Saturday, November 30, 2024

किसी भी विभाग में समस्याएं तब ज्यादा बढ़ जाती हैं जब लोग अपना काम छोड़कर दूसरे का काम करने लगते हैं आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन

                   आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

किसी भी विभाग में समस्याएं तब ज्यादा बढ़ जाती हैं जब लोग अपना काम छोड़कर दूसरे का काम करने लगते हैं आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर का एक चिंतन 

जब किसी भी विभाग में लोग अपने निर्धारित कार्यों को छोड़कर दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप करने लगते हैं, तब न केवल उस विभाग की कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि विभागीय अनुशासन भी भंग हो जाता है। यह समस्या संस्थागत असंतुलन का कारण बनती है, जो व्यक्तिगत स्वार्थ, अयोग्यता और अव्यवस्थित कार्यप्रणाली की जड़ है। इस विचार को समझने के लिए हमें विभागीय व्यवस्था, व्यक्तित्व टकराव और प्रशासनिक क्षमताओं की व्यापक पड़ताल करनी होगी।

विभागीय कार्यप्रणाली में प्रत्येक व्यक्ति को एक विशिष्ट दायित्व सौंपा जाता है। या यूं समझ लीजिए कि उनकी नियुक्ति ही कुछ विशेष कार्यों के लिए ही होती है जब व्यक्ति अपने दायित्व को दरकिनार करके अन्य कार्यों में रुचि लेने लगता है, तो उसका मूल कार्य उपेक्षित हो जाता है। उदाहरण के रूप में, यदि एक शिक्षक अपनी शिक्षण गतिविधियों को छोड़कर प्रशासनिक कार्यों में उलझ जाता है, तो कक्षाओं का समय प्रभावित होता है, जिससे छात्रों की शिक्षा बाधित होती है। इसी प्रकार, किसी कार्यालय में क्लर्क का ध्यान दस्तावेज़ीकरण के बजाय नीतिगत निर्णयों पर केंद्रित हो जाए, तो नीतिगत निर्णय तो अधूरे रहेंगे ही, साथ ही फाइलों का प्रबंधन भी अव्यवस्थित हो जाएगा।

एक उदाहरण के रूप में, उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालयों में यह देखा गया है कि शिक्षक, जो मुख्यतः छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किए गए हैं, अक्सर मिड-डे मील योजना, डाटा फीडिंग, हाउसहोल्ड सर्वे, बीएलओ ड्यूटी, चुनाव ड्यूटी, मतदान प्रक्रिया में ड्यूटी, जनगणना कार्य में भागीदारी, पल्स पोलियो अभियान का संचालन और जागरूकता, मिड-डे मील योजना का प्रबंधन और रिपोर्टिंग, टीकाकरण अभियान में सहयोग, आधार कार्ड पंजीकरण और डेटा संग्रहण, स्वास्थ्य विभाग के लिए सर्वेक्षण, विद्यालय भवन की मरम्मत और निर्माण कार्य की निगरानी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गतिविधियों में सहयोग, सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार, बच्चों के (डीबीटी) फीडिंग और किताबों का वितरण, ग्रामीण विकास योजनाओं से संबंधित कार्य, आपदा प्रबंधन और राहत कार्य, गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों का सर्वेक्षण, बाल गणना और नामांकन अभियान, विद्यालय में सांस्कृतिक और खेलकूद आयोजनों का संचालन, ग्राम पंचायत बैठकों में विद्यालय प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित रहना, पर्यावरण संरक्षण अभियान जैसे वृक्षारोपण कार्यक्रम, स्कूल स्तर पर सरकारी योजनाओं की जानकारी देना, और विद्यालय स्तर पर सफाई अभियान का नेतृत्व ऐसे सैकड़ों गैर शैक्षणिक कार्य शामिल है और अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि न केवल बच्चों का शिक्षण प्रभावित होता है, बल्कि शिक्षकों का तनाव भी बढ़ता है। 2021 में जारी एक रिपोर्ट में पाया गया कि इस प्रकार के हस्तक्षेप ने छात्रों की पढ़ाई के स्तर को गिरा दिया, क्योंकि शिक्षक अपनी प्राथमिक भूमिका निभाने में असमर्थ रहे।

लोग दूसरों के कार्यों में इसलिए हस्तक्षेप करते हैं क्योंकि वे अधिक शक्ति या पद की लालसा रखते हैं। यह प्रवृत्ति विभागीय संरचना को कमजोर करती है। कुछ व्यक्ति अपनी अयोग्यता छुपाने के लिए दूसरों के कार्यों में रुचि लेते हैं। इससे उनकी खुद की जिम्मेदारियां अधूरी रह जाती हैं। जब नेतृत्व स्पष्ट दिशा निर्देश देने में विफल रहता है, तो विभागीय कार्य अनियमित हो जाते हैं। यह नेतृत्वहीनता व्यक्तियों को अपनी सीमाओं से बाहर जाने के लिए प्रेरित करती है।

इस चुनौती का समाधान विभागीय कार्यप्रणाली में स्पष्टता और अनुशासन लाने में निहित है। हर कर्मचारी को उनके कार्यों की स्पष्ट जानकारी दी जानी चाहिए। शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों को प्रशासनिक कार्यों से मुक्त रखा जाना चाहिए। उच्च पदों पर बैठे व्यक्तियों को नेतृत्व और प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

जब लोग अपने दायित्व को छोड़कर दूसरों के कार्यों में हस्तक्षेप करते हैं, तो इसका दुष्प्रभाव न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर पड़ता है, बल्कि पूरे संगठन के उद्देश्य भी बाधित होते हैं। इस समस्या का समाधान तभी संभव है, जब हम अनुशासन, जवाबदेही और कार्य विभाजन के सिद्धांतों को अपनाएं और विभागीय संरचना को सुदृढ़ बनाएं।

आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
लेखक SWA MUMBAI

ग़ज़ल एल्बम 53

अभिलाषा

मन में उठती नई तरंग, छूने को हर एक उमंग
हर सपना पूरा हो मेरा, हर क्षण गाए नई तरंग।

चाहूं मैं नभ को पा लेना, तारे चुनकर ला देना
हर गगन में नाम लिखूं, सूरज को भी झुका देना।

पर्वत से ऊंचा हौसला हो, सागर सा हो गहराई
मंज़िल की हर राह सजाऊं, बाधाएं सब रह जाएं पराई।

फूलों से भी कोमल बनूं, कांटों को भी राह दिखाऊं
हर दिल में आशा भर दूं, हर आंसू में हंसी लाऊं।

धरती पर हरियाली लाऊं, नभ में चांद नया चमकाऊं
अपनी अभिलाषा की डोरी से, पूरे जग को साथ बंधाऊं।
रचना 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------


भेदभाव

जवाब किसी के साथ भेदभाव कर रहे होते हैं तब आप देश में भेदभाव को बढ़ावा दे रहे होते हैं आर्टिस्ट चंद्रपाल राजभर का एक चिंतन 

भेदभाव केवल एक सामाजिक समस्या नहीं है, यह एक गहरी मनोवैज्ञानिक समस्या भी है जो हमारी सोच, भावनाओं और व्यवहारों में निहित होती है। जब कोई व्यक्ति या समूह किसी अन्य व्यक्ति या समूह के साथ भेदभाव करता है, तो उसके पीछे कई मनोवैज्ञानिक कारण और प्रभाव होते हैं। चन्द्रपाल राजभर का यह चिंतन इस बात की गहरी समझ को दर्शाता है कि भेदभाव के व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर गंभीर परिणाम होते हैं।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भेदभाव का मुख्य कारण स्टीरियोटाइपिंग और प्रीजुडिस (पूर्वाग्रह) है। स्टीरियोटाइप्स वे मानसिक छवियां हैं जो हम किसी विशेष समूह के बारे में बना लेते हैं, अक्सर बिना उनके वास्तविक अनुभव के। उदाहरण के लिए, जाति, धर्म, लिंग, या आर्थिक स्थिति के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करना और उनके बारे में नकारात्मक धारणाएं बनाना भेदभाव का मूल कारण बनता है। ये पूर्वाग्रह अक्सर बचपन से सीखी गई सामाजिक मान्यताओं और अनुभवों का परिणाम होते हैं।

मनोविज्ञान यह भी बताता है कि भेदभाव एक इन-ग्रुप और आउट-ग्रुप मानसिकता से उपजता है। जब लोग खुद को किसी समूह का हिस्सा मानते हैं, तो वे अपने समूह को श्रेष्ठ और अन्य समूहों को हीन मानने की प्रवृत्ति रखते हैं। यह प्रवृत्ति "सामाजिक पहचान सिद्धांत" (Social Identity Theory) द्वारा समझाई जाती है, जिसमें लोग अपनी पहचान को मजबूत करने के लिए दूसरों को अलग और कमतर समझते हैं।

