Monday, January 20, 2025

ग़ज़ल एल्बम 61 टाईप

वो बातें, वो रातें, वो नग़्मे सुहानें
दिलों में बसे हैं ये मीठे फसानें।

ना छुप-छुप के देखो, यूॅं ऑंखें चुराकर
जो कहना है कह दो, नज़रें मिलाकर।

तेरी मुस्कुराहटें, ये चाॅंदनी सी प्यारी
तेरे संग सजती हैं, ये जन्नतें हमारी 

तुम्हारी वफ़ा ने, दिया है सहारा
जुबाॅं पर बसा है, तुम्हारा नज़ारा।

चलो फिर से बाॅंधें मोहब्बत बन्धन
सजा दें ये मस्तकें, ललाटे ये चन्दन ।


No comments:

Post a Comment