डगर कठिन है, पहर कठिन है
(प्रेरणा गीत – कहरवा ताल)
मुखड़ा
डगर कठिन है, पहर कठिन है।।2।।
चलना फिर भी पड़ता है।
अंधियारों में दीप जलाकर,
चलना फिर भी पड़ता है
डगर......
अंतारा
आंधियों से डरना क्या
मंज़िल कोs पाना है।
घाव लगे राहों में तो क्या
मरहम खुद बन जाना है।
सपनों का ये शहर कठिन है
चलना फिर भी पड़ता है।
डगर....
थकना मना है, रुकना मना है,
सपनों का ये कहना है।
हौसलों की छांव में रहकर,
अग्निपथ पर चलना है।
सफर में हर इक पहर कठिन है,
चलना फिर भी पड़ता है।
डगर.....
बांध लिया है जज़्बा जिसने
जीता वही तूफानों से
हार गया वो बैठ गया जो
लड़ा नहीं तूफानों से
कांटों का ये सफर कठिन है
चलना फिर भी पड़ता है।
डगर.....
(स्वरचित)
लेखक - चन्द्रपाल राजभर
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चलते जाना है जब तक जान है
(प्रेरणा गीत – कहरवा ताल)
मुखड़ा
चलते जाना है, जब तक जान है,
राहें मुश्किल हैं, पर पहचान है।
जो डगमगाए वो इंसान कैसा,
सपनों के पीछे ये अरमान है।
अन्तरा
तूफ़ां आए या बरसे अंगारे,
चलना होगा बनके उजियारे।
हिम्मत के दीपक जलते रहें,
मंज़िल खुद चूमेगी तेरी प्यारे।
जो लड़ जाए वो ही यहा महान है,
चलते जाना है,जब तक जान है।
हर ठोकर से बनता नया रास्ता,
हार में छुपा है जीत का वास्ता।
जो गिरके संभले वही जीतता,
हौसला रख, यही है सहारा तेरा।
कदम बढ़ाओ चलो नई उड़ान है,
चलते जाना है,जब तक जान है।
धूप है, कांटे हैं, बडीs राहों में,
फूल खिलेंगे हैं,इन बाहों में।
डर से डरना नहीं, बस चलना है
सपनों की दुनिया सच करना है।
हर मुश्किल में छुपा, कई वरदान है,
चलते जाना है, जब तक जान है।
(स्वरचित)
लेखक - चन्द्रपाल राजभर
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3
प्रेरणा गीत
चलो मशाल जलाते हैं, अंधेरों से टकराते हैं,
जहां रुके थे कल सपने, वहां नयी राह बनाते हैं।
कांटों पे चलके जो बढ़ते हैं,
वही तो फूल खिलाते हैं,
घबराए जो तूफानों से,
वो साहिल क्या पा सकते हैं?
छोटे छोटे क़दमों से, एक दिन सूरज लाते हैं,
चलो मशाल जलाते हैं, अंधेरों से टकराते हैं।
पसीने की हर इक बूंद में,
छुपा है इक अरमान नया,
जो गिर के फिर से उठ जाए,
वो होता है इंसान नया।
संघर्षों की छांव तले, एक दिन आसमान पाते हैं,
चलो मशाल जलाते हैं, अंधेरों से टकराते हैं।
राहों में जो पत्थर आए,
उनसे ही सीढ़ियां बनती हैं,
जो आंखों में सपना रखते,
उनकी किस्मत खुद सजती है।
हर धड़कन में आग लिए, हम जीत की थाह पाते हैं,
चलो मशाल जलाते हैं, अंधेरों से टकराते हैं।
छोटे से दीपक की लौ से,
सूरज बनकर चमकेंगे,
जो मन में हो सच्ची मेहनत,
वो खुद को रौशन करेंगे।
मिट्टी में जो बीज पड़े, एक दिन सागर बन जाते हैं,
चलो मशाल जलाते हैं, अंधेरों से टकराते हैं।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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4
प्रेरणा गीत
मंजिल को पाना है...
(लय- दादरा ताल, धीमी गति में भावनात्मक सुर के साथ)
चल उठ मेरे साथी, तुझे चलना ही होगा,
अंधेरों के साए से, तुझे लड़ना ही होगा।
रुक जाए जो राहों में, वो किस्मत बदलता नहीं,
जो कांटों से डर जाए, वो इतिहास रचता नहीं।
आंधियों में जो दीप जले,
वही सवेरा लाएगा,
जो गिरके भी मुस्काएगा,
वही मुकाम पाएगा।
सपने नहीं हैं खिलौने,
इन्हें संघर्ष से सजाना होगा,
चल उठ मेरे साथी, तुझे चलना ही होगा।
टूट जाए जो हौसले,
तो मंजिलें भी रूठ जाती हैं,
जो खुद पर ऐतबार करे,
वही किस्मत संवार जाती हैं।
हर चोट को सहकर,
तुझे चट्टान बन जाना होगा,
चल उठ मेरे साथी, तुझे चलना ही होगा।
पसीने की वो बूंदें,
तेरे ख्वाबों का श्रृंगार हैं,
हर मेहनत की सांस में,
तेरी जीत के इकरार हैं।
सूरज भी तेरे आगे झुकेगा,
बस तुझे जलना होगा,
चल उठ मेरे साथी, तुझे चलना ही होगा।
मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं,
जो चलते हैं टूट जाने तक,
सपने उन्हीं के पूरे होते हैं,
जो लड़ते हैं खुद को पाने तक।
हर दर्द को मोती बना,
तेरे नाम का सूरज चमकेगा,
चल उठ मेरे साथी, तुझे चलना ही होगा।
गीत
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
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5
प्रेरणा गीत