भेदभाव करने वाले लोग अक्सर कॉन्फर्मेशन बायस का शिकार होते हैं। वे केवल उन्हीं सूचनाओं को स्वीकार करते हैं जो उनके पूर्वाग्रहों को सही ठहराती हैं और उन तथ्यों को नजरअंदाज कर देते हैं जो उनके विचारों का खंडन करती हैं। इससे वे अपनी ही गलत धारणाओं को और मजबूत कर लेते हैं। इसके साथ ही, भेदभाव एक "सुरक्षा तंत्र" के रूप में भी काम करता है। जब लोग अपने अंदर की असुरक्षाओं, असफलताओं या आक्रोश को दूसरों पर प्रक्षेपित करते हैं, तो वे भेदभाव का सहारा लेते हैं ताकि खुद को बेहतर महसूस कर सकें।

भेदभाव का शिकार होने वाले व्यक्तियों पर इसके गहरे मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं। लंबे समय तक भेदभाव झेलने से हीनभावना, आत्मविश्वास में कमी, और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। पीड़ितों में चिंता और अवसाद की भावना गहराई तक बैठ सकती है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत विकास को बाधित करती है। अध्ययनों ने यह भी दिखाया है कि भेदभाव झेलने वाले लोग अक्सर इंपोस्टर सिंड्रोम (Impostor Syndrome) से जूझते हैं, जिसमें वे अपनी उपलब्धियों को कमतर मानने लगते हैं और लगातार यह सोचते हैं कि वे किसी चीज के लायक नहीं हैं।

भेदभाव का समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह सामूहिक तनाव (collective stress) को बढ़ाता है और एक ऐसा वातावरण तैयार करता है जहां प्रतिस्पर्धा के बजाय शत्रुता हावी हो जाती है। इससे समाज की उत्पादकता और समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

चन्द्रपाल राजभर का यह चिंतन हमें यह समझने के लिए प्रेरित करता है कि भेदभाव का समाधान केवल कानूनों या नीतियों से नहीं हो सकता; इसके लिए गहरी मानसिक और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है। हमें उन मानसिक जड़ों को समझना और मिटाना होगा जो भेदभाव को जन्म देती हैं।

सकारात्मक दृष्टिकोण से, सहानुभूति और सह-अस्तित्व का अभ्यास भेदभाव को कम करने का एक प्रभावी तरीका है। मनोवैज्ञानिक शोध यह दर्शाते हैं कि जब लोग विभिन्न समूहों के साथ घुलते-मिलते हैं और उन्हें समझने का प्रयास करते हैं, तो उनके पूर्वाग्रह कम हो जाते हैं। इसे "कॉण्टैक्ट हाइपोथेसिस" (Contact Hypothesis) कहा जाता है, जो बताती है कि आपसी संपर्क और संवाद से भेदभाव घटता है।

अंत में यह चिंतन न केवल एक कलात्मक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मनोवैज्ञानिक गहराई से भी हमारी सोच को चुनौती देता है। यदि हम भेदभाव को समाप्त करना चाहते हैं, तो हमें मानसिकता को बदलने, पूर्वाग्रहों को तोड़ने, और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे। यही एक सशक्त, समृद्ध और न्यायपूर्ण समाज की नींव है।

Tuesday, November 26, 2024

ग़ज़ल एल्बम 52

1- ग़ज़ल 
इश्क़ की राहों में कभी ख़ुद को खो दिया...

इश्क़ की राहों में कभी ख़ुद को खो दिया
तुझे पाने के चक्कर में सब कुछ छोड़ दिया।

मेरे दिल में बसी थी जो एक तसव्वुर की छाया
अब वो ख़्वाब भी जैसे किसी और का हो दिया।

माॅंगता था तेरे प्यार में बस तसल्ली
फ़िर भी दर्द में, ख़ुद को और ज़्यादा सज़ा दिया।

तू नहीं था पास, फिर भी हर क़दम तेरी तलाश थी
तेरे बिना ज़ीने का तरीक़ा ख़ुद को सीख लिया।

तू जो न था, वो दर्द अब मुस्कान में बदल गया
इस दिल को मैंने फ़िर से ख़ुद को से जोड़ दिया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------------------
2
ग़ज़ल 

तन्हाई में तेरी यादों का असर है...

तन्हाई में तेरी यादों का असर है
दिल में उभरते सवालों का सहर है।

तेरी हॅंसी का वो असर, वो तेरी बातें
अब सिर्फ़ दिल में उनका इश्क़ भरा डर है।

तू था पास तो हर दर्द हल्का लगता था
तेरे बिना तो जीने का कोई रास्ता भर है।

गुज़रे पल और खोई हुई मोहब्बत
अब हर पल में इक खालीपन का डर है।

यादें तो हैं, मगर तेरे बिना क्या हैं
हवाओं में तेरी ख़ुशबू का क़सूर है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------
3
ग़ज़ल 
तू ज़हाॅं भी रहे, मेरी धड़कन में है...

तू ज़हाॅं भी रहे, मेरी धड़कन में है
तेरी यादों की एक गूॅंज अब तक में है।

मुझे तेरा इंतजार, कभी खत्म नहीं हुआ
दिल की गली में तेरा नाम अब तक में है।

ख़ुशबू तेरी हवाओं में बसी रहती है
तेरी आदतों का असर हर लम्हे में है।

कभी सोचा था कि तुझे छोड़ दूॅंगा
पर अब तो तुझसे जुड़े हर रंग में है।

तेरे बिना जीने की कोशिश की मैंने
पर मेरी तन्हाई में तेरा संग अब तक में है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------+--
4
ग़ज़ल 

तुझे खोने का डर कभी जाने नहीं पाया...

तुझे खोने का डर कभी जाने नहीं पाया
तेरे बिना ज़ीने का तरीक़ा मैं न पा पाया।

हवाओं में तेरी ख़ुशबू, आँखों में तेरा नाम,
इन एहसासों से दिल ने कभी भी छुटकारा न पाया।

कभी सोचा था, खुद को तेरे बिना भी पा लूॅंगा
पर तेरी यादों ने हमेशा मुझे पकड़ लिया।

तू कहीं भी हो, तेरा असर अब तक रहता है
मेरे दिल में तेरा अपना एक ख़ास हिस्सा रहता है।

इश्क़ में वो शिद्दत, वो मासूमियत भी खो दी
फिर भी तेरे प्यार का असर कभी कम न पाया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------------
5
ग़ज़ल 

मेरे दिल की धड़कनें तुझे ही पुकारती हैं...

मेरे दिल की धड़कनें तुझे ही पुकारती हैं
तेरी यादों में अब मेरी दुनिया समाती है।

तेरे बिना हर रंग बेरंग सा लगता है
तेरी सूरत में ही रौशनी पाई जाती है।

कभी सोचा था दूर जाकर जी लूॅंगा
पर तेरे बिना तो जीने की वज़ह ही जाती है।

मुझे तुझसे कोई शिक़ायत नहीं, मग़र 
तेरे बाद, सब कुछ अधूरा सा लगता है।

हर साॅंस में तेरा नाम लिखा है दिल ने
तू जो नहीं, फ़िर भी हर जगह दिखती है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
6
ग़ज़ल 

दिल में एक सवाल सा बाक़ी है...

दिल में एक सवाल सा बाक़ी है
क्या तू मेरे बिना कभी तन्हा था?

तेरी हॅंसी की गूॅंज अब भी कानों में है
क्या तेरे दिल में भी मेरा नाम था?

हमने चाहा था तुझसे सच्चा प्यार
क्या तुमने कभी इसे महसूस किया था?

मेरे ख़्वाबों में तेरा चेहरा अभी तक है
क्या तू भी रातों में मुझे याद करता था?

अब तो दिल में बस एक ख़ामोशी है
क्या कभी ये ख़ामोशी तुझे भी महसूस हुआ था?
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
7
ग़ज़ल 
तेरे बिना दुनियाॅं कुछ भी नहीं लगती...

तेरे बिना दुनियाॅं कुछ भी नहीं लगती
हर ख़ुशी जैसे अब खो सी जाती है।

तेरे जाने के बाद, खालीपन बढ़ गया
दिल की हर धड़कन जैसे थम सी जाती है।

मुझे यक़ीन था, तुम लौट आओगे
अब वो उम्मीद भी अक़्सर टूट जाती है।

आने वाले कल में क्या होगा, पता नहीं
मग़र तुझसे ये दूरी कुछ सुलझाई जाती है।

ख़ुद को भी अब तुझसे दूर कर लिया
पर तेरे बिना, हर राह अजनबी सी लगती है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
8
ग़ज़ल 
तू जो चला गया, तो हर पल रुक सा गया...

