Thursday, November 21, 2024

ग़ज़ल एल्बम 47

1
गज़ल 
आज की रात फिर उसकी याद आई है

आज की रात फिर उसकी याद आई है
दिल के ज़ख्मों पर फिर चोट खाई है।

चाॅंद खिड़की से झाॅंकता है यूॅं
जैसे उसने कोई बात छुपाई है।

हवा की सरसराहट भी कुछ कह रही
उसकी ख़ुशबू कहीं से लौट आई है।

जिन लम्हों को भुला दिया था कभी
वो ही क़िस्से फिज़ाओं ने दोहराई है।

सन्नाटे में उसके क़दमों की आहट
दिल को हर बार क्यों भरमाई है।

आज की रात फिर उसकी याद आई है
दिल के वीराने में बस आग लगाई
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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2
ग़ज़ल 
आज की रात 

आज की रात फिर उसकी याद आई है
लगभग है अधूरी दुआ जैसे लौट आई है।

चाॅंदनी छू रही है बेज़ान खिड़कियाॅं
जिनमें उसकी हॅंसी गूॅंज कर समाई है।

हर सितारा है गवाह मेरे ग़म का
फिर ये तन्हा हवा क्यों सुलगाई है।

वो जो वादा था मिलने का कभी
उसकी परछाई आज भी भरमाई है।

ऑंसुओं के समंदर में डूबा दिल है
वो मोहब्बत मेरी फिर रुलाने आई है।

आज की रात फिर उसकी याद आई है
साथ जीने की कसमें फिर क्यों सताई है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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3
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना दिखा गया
जो ख्वाब सजा थे, वो धुॅंआ हो गया।

हाथों में थी जो तस्वीर उसकी कभी
अब बिखरे शीशों में दर्द बढ़ा गया।

हर टुकड़े में है उसकी झलक आज भी
पर छूने की कोशिश में ज़ख्म दे गया।

जो वादे थे उसके, अधूरे रह गए
सच का नकाब ओढ़, झूॅंठ सजा गया।

दिल के कोने में गूॅंजे हैं सन्नाटे
वो अपने निशानों को भी मिटा गया।

चाहत का टूटता आईना चुभ रहा
यादों के काॅंटे हर लम्हा खा गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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4
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना अब धुॅंधला गया,
जो दिल में था उजाला, वो ॲंधेरा हो गया।

रिश्तों के काॅंच पर उॅंगलियाॅं खून से लिखी,
हर ख्वाब अब खंडहर सा बना गया।

तेरे वादों के जो थे सितारे आसमां में,
वो अब टूटकर गिर गए और खो गया।

इश्क की राह में जो था फूलों का गहना,
अब काॅंटे वही घावों में गहरे हो गए।

आईने की तरह दिल में जो सूरत थी कभी,
वो अब टूटकर सिर्फ़ एक याद हो गया।

चाहत का टूटता आईना दिल में रहा,
और तुझसे जुड़ा हर रिश्ता चुराया गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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5
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना अब क्या कहे
जो ख़्वाब हमने देखे, वो बिखर गए।

वो शोर-शराबा जो दिल में गूॅंजता था
अब सन्नाटे में खो गया और डर गया।

दिल के हर कोने में जो नाम तेरा था
वो अब वीरानियों में खोकर चुप हो गया।

सफ़र जो हमने साथ तय किया था कभी
अब रास्तों में दर्द ही दर्द छोड़ गया।

तेरी यादें मेरी धड़कन में बसीं थीं
अब वही यादें भी अजनबी सी हो गईं।

चाहत का टूटता आईना सिर्फ़ दर्द दे गया
जो प्यार था कभी, वो अब बस सवाल हो गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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6
ग़ज़ल 
 टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना फिर से दिखा
जो प्यार था कभी, वो अब अज़नबी सा हुआ।

दिल की गहराइयों में जो तू था बसा
वो अब ख़ामोशियों में खो सा गया।

तेरी हर बात में जो ख़्वाबों की मिठास थी
अब वो सिर्फ़ यादों की कसक बना गया।

राहों में जो तेरे कदमों का असर था
अब वो दरारों में कहीं खो गया।

जो हाथ कभी तुझे थामने के लिए बढ़ा
अब वहीं हाथ अपने ही ज़ख्मों से ढ़क गया।

चाहत का टूटता आईना दिल में बस गया
जहाॅं कभी खुशी थी, अब ग़म का घर बन गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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7
ग़ज़ल 
तेरे झूॅंठ का सच

तेरे झूॅंठ का सच अब सामने आया है
दिल में एक और ग़म का तूफ़ान आया है।

जो वादा था तेरा सच्चाई का
वो सिर्फ़ एक छलावा बनकर आया है।

तेरी हँसी के पीछे जो ग़म छिपा था
वो अब आँखों में अश्कों का समंदर आया है।

तू जो कहता था प्यार में बसा है सच
अब वो तेरे अल्फ़ाज़ों का झूॅंठा फ़साना आया है।

दिल को दिलासा देने वाले वो पल
अब महज़ एक ख़्वाब सा टूटकर आया है।

तेरे झूॅंठ का सच अब मेरे सामने है
जो प्यार का था रंग, वो अब बदल आया है 
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
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8
ग़ज़ल 
तेरे झूॅंठ का सच
तेरे झूॅंठ का सच अब खुलकर आया है
जो कभी दिल में था, वो अब सामने आया है।

तू कहता था दिल से दिल की बात होती है
अब तेरे अल्फ़ाज़ों का रंग बदलकर आया है।

वो जो वादा था कभी, वो अब एक कहानी है
तेरी सच्चाई अब मुझे धोखा सा दिखाई है।

जो रंग तेरी आँखों में था, वो फीका हो गया
तेरी मोहब्बत का सच अब रेत सा बहा है।

तेरे झूॅंठ  का सच दिल में गहरे गड़ गया
अब ख़ामोशी में, वो जख़्म हर रोज़ सजा है।

तेरी यादों का सिलसिला अब टूट गया
तेरे झूॅंठ का सच दिल में एक सवाल बना है 

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