1
ग़ज़ल
उठो
उठो, हर दर्द को अब मुस्कुराहट बना लो
ज़िंदगी की राहों को फिर से जन्नत बना लो।
वो मंज़िलें भी तुम्हारी होंगी, जो दूर नज़र आईं
इन्हीं काॅंटों को फूलों की तरह अपनी सौगात बना लो।
हवा के रुख़ को अब अपने हिसाब से मोड़ो दो
ऑंधियों में भी अपनी मंज़िल की पहचान बना लो।
अगर दिल में है हौसला, तो रुकने का क्या मतलब?
हर क़दम को अब अपनी ताज़गी की शान बना लो।
जो मुश्किलें हों, उन्हें अब अपने रास्ते का हिस्सा बना लो
तुम किसी वीर से काम नहीं हो इन्हें अपना ज़ुनून बना लो
चलते रहो, रुकना नहीं है तुमको किसी के कहने पर
अपनी ताक़त को हर मुश्किल में अपनी पहचान बना लो।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
------------------------------
2
ग़ज़ल
इरादा पक्का कर
तू अपना इरादा पक्का कर, फिर देख सब बदल जाएगा
सपनों का हर सफ़र, तेरे कदमों से सज जाएगा।
हवाओं से टकरा, तू अपनी राह बनाना सीख
जो तू चाहेगा, वह सब कुछ तुझे मिल जाएगा।
ॲंधेरों में भी तेरे हौसले की रोशनी चमकेगी
जो सपने तेरे हैं वो सच्चाई में बदल जाएगा
गिर कर फिर उठ, तू यकीन कर अपनी ताकत पर
जो खुद पर विश्वास रखेगा, वही खुद को बदल पाएगा
कभी नहीं रुकना, आगे बढ़ते जाना है
क्योंकि हार से भी तू, एक नई शुरुआत बनाएगा।
जो तूने ठाना है, वह तू पाकर ही रहेगा
तू वही है जो अपने भाग्य को खुद से सजा पाएगा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
-------------------------
3
ग़ज़ल
राहों में कांटे हों, तो उन्हें ही अपना साथी बना
हौंसले से हर मुश्किल को, अब अपनी सौगात बना।
ग़म की रातें सवेरा बन जाएं, अगर तू खुद को मान ले
अपने सपनों की राह में तू खुद को एक सितारा बना।
मुसीबतें तेरी ताकत का इम्तिहान हैं, जान ले
जब तू ठान ले, तो हर रुकावट को ख़ुदा बना।
जो भी खोया है तुझसे, वो बस एक सीख थी
अब फिर से उठ, उसे अपनी जीत बना।
हर कदम पे विश्वास रख, खुद पे ऐतबार कर
जो तू करेगा, वही तू अपनी सच्चाई बना।
कभी न रुक, चल आगे और खुद को आज़माते जा
तू ही है वो जो अपनी किस्मत को अपनी तरह से सजा
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
--------------------------
ग़ज़ल
4
राहों में छुपे हैं सोने के खजाने, बस तलाश शुरू कर
मुसीबतों को अपनी ताकत बना, फिर नई उड़ान शुरू कर।
फिज़ाओं को भी अपनी दिशा दिखा, तू उड़ा कर ले जाएगा
हर कदम तेरी मेहनत का फल, एक दिन मुकाम पे ले जाएगा।
जो कभी ना हो पाया वो अब होगा तुझसे, बस ऐतबार रख
जितना भी तूने खोया है, उसे एक ताकत बना कर बढ़।
अंधेरों से ना डर, तेरी रोशनी खुद ही चमकेगी
दुनिया तेरी है, बस तू अपनी राहें खुद ही बना लेगा।
हर तूफान से तुझे कुछ न कुछ सीखने को मिलेगा
तू जो ठान ले, वही हर मुश्किल से ऊपर निकलेगा ।
कभी भी हार ना मान, तू खुद अपनी कहानी लिख
तेरे कदमों की आवाज़ से ही, तेरा रास्ता बनेगा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
----------------
5
ग़ज़ल
ख़ुद पर यकीन रख, तू जो चाहेगा, वो पाएगा
हर मुश्किल को अपनी ताक़त बना, आगे बढ़ेगा।
जो तूने देखा है ख़्वाबों में, वो हकीकत बनेगा
हर दर्द और ग़म से बड़ा, तेरा हौंसला चमकेगा।
हर गिरावट से फिर तू ख़ुद को उठाएगा
तू ही वो सितारा है, जो रात को रोशन करेगा।
मंजिलें दूर नहीं, बस तेरी मेहनत का सवाल है
हिम्मत कर ज़रा तू तेरी हर सफ़लता कमाल है
रास्ते ख़ुद ब ख़ुद तेरे लिए खुलने लगेंगे
जो तू ठानेगा, वही तेरे कदमों से बदलने लगेंगे।
चमकते रहेंगे तेरे सपने, बस न तू रुक, न थम
तेरे हौसले की रौशनी में, तेरा रास्ता ख़ुद बनेगा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
----------------------------
6
ग़ज़ल
तूफ़ानों से कह दो, इम्तिहान ना ले मेरा
मैं हर कदम पे जीतूॅंगा, ये ऐलान है मेरा।
गिरने से डरूँ कैसे, मैं खुद ही संभल गया
राहें भी मेरे हौसले का बयान करें यहाॅं ।
ॲंधेरों में चमका हूँ, सूरज की तरह
अब रोशनी से पूछूॅं, ये जान ले जरा
मुश्किल मेरी दुश्मन नहीं, साथी है मेरी
हर दर्द से मैंने पाया, एक अरमान है मेरा।
हौसला मेरी क़िस्मत का दरवाज़ा है
जो चाहूँगा, उसे बना दूॅं आसमान है मेरा।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
---------------------------
7
ग़ज़ल
हवा के साथ नहीं, तू हवा के खिलाफ चल
जो तुझमें है जुनून, वही बनेगा तेरा बल।
हर ठोकर तुझे सिखाएगी, गिर कर संभलना
सफ़र को पूरा करने का यही है असल पल।
जो जलता है तुझमें, वो शमा बुझने न देना
ॲंधेरों में यही रोशनी करेगी तेरा हल।
जो हालात रुकावट बनें, उन्हें अपना बना
हर मुश्किल के आगे झुकेगा उसका अचल।
चमकने का हक उसे है, जो तपकर निखरे
तू भी अपनी तपिश से चमका ये आतिश-जल।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
--------------------
8
ग़ज़ल
ज़माने से न डर, तू अपना इरादा बना
जो चाहेगा जहाँ में, वो तेरा रास्ता बना।
ख़ुदा भी मदद करता है, हिम्मतवालों की
तू अपने हौसले को, अब दुआ बना।
गिरने से जो डरे, वो मंज़िल तक क्या पहुंचे
गिरकर उठेगा जो, वही अपना ख़ुदा बना।
हर एक आँधियों में, है तेरे हौसले की जीत
तू तूफ़ानों का अब, एक नया सिलसिला बना।
ख़ुद को पहचान, हर दर्द से ऊपर है तू
अपने ख्वाबों को हर हाल में सच बना।
ग़ज़ल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
No comments:
Post a Comment