तू जो चला गया, तो हर पल रुक सा गया
तेरी यादों का साया हर जगह झुक सा गया।

मेरे दिल की ज़ुबाॅं अब तेरे बिना मौन है
तेरे बाद सब कुछ जैसे सुनसान सा गया।

तू था पास, तो ज़िंदगी का हर पल हसीन था
तेरे जाने के बाद, हर पल कुछ भी छुक सा गया।

इश्क़ में वो रंग, वो ख़्वाब सारे खो गए
तेरी बिनाई राहों में ॲंधेरा सा गया।

पर फिर भी, दिल की गहराई में तुझे महसूस किया
तेरे जाने के बाद भी, तेरा असर ताज़गी सा गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 


ग़ज़ल एल्बम 51

1--ग़ज़ल 
तेरी यादों का ये आलम तो है...

तेरी राहों से जुड़ा हर कदम... मेरे नाम तो है
दिल की चाहतों में बसा एक गम... अरमान तो है।

चाहे जो तू कहे, अपना मान ले या न ले
तेरे जिक्र में छुपा मेरा भी पैगाम तो है।

मेरे हिस्से में सुकून आए या न आए
तेरी खुशबू में सजा हर एक शाम तो है।

लोग कहते हैं तेरा जिक्र कर मैं रोता हूॅं 
पर मोहब्बत का यही अंजाम तो है।

देखकर मुझे हॅंसी आए तुझे या न आए
इस दिल को हर दर्द से आराम तो है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
2
ग़ज़ल 
तेरी यादों का ये आलम तो है...

तेरी राहों से जुड़ा हर क़दम... मेरे नाम तो है
दिल की चाहतों में बसा एक ग़म... अरमान तो है।

मेरा सब कुछ लुटा, फिर भी शिकवा नहीं,
तेरे प्यार में मिला हर सितम... इनाम तो है।

तू चाहे दूर रहे, फिर भी पास लगता है
इस दिल के हर कोने में तेरा पैग़ाम तो है।

हर दुआ में तेरा नाम निकल आता है
ये इश्क़ है या रूह का कोई इम्तिहान तो है।

लोग कहते हैं दीवाना हूॅं तेरा, मैं मानता हूॅं
मुहब्बत में खोने का अपना एक मुकाम तो है।

चाहे तू मुझे भूले या याद करे कभी
तेरी यादों का दिया हरदम मेरे साथ तो है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------+++++++
3
ग़ज़ल 
तेरी यादों का ये आलम तो है...

तेरी राहों से जुड़ा हर कदम... मेरे नाम तो है,
दिल की चाहतों में बसा एक गम... अरमान तो है।

तूने चाहा न कभी, फिर भी ख्वाब तेरा देखा,
मेरे दिल की किताब में तेरा मुकाम तो है।

हर आहट पे तुझे पाने की हसरत जागे,
ये मोहब्बत का जुनून और ये गुलाम तो है।

तेरा चेहरा न दिखे, फिर भी तसव्वुर में है,
इस दर्द में भी छुपा कोई सलाम तो है।

तू चाहे दिल से मेरे दूर कहीं हो जाए,
तेरे वादों की सदा में मेरा इंतकाम तो है।

इक तेरा नाम ही दवा सा लगता है,
वरना इस दिल-ए-बीमार का अंजाम तो है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------------
4
ग़ज़ल 

तेरी यादें 

तेरी राहों से जुड़ा हर क़दम... मेरे नाम तो है
दिल की चाहतों में बसा एक गम... अरमान तो है।

मेरे अश्कों ने लिखी तुझसे वफ़ा की दास्ताॅं
हर ऑंसू में छुपा कोई इल्हाम तो है।

तूने चाहा मुझे या न चाहा, मुझे क्या परवाह,
मोहब्बत में हर हाल में अंजाम तो है।

तेरी बातें, तेरा लहज़ा आज भी याद है
ख़ामोशी में छुपा तेरा सलाम तो है।

दिल ने माना कि दूरी सही पर इकरार भी
तेरी यादों में हर रात का जाम तो है।

तू अगर पास नहीं, दर्द भी शिक़ायत नहीं
इस दिल को तसल्ली का ये आराम तो है।

हर दुआ में बस तेरा ही ज़िक्र होता रहा
मेरे इश्क़ में रूह का कोई पैग़ाम तो है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
5
गजल

ख़्वाब टूटे मगर रोशनी बाक़ी है...

ख़्वाब टूटे म़गर रोशनी बाकी है
इस मोहब्बत की इक बंदगी बाक़ी है।

तू जो बिछड़ा, तो दुनिया अधूरी लगी
दिल की मिट्टी में पर ताज़गी बाक़ी है।

जख़्म गहरे सही, दर्द सहता रहा,
इश्क़ में फ़िर भी इक सादगी बाक़ी है।

ख़ुद को खोया है मैंने तुझे पाने में
अब भी साॅंसों में वो ताज़गी बाक़ी है।

तेरे जाने से उजड़ा है जीवन मग़र 
आस के चाॅंद में थोड़ी लकीर बाक़ी है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------++-
6
ग़ज़ल 

मैं चुप हूॅं, मग़र सवाल बाक़ी है...

मैं चुप हूॅं, मग़र सवाल बाक़ी है
तेरे वादों का क्या हाल बाक़ी है।

तू गया तो हर चीज़ वीरा़न हुई
पर खंडहरों में भी इक चाल बाक़ी है।

दिल ने चाहा तुझे पूरी वफ़ा के साथ
फ़िर भी क़िस्मत का जंजाल बाक़ी है।

तेरे जाने से सन्नाटा छा गया
पर हवा में तेरा ख़्याल बाक़ी है।

तू समझा नहीं मेरे दर्द की जुबां
मेरे अश्कों में इक हाल बाक़ी है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------------
7
ग़ज़ल 

तेरे बिना मेरी तन्हाई का आलम है...

तेरे बिना मेरी तन्हाई का आलम है
हर एक लम्हा जैसे एक पैग़ाम है।

तू जो चला गया, तो क्या बचा यहाॅं
मेरे दिल में अब तक तेरा नाम है।

तेरे जाने की कोई सूरत नहीं थी
फिर भी इस दिल में तेरी राहों का काम है।

हर जगह तेरी यादों का साया है
मेरे ख़्वाबों में बस तेरा ही तमाम है।

ज़िंदगी की किताब अब अधूरी है
क्योंकि इसमें तेरा कोई चैप्टर नहीं है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
8
ग़ज़ल 

तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है...

तेरे बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है
हर एक लम्हा खो सा जाता है।

तेरी आवाज़, तेरी सूरत, हर एक बात
अब इनसे ही दिल जुड़ा सा जाता है।

इश्क़ के सफ़र में ख़ामोशी की राहें
तेरी यादों का आसरा बन जाता है।

तेरे जाने से घुटन सी बढ़ गई है
हर पल अब इक सवाल सा बन जाता है।

तू नहीं तो कुछ भी नहीं है यहाॅं
इस दिल की रूह अब तुझमें खो जाती है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 


Sunday, November 24, 2024

ग़ज़ल एल्बम 50

अभिलाषा नहीं मेरी कि मैं किसी को दोषी ठहराऊॅं
ख़ुद के गमों को ही अब मुस्कानों में छुपाऊॅं।

चुभती हैं दिल पे जो, वो बातों की सुइयाॅं
उनकी टीस को भी मैं फूलों-सा महकाऊॅं।

हर एक ग़लतफ़हमी को नज़रअंदाज़ करता रहा
हर जलती चिंगारी को पानी-सा बुझाऊॅं।

मंज़िल पे पहुँचने का नहीं कोई ज़ुनून 
सफर की ख़ामोशियों में गीत-सा गुनगुनाऊॅं।

किसी की मोहब्बत का न कोई सवाल है
दिल को उजालों से हर शाम सजाऊॅं।

दुनिया के रंगों में न खोई मेरी सोच,
अपनी धुन में अपना ही आलम बनाऊॅं।

अभिलाषा नहीं मेरी कि मैं किसी को दोषी ठहराऊॅं
हर एक दर्द को मैं सुकून-सा बना पाऊॅं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------
अभिलाषा नहीं मेरी कि मैं किसी को दोषी ठहराऊॅं
ख़ुद ही अपने ज़ख़्मों पर, चुपचाप मरहम लगाऊॅं।

जो दिया है वक्त ने, उसे मुक़द्दर मान लिया
ख़्वाब टूटें भी अगर, मैं नया ख़्वाब सजाऊॅं।

क्यों शिकायतें करूॅं, ये दुनिया के रिवाज हैं
हर इल्ज़ाम को मैं मुस्कान में दबाऊॅं।

