संघर्ष की ज्वाला जलाएंगे हम,
पुरानी पेंशन को लाएँगे हम!
जो हक़ हमारा, वो लेकर रहेंगे,
सरकार से अब आर-पार करेंगे!
डाक्टर "रामाशीष सिंह जी अमर रहें! विजय कुमार बंधु, जिंदाबाद,नीरजपति त्रिपाठी जिंदाबाद ,अशोक सिंह गौरा ज़िंदाबाद!"
"जय युवा! जय अटेवा! अबकी बार – पुरानी पेंशन!"
हमने बचाई ये धरती हरी,
हमने चलाई ये शिक्षा गली।
मेहनत से हमने ये राष्ट्र संवारा,
अब क्यों हमें कर रहे हो बेसहारा?
ना चुप रहेंगे, ना रुकेंगे हम,
पुरानी पेंशन बहाल करेंगे हम!
"डाक्टर रामाशीष सिंह जी अमर रहें! विजय कुमार बंधु जिंदाबाद,नीरजपति त्रिपाठी जिंदाबाद ,अशोक सिंह गौरा ज़िंदाबाद!"
"जय युवा! जय अटेवा! अबकी बार – पुरानी पेंशन!"
हक़ की लड़ाई, ये धर्म हमारा,
संघर्ष यही है अब कर्म हमारा।
क़लम हमारी अब, हथियार बनेगी,
ये जंग हमारी, जीत बनेगी !
अब देखेगी दुनिया हमारी हुंकार,
अबकी बार – पुरानी पेंशन बहाल!
"डाक्टर रामाशीष सिंह जी अमर रहें! विजय कुमार बंधु, जिंदाबाद ,नीरजपति त्रिपाठी जिंदाबाद ,अशोक सिंह गौरा ज़िंदाबाद!"
"जय युवा! जय अटेवा! अबकी बार – पुरानी पेंशन!"
हमने दिया है ये जीवन सारा,
अब क्यों हमें कर रहे हो बेसहारा?
जब तक न होगी पेंशन बहाल,
हम लड़ेंगे, हम लड़ेंगे हर हाल!
एकता की ताकत दिखाएँगे हम,
पुरानी पेंशन को लाएँगे हम!
"जब तक सांस चलेगी, संघर्ष रहेगा!"
" डाक्टर रामाशीष सिंह जी अमर रहें! विजय कुमार बंधु जिंदाबाद, नीरजपति त्रिपाठी जी जिन्दाबाद,अशोक सिंह गौरा ज़िंदाबाद!"
"जय युवा! जय अटेवा! अबकी बार – पुरानी पेंशन!"
गीत -आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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