होली है.........
गुलाल के रंग उड़ाएंगे।
बजाएं मृदंग संग ढोलक,
हर गली-गली में जाएंगे।।
पिचकारी भर-भर मारेंगे,
सबको गोरी कर डालेंगे।
हंसते-गाते झूमेंगे हम,
फागुन रस में नहाएंगे।।
भंग ठंडाई छलकाएंगे,
मौज-मस्ती में आएंगे।
चन्द्रपाल जी के संग मिलकर,
होली का रंग जमाएंगे।।
राधा-कृष्ण की लीला होगी,
बरसाने की महफ़िल होगी।
हर कोई गाए प्रेम के सुर,
होली सतरंगी होगी।।
रंग ना छूटे मनवा से,
सुर ना रूठे तनवा से।
गीत-ग़ज़ल में झूम उठे,
रंग लगा लो छनवा से।।
गीत
चन्द्रपाल राजभर
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