मेरी वफ़ा को ठुकराया तो कोई ग़म नहीं,
उनकी यादों को भी अब दुआओं में बुलाऊॅं।

हर मोड़ पर मिले अगर कोई नये सवाल
अपने हौसले से हर ज़वाब को मैं पाऊॅं।

अश्क बहते हैं तो क्या, ये मोती हैं मेरे
अपने दर्द को मैं जश्न-सा क्यों दिखाऊॅं।

अभिलाषा नहीं मेरी कि मैं किसी को दोषी ठहराऊॅं
बस अपनी रूह को सच्चाई से और सजाऊॅं।

Saturday, November 23, 2024

ग़ज़ल एल्बम 49 मोटिवेशनल

1
ग़ज़ल 
उठो
उठो, हर दर्द को अब मुस्कुराहट बना लो
ज़िंदगी की राहों को फिर से जन्नत बना लो।

वो मंज़िलें भी तुम्हारी होंगी, जो दूर नज़र आईं
इन्हीं काॅंटों को फूलों की तरह अपनी सौगात बना लो।

हवा के रुख़ को अब अपने हिसाब से मोड़ो दो
ऑंधियों में भी अपनी मंज़िल की पहचान बना लो।

अगर दिल में है हौसला, तो रुकने का क्या मतलब?
हर क़दम को अब अपनी ताज़गी की शान बना लो।

जो मुश्किलें हों, उन्हें अब अपने रास्ते का हिस्सा बना लो
तुम किसी वीर से काम नहीं हो इन्हें अपना ज़ुनून बना लो

चलते रहो, रुकना नहीं है तुमको किसी के कहने पर
अपनी ताक़त को हर मुश्किल में अपनी पहचान बना लो।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
2
ग़ज़ल 
इरादा पक्का कर
तू अपना इरादा पक्का कर, फिर देख सब बदल जाएगा
सपनों का हर सफ़र, तेरे कदमों से सज जाएगा।

हवाओं से टकरा, तू अपनी राह बनाना सीख
जो तू चाहेगा, वह सब कुछ तुझे मिल जाएगा।

ॲंधेरों में भी तेरे हौसले की रोशनी चमकेगी
जो सपने तेरे हैं वो सच्चाई में बदल जाएगा

गिर कर फिर उठ, तू यकीन कर अपनी ताकत पर
जो खुद पर विश्वास रखेगा, वही खुद को बदल पाएगा

कभी नहीं रुकना, आगे बढ़ते जाना है
क्योंकि हार से भी तू, एक नई शुरुआत बनाएगा।

जो तूने ठाना है, वह तू पाकर ही रहेगा
तू वही है जो अपने भाग्य को खुद से सजा पाएगा।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
3
ग़ज़ल 
राहों में कांटे हों, तो उन्हें ही अपना साथी बना
हौंसले से हर मुश्किल को, अब अपनी सौगात बना।

ग़म की रातें सवेरा बन जाएं, अगर तू खुद को मान ले
अपने सपनों की राह में तू खुद को एक सितारा बना।

मुसीबतें तेरी ताकत का इम्तिहान हैं, जान ले
जब तू ठान ले, तो हर रुकावट को ख़ुदा बना।

जो भी खोया है तुझसे, वो बस एक सीख थी
अब फिर से उठ, उसे अपनी जीत बना।

हर कदम पे विश्वास रख, खुद पे ऐतबार कर
जो तू करेगा, वही तू अपनी सच्चाई बना।

कभी न रुक, चल आगे और खुद को आज़माते जा
तू ही है वो जो अपनी किस्मत को अपनी तरह से सजा
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------
ग़ज़ल 
4
राहों में छुपे हैं सोने के खजाने, बस तलाश शुरू कर
मुसीबतों को अपनी ताकत बना, फिर नई उड़ान शुरू कर।

फिज़ाओं को भी अपनी दिशा दिखा, तू उड़ा कर ले जाएगा
हर कदम तेरी मेहनत का फल, एक दिन मुकाम पे ले जाएगा।

जो कभी ना हो पाया वो अब होगा तुझसे, बस ऐतबार रख
जितना भी तूने खोया है, उसे एक ताकत बना कर बढ़।

अंधेरों से ना डर, तेरी रोशनी खुद ही चमकेगी
दुनिया तेरी है, बस तू अपनी राहें खुद ही बना लेगा।

हर तूफान से तुझे कुछ न कुछ सीखने को मिलेगा
तू जो ठान ले, वही हर मुश्किल से ऊपर निकलेगा ।

कभी भी हार ना मान, तू खुद अपनी कहानी लिख
तेरे कदमों की आवाज़ से ही, तेरा रास्ता बनेगा।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------
5
ग़ज़ल 
ख़ुद पर यकीन रख, तू जो चाहेगा, वो पाएगा
हर मुश्किल को अपनी ताक़त बना, आगे बढ़ेगा।

जो तूने देखा है ख़्वाबों में, वो हकीकत बनेगा
हर दर्द और ग़म से बड़ा, तेरा हौंसला चमकेगा।

हर गिरावट से फिर तू ख़ुद को उठाएगा
तू ही वो सितारा है, जो रात को रोशन करेगा।

मंजिलें दूर नहीं, बस तेरी मेहनत का सवाल है
हिम्मत कर ज़रा तू तेरी हर सफ़लता कमाल है

रास्ते ख़ुद ब ख़ुद तेरे लिए खुलने लगेंगे
जो तू ठानेगा, वही तेरे कदमों से बदलने लगेंगे।

चमकते रहेंगे तेरे सपने, बस न तू रुक, न थम
तेरे हौसले की रौशनी में, तेरा रास्ता ख़ुद बनेगा।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------
6
ग़ज़ल 
तूफ़ानों से कह दो, इम्तिहान  ना ले मेरा
मैं हर कदम पे जीतूॅंगा, ये ऐलान है मेरा।

गिरने से डरूँ कैसे, मैं खुद ही संभल गया
राहें भी मेरे हौसले का बयान करें यहाॅं ।

ॲंधेरों में चमका हूँ, सूरज की तरह
अब रोशनी से पूछूॅं, ये जान ले जरा 

मुश्किल मेरी दुश्मन नहीं, साथी है मेरी
हर दर्द से मैंने पाया, एक अरमान है मेरा।

हौसला मेरी क़िस्मत का दरवाज़ा है
जो चाहूँगा, उसे बना दूॅं आसमान है मेरा।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
7
ग़ज़ल 
हवा के साथ नहीं, तू हवा के खिलाफ चल
जो तुझमें है जुनून, वही बनेगा तेरा बल।

हर ठोकर तुझे सिखाएगी, गिर कर संभलना
सफ़र को पूरा करने का यही है असल पल।

जो जलता है तुझमें, वो शमा बुझने न देना
ॲंधेरों में यही रोशनी करेगी तेरा हल।

जो हालात रुकावट बनें, उन्हें अपना बना
हर मुश्किल के आगे झुकेगा उसका अचल।

चमकने का हक उसे है, जो तपकर निखरे
तू भी अपनी तपिश से चमका ये आतिश-जल।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------
8
ग़ज़ल 
ज़माने से न डर, तू अपना इरादा बना
जो चाहेगा जहाँ में, वो तेरा रास्ता बना।

ख़ुदा भी मदद करता है, हिम्मतवालों की
तू अपने हौसले को, अब दुआ बना।

गिरने से जो डरे, वो मंज़िल तक क्या पहुंचे
गिरकर उठेगा जो, वही अपना ख़ुदा बना।

हर एक आँधियों में, है तेरे हौसले की जीत
तू तूफ़ानों का अब, एक नया सिलसिला बना।

ख़ुद को पहचान, हर दर्द से ऊपर है तू
अपने ख्वाबों को हर हाल में सच बना।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

Friday, November 22, 2024

ग़ज़ल एल्बम 48






1
ग़ज़ल 
उसकी शादी हो रही थी

उसकी शादी हो रही थी, जैसे मेरे शरीर से कोई प्राण ले जा रहा है
दिल के हर कोने में एक दर्द सा समा रहा है।

वो जो कभी मेरे पास था, आज किसी और के पास हो गया
मेरी तन्हाई में जैसे कोई साया बहक रहा है।

आँखों में आँसू थे, फिर भी उसे देख रहा था
जैसे कोई सपना टूटकर मेरी हकीक़त बन रहा है।

खुशियाँ उसकी होंगी, म़गर मेरा दर्द बढ़ रहा है
वो जो मुझे अपना कहता था, अब दूर जा रहा है।

उसकी शादी हो रही थी, और मैं खड़ा था बस चुप
जैसे मेरी दुनियाॅं को किसी ने तबाह कर दिया है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
2
ग़ज़ल 
उसकी शादी हो रही थी

