1
(स्थायी)
मोनालिसा सी सूरत तेरो, नजरिया नै मारे
हाय! नजरिया नै मारे
मन में उठे अजब हिलोर, साजन मोहे तड़पावे।
मोनालिसा...
(अन्तरा)
चुपके से मुस्काए तू, दुनिया नै बहकावे
कोई जाने तेरी चाल, कोई जिया गवाँवे।
भीनी-भीनी बोले बैना, कोयल सी लहराए
तेरी अदाओं की लाली, चंदा पे भी छाए।
मोनालिसा...
झील से गहरी अखियन में, जाने क्या छुपाए
देख के डूबे नैया, कोई पार न पाए।
रूप की चादर ओढ़े, चितवन नै लुभाए
साँस-साँस में मिठास, मन को बैरन बनाए।
मोनालिसा...
पलकों की घटा घिरी, सावन सा बरसाए
रूप सलोना देख के, मनवा बैचैन हो जाए।
आ! सजना कर ले अपनाई, अब न सताओ
मोनालिसा सी सूरत तेरो, दिल नै बहकाए।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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2
(स्थायी)
मोनालिसा सी छवि तुम्हारी, मन को खूब लुभाए,
भीनी-भीनी बात नयन की, कोई भेद न पाए।
(अंतरा1)
झील सी गहरी अँखियन, सपनों में बुलाए,
हौले से जो मुस्काए, दिल की दुनिया सजाए।
साँझ सकारे छवि तुम्हारी, चंदा को शरमाए,
मन बंजारो बनके बोले, पास अब तो आए।
(अंतरा 2)
ओढ़ के घूँघट अलबेली, जैसे कोई नई नवेली,
हर अदा में प्रेम छलकता, जैसे कोई सगी सहेली।
रंग-रंग की छवि निराली, दिल पे जादू कर दे,
रूप तेरा देख बावरा मन, गीत नए रच दे।
(अंतरा 3)
बात अधूरी, लाज ज़रा सी, फिर भी कुछ कह जाए,
मोनालिसा सा रूप तुम्हारा, मन मंदिर महकाए।
साजन अब ना देर लगाओ, प्यार में बह जाओ,
प्रेम की गागर छलक उठे, नयनों से बरसाओ।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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3
(स्थायी)
चुपके से जो मुस्काई तुम, मन में आग लगाई तुम
नज़रों से दिल छूकर मेरा, प्रेम कहानी गाई तुम।
(अंतरा 1)
पलकों की छाँव में छुपकर, मौसम को बहकाया
बात अधूरी कहकर भी, मन को क्यों भरमाया?
हवा चली संग खुशबू आई, याद तेरी ले आई
सपनों में आकर चुपके से, प्रीत की ज्योत जगाई।
(अंतरा 2)
चंदा से प्यारी सूरत तेरी, तारे भी लजाएँ
बिन बोले दिल की भाषा, आँखों से पढ़ जाएँ।
रंग सजाए रूप अनोखा, काजल की रेखा
देख के तुझको बावरा दिल, मांगे तेरा देखा।
(अंतरा 3)
धीमे-धीमे बोलो ऐसे, मधुर सुरों में गाए
प्रेम भरे मीठे शब्दों से, जीवन रंग सजाए।
पास बुलाकर दूर न जाओ, प्रीत को और बढ़ाए
बाहों में अब आ भी जाओ, सपन सजीव हो जाए।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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4
मोनालिसा सी सूरत तेरी, चंचल नैना काजल धारे,
हौले से जो हँस दी तुम, दिल के दरद मेरे हरे।।
(अंतरा 1)
नयन तुम्हारे काजल वाले, जैसे हो सावन की घटा,
भीनी-भीनी बात जो बोले, लगे बहारों की बेला।
धीमे-धीमे हँसी जो छलके, जादू सा कर जाए
मदमस्त पवन संग बँध जाए, मनवा कहीं खो जाए।
(अंतरा 2)
ओठ तुम्हारे पंखुरी जैसे, मिश्री घुली बतियाँ
रंगों की दुनिया में बिखरी, प्रेम भरी सब रीतियाँ।
चाँद भी तेरा रूप निहारे, लाज से छुप जाए
दिल की वीणा तान सुनाकर, प्रीत तेरी गाए।
(अंतरा 3)
तेरी छवि में प्यार बसा है, जैसे कोई तसवीर
मन में उठे मीठी हिलोरें, संग ले जाए पीर।
साजन मेरे पास तो आओ, अब न यों तरसाओ
प्रीत की माला तुम बिखराओ, जिया में मोरे समाओ
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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5
(स्थायी)
तेरी मुस्कान में छुपा है, सौंदर्य ये मंजर
तेरी आँखों में बसा है, रहस्यों ये समंदर।
गजब है तेरा, रूप ये मंज़र ।
