है।
तू जो था हमारा, अब किसी और का हो गया
हमारी तन्हाई में, तेरे बिना सब कुछ रुक सा गया है।
वो चाँद सा चेहरा, जो कभी पास था
अब वो धुॅंधला सा, दूर कहीं खो गया है।
वो आज भी याद आते हैं, हर एक पल में
कभी लगता है, जैसे वो साथ हों हमारे
हमने प्यार किया था, वो यादें हमारी हैं
वो आज भी याद आते हैं, और हर दिन हमें रुलाते हैं।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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8
ग़ज़ल
वो आज भी याद आते हैं, जैसे पुरानी कोई कहानी
हमारी खामोशी में बसी थी उनकी मुस्कान जानी।
उनकी यादों का साया हर कदम पर साथ चलता है
दिल की तन्हाई में अब भी उनका ही दर्द पलता है।
तू जो था कभी मेरा, अब किसी और का हो गया
हमारे ख्वाबों का रंग अब मद्धम सा हो गया।
तेरे बिना ये जहाॅं अब सुना सा लगता है
तू दूर है, फिर भी हर साॅंस में तू महकता है।
वो आज भी याद आते हैं, कभी प्यारी सी मुलाकातें
अब तो बस जख्मों में उलझी हैं वो पुरानी बातें।
हमने चाहा था तुझे दिल से, फिर भी तेरा साथ न मिला
अब भी दिल की गली में तेरा ही नाम गूॅंजता है।
वो आज भी याद आते हैं, जैसे खोया हुआ सपना
जो कभी अपना था, अब सिर्फ यादों का ठिकाना बना।
गज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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