उसकी शादी हो रही थी, मैं देख रहा था चुप खड़ा
दिल के अंदर बवंडर था, मगर लबों से कुछ न कहा।

वो मंडप में मुस्कुराता, जैसे सब कुछ पा लिया
और मैं तन्हाई में खोकर ख़ुद को मिटा रहा था।

हर फेरे के साथ ऐसा लगा, जैसे साॅंसें घट रही
वो मेरा सब कुछ था, अब किसी और का हो रहा।

उसकी ऑंखों में जो चमक थी, मेरा ख़्वाब तोड़ गई
मेरी मोहब्बत की दास्ताॅं को अधूरी छोड़ गई।

उसकी शादी हो रही थी, और मैं पत्थर सा बन गया
जैसे मेरे वजूद से कोई मेरी रूह  छीन गय।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------
3
ग़ज़ल 

उसकी शादी हो रही थी

उसकी शादी हो रही थी, वो सज़ा हुआ था आज
जैसे मेरे अरमानों का ख़ुदा ले रहा हो इम्तिहान।

हर मुस्कान में उसकी, मेरा दर्द छुपा हुआ था
दिल की गहराइयों में खंजर सा चुभा हुआ था।

मंडप के हर फेरे पर साॅंस मेरी टूटती गई
उसके वादों की गर्माहट अब राख बनती गई।

चूड़ियों की खनक में सुनाई दिए अफ़साने
जिनमें मेरा नाम कहीं गुम हो गया जाने।

उसकी शादी हो रही थी, और खड़ा रहा जहाॅं
जैसे मेरी रूह का हर टुकड़ा बिखर गया वहाॅं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
4
ग़ज़ल 
मैं टूट रहा था 
उसकी शादी हो रही थी, मेरी साॅंसे टूट रही थी
दिल से जुड़ी हर बात टूटकर बिखरकर रही थी।

महफ़िल सजी थी खु़शियों की, पर दिल वीरान था
जैसे कोई मेरे जिगर से,मेरी जान छीन रही थी

सजे हुए जोड़े में वो खड़ी थी मुस्कान लिए
और मैं टूटे अरमानों के साथ चुपचाप खड़ा था।

हर फेरा उसकी ज़िंदगी को खुशियों से भर रहा था
पर मेरे दिल में दर्द का समंदर बहुत गहरा हो रहा था।

उसकी शादी हो रही थी, और मेरा दिल रो रहा था
जैसे मेरे शरीर से कोई मेरा ज़िगर चुरा रहा था 
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------------
5
ग़ज़ल 
उसकी शादी 

वो मेरे ख़्वाबों का गुलशन सजाए बैठा था
और मैं उजड़ी बहारों का क़िस्सा सुनाए बैठा था।

हर क़सम हर वादा अब फ़िज़ूल सा लग रहा था
जो कभी अपना था, अब वो अज़नबी बन रहा था ।

वो हॅंसी जो मेरे लिए कभी महकती थी
अब किसी और की दहलीज़ पर सज रही थी।

दिल कह रहा था रोक लूॅं उसे इक पल के लिए 
मग़र जुबाॅं ख़ामोश थी, और दिल बहुत रो रहा था।

उसकी शादी हो रही थी, मेरी दुनियॅं खो रही थी
जैसे मुझसे कोई मेरी ज़िंदगी चुरा रही थी ।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
6
ग़ज़ल 
वो खड़ी थी
वो सज-धज खड़ी थी किसी और के नाम पर
और मैं टूट रहा था उनके हर इक अंजाम पर।

जो रिश्ते की डोर कभी दिलों को बाॅंधती थी
आज वही डोर किसी और से जुड़ रही थी।

हर मुस्कान उसकी, मेरे दर्द को बढ़ा रही थी
वो खुशी के पल, मेरी रूह को जला रही थी।

मैंने जो सपने देखे थे उसके संग कभी
 अब वो किसी और की ऑंखों में बस रही थी ।

उसकी शादी हो रही थी, मैं हक्का बक्का था
जैसे कोई तुफान मेरी जिंद़गी छीन रही थी
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----**---------------
7
ग़ज़ल 
शादी
सज रहे थे फूल वहाॅं, और मैं बिखर रहा था
वो जिसे दिल दिया, आज वो दूर हो रहा था।

मंडप में हर रस्म उसकी हॅंसी में डूबी थी
और मेरी तन्हाई में बस ख़ामोशी बसी थी।

ऑंखों में था वो मंजर, जो कभी मेरा था
आज उसकी क़िस्मत का हर लम्हा सुनहरा था।

दुआओं के साथ मैंने उसे विदा किया
दिल से म़गर हर ज़ख्म फिर से ज़िंदा किया।

उसकी शादी हो रही थी, और मैं देख रहा था
जैसे अपनी रूह को धीरे-धीरे छोड़ रहा था।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------***--**----------
8
ग़ज़ल 
उसकी शादी 
चमकते सितारे मंडप में जगमगा रहे थे
और मेरे सपने चुपचाप बुझते जा रहे थे।

जो कभी मेरी हर दुआ का सबब था
आज किसी और के साथ खड़ा बेख़बर था।

मेरे ख़यालों की किताब का हर पन्ना जल गया
उसके वादों का हर लफ्ज़ मुझको छल गया।

हर फेरे के साथ मेरी साॅंसें सिमट रहीं थीं
दिल की आवाज़ें मेरी रगों में थम रहीं थीं।

उसकी शादी हो रही थी, और मैं खड़ा बेकरार था 
जैसे कोई सदा के लिए मुझसे मेरा दिल हड़प रहा था




Thursday, November 21, 2024

ग़ज़ल एल्बम 47

1
गज़ल 
आज की रात फिर उसकी याद आई है

आज की रात फिर उसकी याद आई है
दिल के ज़ख्मों पर फिर चोट खाई है।

चाॅंद खिड़की से झाॅंकता है यूॅं
जैसे उसने कोई बात छुपाई है।

हवा की सरसराहट भी कुछ कह रही
उसकी ख़ुशबू कहीं से लौट आई है।

जिन लम्हों को भुला दिया था कभी
वो ही क़िस्से फिज़ाओं ने दोहराई है।

सन्नाटे में उसके क़दमों की आहट
दिल को हर बार क्यों भरमाई है।

आज की रात फिर उसकी याद आई है
दिल के वीराने में बस आग लगाई
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------
2
ग़ज़ल 
आज की रात 

आज की रात फिर उसकी याद आई है
लगभग है अधूरी दुआ जैसे लौट आई है।

चाॅंदनी छू रही है बेज़ान खिड़कियाॅं
जिनमें उसकी हॅंसी गूॅंज कर समाई है।

हर सितारा है गवाह मेरे ग़म का
फिर ये तन्हा हवा क्यों सुलगाई है।

वो जो वादा था मिलने का कभी
उसकी परछाई आज भी भरमाई है।

ऑंसुओं के समंदर में डूबा दिल है
वो मोहब्बत मेरी फिर रुलाने आई है।

आज की रात फिर उसकी याद आई है
साथ जीने की कसमें फिर क्यों सताई है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------++++++------
3
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना दिखा गया
जो ख्वाब सजा थे, वो धुॅंआ हो गया।

हाथों में थी जो तस्वीर उसकी कभी
अब बिखरे शीशों में दर्द बढ़ा गया।

हर टुकड़े में है उसकी झलक आज भी
पर छूने की कोशिश में ज़ख्म दे गया।

जो वादे थे उसके, अधूरे रह गए
सच का नकाब ओढ़, झूॅंठ सजा गया।

दिल के कोने में गूॅंजे हैं सन्नाटे
वो अपने निशानों को भी मिटा गया।

चाहत का टूटता आईना चुभ रहा
यादों के काॅंटे हर लम्हा खा गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------
4
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना अब धुॅंधला गया,
जो दिल में था उजाला, वो ॲंधेरा हो गया।

रिश्तों के काॅंच पर उॅंगलियाॅं खून से लिखी,
हर ख्वाब अब खंडहर सा बना गया।

तेरे वादों के जो थे सितारे आसमां में,
वो अब टूटकर गिर गए और खो गया।

इश्क की राह में जो था फूलों का गहना,
अब काॅंटे वही घावों में गहरे हो गए।

आईने की तरह दिल में जो सूरत थी कभी,
वो अब टूटकर सिर्फ़ एक याद हो गया।

चाहत का टूटता आईना दिल में रहा,
और तुझसे जुड़ा हर रिश्ता चुराया गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------
5
ग़ज़ल 
चाहत का टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना अब क्या कहे
जो ख़्वाब हमने देखे, वो बिखर गए।