(अंतरा 1)
झील सी गहरी आँखों में, सपना कोई जागे है
हौले-हौले चुपके से, दिल की दुनिया भागे है।
रूप तेरा देख के साजन, दिल भी गीत सुनाए है
हर धड़कन के सुर में तेरी, छवि बसी रह जाए है।
(अंतरा 2)
तेरी सुंदरता की छवि में, प्रेम मधुर बहता है
चुपके से तेरी बातों में, कोमल भाव रहता है।
मोनालिसा की छवि सी तू, मुस्कान में तेरे जादू है
जो देखे तुझको एक दफा, वो तुझमें ही खो जाए है।
(अंतरा 3)
बता नहीं सकता कैसे, तू इतनी प्यारी है
चंदा भी तुझसे सीखे, चाँदनी की सवारी है।
दिल के बागों में हर घड़ी, तेरी याद महकाए है
तेरी मुस्कान का जादू, दुनिया को बहकाए है।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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6
(स्थायी)
मोनालिसा सी छवि तुम्हारी, क्या राज़ ये गहरा है
मुस्कान में जादू छुपा है, रूप लगे सुनहरा है।
तेरी आँखें, तेरी बातें, जैसे कोई अफ़साना है
रहस्य भरी हर अदा तेरी, लगे प्रेम का पैमाना है।
(अंतरा 1)
धीमे-धीमे सुर में बोले, साज़ बजे हैं मन के
तेरी नजरों की गलियों में, खो गए हैं रम के।
चुपके से जो देखे तुझको, मदहोश वो हो जाए
तेरी सूरत के रंग अनोखे, चित्रकार भी घबराए।
(अंतरा 2)
सावन जैसी झील हैं अखियाँ, लहरों में बह जाए
जो भी तुझको देखे साजन, सपनों में ही खो जाए।
बातें तेरी प्रेम रस घोले, ग़ज़ल सी लहराए
तेरी छवि में दिल ये अपना, हरदम डूबता जाए।
(अंतरा 3)
चंदा भी सरमाए तुझसे, रंग भरे ये काजल
हौले-हौले चलती जाये, बनके मधुर ये बादल।
तेरी हँसी में गीत छुपे हैं, दिल को खूब लुभाए
मोनालिसा की छवि में साजन, प्रेम नया मुस्काए।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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7
(स्थायी)
मोनालिसा की छवि निराली, मुस्कान में है जादू
देखे जो एक बार साजन, दिल हो जाये बेकाबू ।
(अंतरा 1)
नयनों में गहराई ऐसी, जैसे सागर की लहरें
चुपके से कुछ बोल रही हैं, छू जाए दिल के पहरे।
चित्र बना जीवंत लगे है, जैसे कोई ऐहसास भरे
देख के तुझको मन मेरा ये, हर आहट मुस्कान भरे।
(अंतरा 2)
काजल की हल्की रेखा में, अनगिन भाव छुपाए है
रूप सलोना ऐसा तेरा, चंदा भी शरमाए है।
तेरी छवि में गीत बसे हैं, प्रेम मधुर कहानी है
जो भी देखे बिन बोले ही, दिले पीर बयानी है।
(अंतरा 3)
तू मुस्काए और बहकाए, मन में जादू कर जाए
रंगों की दुनिया में तेरा, रूप अनोखा छा जाए।
तूलिका भी तुझ पर ठहरी है, शब्दे मौन जाए,
तेरी छवि में श्रृंगार बसा है, रूप सुहाना हो जाए।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI
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8
(स्थायी)
तेरी सूरत में जादू है, तेरी मुस्कान है कमाल
एक नज़र जो देखे तुझको, हो जाए वो बेहाल।
(अंतरा 1)
तेरी आँखों की गहराई, जैसे कोई सागर है
बिन बोले भी कहती हैं, प्रेम भरे कुछ आखर है।
तेरी अदाएं मतवाली , मन को खूब लुभाए है
सावन जैसी झील हैं अखियाँ, सपनों में ले जाए है।
(अंतरा 2)
रहस्यमयी यह छवि तुम्हारी, अनबूझ कोई पहेली है
चित्रकार भी सोचे देखे, रंगों की अलबेली है।
तेरी हँसी में प्रेम छुपा है, नजरों में इकरार है
दिल में तूफान उठे है, बिन बोले हर बार है।
(अंतरा 3)
काजल की हल्की रेखा, चुपके से कुछ बोले है
तेरी छवि में खोकर साजन, शब्द भी हैं डोले है।
मोनालिसा सी सूरत तेरी, रूप तेरा बेमिसाल है
जो देखे वो कहे साजन, प्रेम तेरा है कमाल है।
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर
लेखक SWA MUMBAI