वो शोर-शराबा जो दिल में गूॅंजता था
अब सन्नाटे में खो गया और डर गया।

दिल के हर कोने में जो नाम तेरा था
वो अब वीरानियों में खोकर चुप हो गया।

सफ़र जो हमने साथ तय किया था कभी
अब रास्तों में दर्द ही दर्द छोड़ गया।

तेरी यादें मेरी धड़कन में बसीं थीं
अब वही यादें भी अजनबी सी हो गईं।

चाहत का टूटता आईना सिर्फ़ दर्द दे गया
जो प्यार था कभी, वो अब बस सवाल हो गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
6
ग़ज़ल 
 टूटता आईना

चाहत का टूटता आईना फिर से दिखा
जो प्यार था कभी, वो अब अज़नबी सा हुआ।

दिल की गहराइयों में जो तू था बसा
वो अब ख़ामोशियों में खो सा गया।

तेरी हर बात में जो ख़्वाबों की मिठास थी
अब वो सिर्फ़ यादों की कसक बना गया।

राहों में जो तेरे कदमों का असर था
अब वो दरारों में कहीं खो गया।

जो हाथ कभी तुझे थामने के लिए बढ़ा
अब वहीं हाथ अपने ही ज़ख्मों से ढ़क गया।

चाहत का टूटता आईना दिल में बस गया
जहाॅं कभी खुशी थी, अब ग़म का घर बन गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
7
ग़ज़ल 
तेरे झूॅंठ का सच

तेरे झूॅंठ का सच अब सामने आया है
दिल में एक और ग़म का तूफ़ान आया है।

जो वादा था तेरा सच्चाई का
वो सिर्फ़ एक छलावा बनकर आया है।

तेरी हँसी के पीछे जो ग़म छिपा था
वो अब आँखों में अश्कों का समंदर आया है।

तू जो कहता था प्यार में बसा है सच
अब वो तेरे अल्फ़ाज़ों का झूॅंठा फ़साना आया है।

दिल को दिलासा देने वाले वो पल
अब महज़ एक ख़्वाब सा टूटकर आया है।

तेरे झूॅंठ का सच अब मेरे सामने है
जो प्यार का था रंग, वो अब बदल आया है 
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
8
ग़ज़ल 
तेरे झूॅंठ का सच
तेरे झूॅंठ का सच अब खुलकर आया है
जो कभी दिल में था, वो अब सामने आया है।

तू कहता था दिल से दिल की बात होती है
अब तेरे अल्फ़ाज़ों का रंग बदलकर आया है।

वो जो वादा था कभी, वो अब एक कहानी है
तेरी सच्चाई अब मुझे धोखा सा दिखाई है।

जो रंग तेरी आँखों में था, वो फीका हो गया
तेरी मोहब्बत का सच अब रेत सा बहा है।

तेरे झूॅंठ  का सच दिल में गहरे गड़ गया
अब ख़ामोशी में, वो जख़्म हर रोज़ सजा है।

तेरी यादों का सिलसिला अब टूट गया
तेरे झूॅंठ का सच दिल में एक सवाल बना है 

ग़ज़ल एल्बम 46

तेरी वफ़ा का धोखा
1
तेरी वफ़ा का धोखा दिल में बस गया
एक और ग़म का राज़ अब खुल गया।

तेरे ही कहे शब्द अब दर्द बन गए
मेरी तन्हाई का राग हलचल में बदल गया।

वो प्यार का दावा अब सिर्फ़ एक झूठ है
तेरी आँखों में जो चाँद था, वो ढल गया।

मेरी चाहतों को तुमने तोड़ा ऐसे
जैसे हर ख्वाब मेरा उड़कर गिर गया।

तेरे हर वादे ने मुझे दगा दिया
तेरी सूरत में ही अब वह साया ढल गया।

दिल की इस खामोशी में अब ग़म नहीं है
तुझे खोने के बाद सब कुछ हलचल में बदल गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
2
ग़ज़ल 

तेरी वफ़ा का धोखा दिल में ग़म बन गया
जो था ख्वाबों में प्यारा, अब वो जहर बन गया।

तुमसे जो उम्मीदें थीं, वह सब टूट गईं
सपनों की जो थी उड़ान, अब वह असर बन गया।

हर पल तेरे प्यार की राहों में बिछा था
अब वो हर कदम खुद में एक डर बन गया।

तेरे बिना जो था रंगीन, अब वह सूनापन है
हर एहसास जो था जीवन, अब वह डर बन गया।

वो जो कभी था मेरा, अब वो कुछ भी नहीं है
तेरी वफ़ा का धोखा, अब ग़म बन गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
3
ग़ज़ल 
दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें

दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें बस गईं
चाॅंदनी रातों में आहें अब सज़ा बन गईं।

वो लम्हे जो थे रोशन चिराग़ों की तरह
अब ॲंधेरों में काली परछाईयाँ बन गईं।

तेरे बिना हर ख़्वाब अधूरा सा लगता है
जो थी तस्वीर, वो दरककर धुऑं बन गईं।

तेरी वफ़ा का फ़साना जो कभी ख़ास था
अब हर बात में वो तेरे ख़लिश बन गईं।

तुझसे बिछड़कर हर ख़ुशी बेमानी है
दिल की दीवारें अब सिसकियाॅं बन गईं।

खंडहरों से जो गुज़रते हैं ये ज़ख़्म मेरे
तेरी यादें अब मेरी दवा बन गईं।
गज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
4
ग़ज़ल 
दिल के खंडहर में

दिल के खंडहर में गूॅंजती यादें बसी रहीं
जो भी हुईं मुलाकातें, वो अधूरी सी रहीं।

तेरे बिना हर एक ख़्वाब सिसकता रहा
चाहतें जो थीं हमारी, वो बिखरती ही रहीं।

वो जो तेरा नाम लिया था हवा ने कभी
अब वही सर्द हवाएँ मुझे सताती रहीं।

दिल के वीरानें में तेरी तस्वीर रहीं
आँसू बनके हर ग़म में बहती ही रहीं।

तेरे वादों का दिया बुझ चुका है मगर
उसकी राख में चिंगारियाँ दहकती रहीं।

अब तो बस खंडहरों में तन्हाई का बसेरा है
तेरी यादें मेरी रूह से उलझती ही रहीं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
5
गजल
 खंडहर में गूॅंजती यादें

दिल के खंडहर में गूॅंजती आवाज़ है
हर ओर बिखरी तेरी कोई बात है।

वो लम्हे जो तेरे संग रोशन थे कभी
अब सन्नाटों में डूबी हुई एक रात है।

दीवारों पे चिपकी तेरी तस्वीर है
जिनमें कैद बस एक अधूरी बात है।

तेरे वादों के साए जो जीने न दें
हर साॅंस अब दर्द की सौगात है।

जो चाहा था कभी, वो मिला ही नहीं
अब खंडहर ही ग़मों की निज़ात है।

यादें तेरी हर कोने में ठहरी हुईं हैं 
दिल की वीरानी में बस उनकी ही बात है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------
6
ग़ज़ल 
दिल में गूॅंजती सदा

दिल के खंडहर में गूॅंजती सदा आई है,
तेरे वादों की कोई अधूरी दुआ लाई है।

जो सपने देखे थे तेरे साथ कभी,
अब उनकी राख चुपचाप हवा लाई है।

वो जो मुस्कान थी तेरे इशारों में बसी,
अब वही ऑंखों में ग़म की घटा लाई है।

तेरे बिना हर रास्ता वीराना लगा,
तेरी यादों ने हर गली सज़ा पाई है।

ख़ुद से लड़ते हैं हर रात इन तन्हाइयों में,
तेरे झूठे वादों की कसक फिर सज़ा लाई है।

दिल के खंडहर में अब तेरा नाम है,
जो एक ग़म का कारवाॅं हर तरफ़ लाई है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------
7
ग़ज़ल 

 गूॅंजती यादें

दिल के खंडहर में अब सन्नाटा गहराता है,
हर कोना तेरी बेरुखी का फ़साना सुनाता है।

वो लम्हे जो तेरे साथ जी लिए कभी
अब ख़ामोशी में दर्द बताकर छुपाता है।

तेरी हँसी का सवेरा जो रौशन था कभी
अब ॲंधेरों का घना साया बन जाता है।

टूटे हुए ख़्वाबों की सरगम है हर तरफ़
जो दिल के हर ज़ख्म को फिर जगाता है।

तेरी तस्वीर धुॅंधली है, पर नज़र आती है
हर बार ये दिल तुझमें खुद को पाता है।

दिल के खंडहर में अब कोई रुके क्यों भला
बस एक वीरानी है जो साथ निभाता है।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------
8
ग़ज़ल 
 खंडहर में गूंजती सदा
ख़ामोश दीवारों ने कुछ राज़ बताए हैं
टूटे ख़्वाबों ने फिर से ऑंसू गिराए हैं।

वो खिड़कियाॅं जो खोलती थीं रोशनी का रास्ता
अब ॲंधेरों का ठिकाना बन गई हैं सदा।

जो मोम की तरह पिघलता था दिल कभी
अब पत्थरों में ढल चुका दर्द बनकर।

हर कोने में तेरे कदमों की आहट है
मानो तू लौट आए, पर बस ख़्वाब है।

दिल के खंडहर में अब रह गई है सिर्फ़
यादें, जो हर रात कहानी सुनाती हैं।

Wednesday, November 20, 2024

गजल एल्बम 45

1
ग़ज़ल
वो याद बहुत आते हैं

वो याद बहुत आते हैं, हर रात जगाते हैं।
दिल में कसक देते हैं, अश्कों में नहाते हैं।

जो साथ बिताए पल थे, ख़्वाबों में समाते हैं
उनकी कमी का दर्द, सीने में छुपाते हैं।

चुपचाप सा लगता है, हर शोर भी ख़ामोश
सन्नाटे के साए अब, हर रोज़ डराते हैं।

फूलों की महक जैसी, वो बात कहाॅं भूले
यादों के गुलिस्ताॅं में, हर रोज़ वो आते हैं।

दुनिया से छुपाकर हम, तन्हा जो सिसकते हैं
सजदे में झुकी पलकों से, बस उनको बुलाते हैं।

वो याद बहुत आते हैं, हर रात जगाते हैं
दिल के वीराने में, वो फिर से बसाते हैं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
2
ग़ज़ल
वो याद बहुत आते हैं

वो याद बहुत आते हैं, और हम आँसू बहाते हैं।
सपनों में बुलाकर फिर, पलकों से सजाते हैं।

ख़ामोश सा लगता है, हर शोर भी उनके बिन,
सन्नाटा भी रातों में, अफ़साने सुनाते हैं।

चाहा जो भुला दें उन्हें, हर जतन अधूरा है,
ज़ख्मों के किनारों पर, वो मरहम लगाते हैं।

तस्वीर थी जो धुंधली, अब और निखर आई,
उनके हँसने-रोने के, मंज़र भी लुभाते हैं।

हर मोड़ पे हर गली में, एहसास उन्हीं का है,
हवा के झोंके बनकर, ग़म बनके सताते हैं।

वो याद बहुत आते हैं, दिल दर्द जगाते हैं,
जो बीत चुका कल था, उसे फिर दोहराते हैं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------
3
ग़ज़ल 

वो याद बहुत आते हैं, हर वक्त सताते हैं
सपनों में आकर हमें, चुपके से रुलाते हैं।

गुज़रे हुए दिन जैसे, धुंध में खो जाते हैं
राहों में उनकी आहटें, हमको फिर से पकाते हैं।

चाहा था कभी भूल जाएं, पर दिल को गवारा नहीं
वो ख्वाब अब भी हर रात, हमारी आँखों में समाते हैं।

हवा भी वही है, मौसम भी वही हैं
लेकिन वो जज़्बात अब, दिल को तन्हा कर जाते हैं।

वो याद बहुत आते हैं, दिल में गहरी चुप्पी है
जो पास नहीं थे कभी, वो अब यादों में झलकते हैं 
 ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
--------------------------------
4
ग़ज़ल 
वो यादें 
यादें नहीं अब दर्द बन गई हैं
रातों में गुमसुम सा फर्ज़ बन गई हैं।

जब तुम साथ थे, पल ठहरे हुए थे
अब वो यादें धुॅंधला रंग बन गई हैं।

कुछ ख़्वाब अधूरे से रह गए हैं
हर एहसास एक तन्हाई बन गई है।

जो कभी हँसी में खो जाते थे
वो पल अब सिसकियाँ बन गई हैं।

तुम्हारे बिना ये हवाएँ फीकी हैं
ये यादें अब शायरी बन गई हैं।

दिल में तुम्हारा नाम सज़ा था जैसे
अब वो यादें ख़ुदा की दुआ बन गई हैं।

अभी भी तुम्हारी ख़ामोशी में सुकून है
कभी यादों की परछाईं बन गई हैं।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------
5
ग़ज़ल 

वह एहसास तन्हाई में बदल गया
दिल का हर कोना वीरान सा हो गया।

जो कभी साथ था, अब दूर हो गया
हर याद अब ख़ामोशी में खो गया।

तुम थे पास तो दुनिया हॅंसीन थी
अब तुम बिना, हर पल दर्द में डूब गया।

वो बातें, वो हँसी, जो कभी तुमसे थी
अब ख़ामोशी में भी, वो सिसकता रह गया।

हमने दिल से चाहा था तुम्हें
लेकिन वो चाहत भी अब साया हो गया।

वह एहसास तन्हाई में बदल गया
अब हर ख़्वाब तन्हा सा हो गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------
6
ग़ज़ल 
एहसास बदल गया
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
जैसे कोई ख़्वाब टूटकर ढल गया।

हर पल उसकी यादें शबनमी थीं
अब वो ख़्वाब भी अधूरा सा बन गया।

हमें तो लगा था वह पास रहेगा
पर वक्त के साथ हर राग बदल गया।

सपनों की दुनिया में रंग थे बहुत
अब हर रंग धुॅंधला, बेरंग सा हो गया।

वो हॅंसी, वो बातें, वो प्यारे दिन
सब कुछ एक याद बनकर दिल में गल गया।

वह एहसास तन्हाई में बदल गया
किसी ख़्वाब की तरह अब दिल में पल
ग़ज़ल 
 आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------
7
ग़ज़ल 
वह एहसास तन्हाई में बदल गया
दिल में जो था, अब वो हलचल गया।

जो कभी करीब था, अब दूर हो गया
हर बात अब वो, ख़ामोशी में दब गया।

वो छाँव, वो सुकून, वो पल थे प्यारे
अब दर्द का मौसम सब कुछ नफ़रत से भर गया।

कभी जो दिल की धड़कन था, अब वह ख़ामोश है
वह एहसास किसी अज़नबी सा पल बन गया।

राहों में अब उसकी यादें हैं अकेली
जो प्यार था कभी, वह ख़्वाब बनके छल गया।

वह एहसास तन्हाई में बदल गया
अब अकेलेपन में वह और भी पल बन गया।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------
8
ग़ज़ल 
रास्ता 
अब हर रास्ता खाली सा लगता है
जहाँ भी जाऊँ, बस तन्हाई सा लगता है।

कभी जो था भीड़ में हॅंसी का घर
अब हर कोना उदासी में डूबा सा लगता है।

वो जो कदम साथ चलते थे कभी
अब हर कदम अकेला सा लगता है।

जहाँ भी देखूँ, कोई न कोई कमी है
जैसे मेरा जहाॅं अब अधूरा सा लगता है।

वो जो थे करीब, अब दूर हो गए
उनके बिना ये हर पल सूनापन सा लगता है।

अब हर रास्ता खाली सा लगता है
और जीवन अब बड़ा भारी सा लगता है 
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 

Thursday, November 14, 2024

शीर्षक: कलाओं से बच्चों के सीखने पर प्रभाव (शोध-पत्र)

अनुसंधान शीर्षक:- कलाओं से बच्चों के सीखने पर प्रभाव

 शोधकर्ता चन्द्रपाल राजभर (आर्टिस्ट,शिक्षक,लेखक)

अनुसंधान कर्ता परिचय-
नाम - चन्द्रपाल राजभर 
पद-सहायक अध्यापक
विद्यालय-प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ कादीपुर सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश 


अनुसंधान शीर्षक:- कलाओं से बच्चों के सीखने पर प्रभाव

परिकल्पना -
कलात्मक गतिविधियों में संलग्न होने से बच्चों की संज्ञानात्मक, सामाजिक, और भावनात्मक क्षमताओं में सकारात्मक वृद्धि होती है। कला के माध्यम से सीखने से बच्चों की रचनात्मकता, समस्या-समाधान कौशल, आत्म-अभिव्यक्ति, और संचार कौशल में सुधार होता है, जिससे उनका समग्र मानसिक विकास सुदृढ़ होता है। इस परिकल्पना का उद्देश्य यह जाॅंचना है कि विभिन्न कलाओं — जैसे  चित्रकला, नृत्य, संगीत, और नाटक — में संलग्नता से बच्चों के शैक्षिक प्रदर्शन, आत्मविश्वास, और समूह में काम करने की क्षमता पर कैसा प्रभाव पड़ता है
यह परिकल्पना इस विचार पर आधारित है कि कला के संपर्क में रहने वाले बच्चे अधिक संवेदी और संज्ञानात्मक विकास का अनुभव करते हैं, जो उनकी सीखने की प्रक्रिया को गहरा और अधिक अर्थपूर्ण बनाता है।

अनुसंधान का उद्देश्य:-
1. यह समझना कि कला-आधारित गतिविधियाँ बच्चों की संज्ञानात्मक (cognitive) क्षमताओं, जैसे कि स्मरणशक्ति, एकाग्रता, और विश्लेषणात्मक सोच, पर किस प्रकार प्रभाव डालती हैं।

2. यह अध्ययन करना कि विभिन्न कलाओं, जैसे कि चित्रकला, नृत्य, संगीत, और नाटक, में संलग्न होने से बच्चों की रचनात्मकता और समस्या-समाधान (problem-solving) कौशल कैसे विकसित होते हैं।

3. यह मूल्यांकन करना कि कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से आत्म-अभिव्यक्ति का अवसर मिलने से बच्चों का आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास किस प्रकार बढ़ता है।

4. यह विश्लेषण करना कि कला में भागीदारी बच्चों की भावनात्मक संतुलन बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में कैसे सहायक होती है।

5. यह जानना कि कला से बच्चों की सामाजिक कुशलताओं (social skills), जैसे कि सहयोग, सामंजस्य, और टीमवर्क की भावना में क्या सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

6. यह परीक्षण करना कि कला-आधारित शिक्षा बच्चों की पारंपरिक शैक्षिक विषयों में भी रुचि और प्रदर्शन को किस प्रकार से प्रभावित करती है।

7. यह शोध करना कि क्या कला की शिक्षा बच्चों के बीच सांस्कृतिक समझ, संवेदनशीलता, और विविधता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देती है।

8. शिक्षकों और माता-पिता की दृष्टि से यह जानना कि कला आधारित गतिविधियों से बच्चों के समग्र विकास में क्या परिवर्तन देखे जाते हैं।

9. यह अध्ययन करना कि कला की विभिन्न विधाओं में संलग्नता से बच्चों में अनुशासन, धैर्य, और जिम्मेदारी जैसी गुणात्मक विशेषताओं का विकास किस प्रकार होता है।

10. यह समझना कि कलात्मक गतिविधियाँ बच्चों के लिए कैसे एक सकारात्मक, तनाव-मुक्त वातावरण का निर्माण करती हैं, जो उनके सीखने के अनुभव को अधिक आनंदमय बनाता है।

अनुसंधान प्रश्न:-
1. क्या कला-आधारित गतिविधियाँ बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमताओं, जैसे कि स्मरणशक्ति और एकाग्रता, को बेहतर बनाती हैं?

2. कला का अभ्यास करने से बच्चों की रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल में किस प्रकार के सुधार देखे जाते हैं?
3. कलात्मक गतिविधियों में भाग लेने से बच्चों का आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास कैसे प्रभावित होता है?

4. क्या कला बच्चों के भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने और तनाव को कम करने में सहायक है?

5. विभिन्न कला रूपों में सहभागिता बच्चों की सामाजिक कुशलताओं, जैसे कि सामूहिक कार्य और टीमवर्क, को किस हद तक विकसित करती है?

6. क्या कला-आधारित शिक्षा से बच्चों की पारंपरिक शैक्षिक विषयों में रुचि और प्रदर्शन में सुधार होता है?

7. कला के माध्यम से बच्चों में सांस्कृतिक समझ और विविधता के प्रति सम्मान किस हद तक बढ़ता है?

8. माता-पिता और शिक्षकों का दृष्टिकोण क्या है कि कला आधारित शिक्षा बच्चों के समग्र विकास में किस प्रकार से सहायक होती है?

9. क्या कला के माध्यम से अनुशासन, धैर्य, और जिम्मेदारी जैसे गुण बच्चों में विकसित होते हैं?

10. क्या कला के माध्यम से बच्चों का सीखने का अनुभव अधिक सकारात्मक और आनंदमय बनता है?

11. क्या कलात्मक गतिविधियों में संलग्नता से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है?

12. बच्चों की शैक्षिक यात्रा में कला का क्या योगदान है, और यह उनके दीर्घकालिक विकास में कैसे सहायक होता है?

13. क्या कला में रुचि रखने वाले बच्चे बेहतर सामाजिक और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन करते हैं?

परिचय
कला एक व्यापक अवधारणा है जिसमें ललित कला एवं व्यवहारिककला होती है ललित कला के रूप में देखा जाए तो चित्रकला, संगीत, नृत्य, नाटक, साहित्य, और अन्य रचनात्मक गतिविधियाँ शामिल हैं। यह न केवल व्यक्तियों को स्वयं को अभिव्यक्त करने का माध्यम प्रदान करता है, बल्कि उनके समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विशेष रूप से बच्चों के संदर्भ में, कला शिक्षा एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करती है जो उनके मानसिक, शारीरिक, और भावनात्मक विकास को प्रोत्साहित करती है। इस शोध पत्र में, हम यह अध्ययन करेंगे कि कला बच्चों के शिक्षा और विकास पर कैसे प्रभाव डालती है। बच्चों के संपूर्ण विकास में कलाओं का महत्वपूर्ण योगदान माना गया है। कला केवल एक शौक या मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि बच्चों की संज्ञानात्मक, भावनात्मक, और सामाजिक क्षमताओं को विकसित करने का एक प्रभावी माध्यम भी है। कला की विभिन्न विधाओं, जैसे कि चित्रकला, नृत्य, संगीत, और नाटक के माध्यम से बच्चों के मस्तिष्क का विकास और उनकी समझने की शक्ति में भी वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त, कला बच्चों में रचनात्मकता और कल्पनाशीलता को प्रोत्साहित करती है, जो उन्हें समस्या-समाधान और निर्णय-निर्माण जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित करने में मदद करती है।

कलाओं से बच्चों के सीखने पर प्रभाव पड़ता है या नहीं 

कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि कला में रुचि रखने वाले बच्चों में एकाग्रता, स्मरणशक्ति, और विश्लेषणात्मक सोच बेहतर होती है। कलात्मक गतिविधियों में संलग्न होने से बच्चों को आत्म-अभिव्यक्ति का एक सकारात्मक माध्यम मिलता है, जो उनके आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही, कला बच्चों में भावनाओं को पहचानने और उन्हें संतुलित रखने की क्षमता भी विकसित करती है, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है।
सामाजिक कौशल की दृष्टि से भी कला बच्चों के लिए लाभकारी है। समूह में कला से जुड़े कार्य, जैसे नाटकों में भूमिका निभाना या संगीत समूह में प्रदर्शन करना, बच्चों को सहयोग, सहानुभूति, और टीमवर्क की भावना विकसित करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार, कला बच्चों के सीखने के अनुभव को न केवल अधिक आनंदमय बनाती है, बल्कि उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक गुण भी प्रदान करती है।

हालाँकि, कुछ आलोचक यह तर्क देते हैं कि कला का शैक्षणिक प्रदर्शन पर सीधा प्रभाव कम है और इसे प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा बनाने के बजाए अतिरिक्त गतिविधि के रूप में देखा जाना चाहिए। फिर भी, बच्चों के समग्र विकास के दृष्टिकोण से कलाओं का महत्व निर्विवाद है।

निष्कर्षता: यह कहा जा सकता है कि कला बच्चों के शैक्षिक, मानसिक और सामाजिक विकास में सकारात्मक प्रभाव डालती है। इसके माध्यम से बच्चों की कल्पनाशक्ति, आत्म-अभिव्यक्ति, और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। अतः बच्चों के संपूर्ण और संतुलित विकास के लिए कला का महत्व स्पष्ट रूप से स्वीकार किया जाना चाहिए और इसे शिक्षा के एक महत्वपूर्ण अंग के रूप में अपनाना चाहिए।

साहित्य समीक्षा
अनेक शोधों ने यह साबित किया है कि कला शिक्षा बच्चों के शैक्षिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के लिए, एक अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे नियमित रूप से संगीत सीखते हैं, उनकी गणितीय और भाषाई क्षमताएं बढ़ जाती हैं (Rauscher et al., 1997)। इसके अतिरिक्त, नाटक और नृत्य जैसी प्रदर्शन कलाओं में भाग लेने से बच्चों की आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल में वृद्धि होती है (Catterall, 2009)।

शोध विधि
यह अध्ययन प्राथमिक और माध्यमिक डेटा संग्रह के माध्यम से किया गया। प्राथमिक डेटा के लिए, हमने विभिन्न स्कूलों में कला कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बच्चों के अभिभावकों और शिक्षकों के साक्षात्कार लिए। माध्यमिक डेटा के लिए, हमने विभिन्न शोध पत्रों और लेखों का अध्ययन किया।

डेटा संग्रहण (Data Collection):
प्रश्नावली (Questionnaire):- बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए अलग-अलग प्रश्नावली तैयार की जाएगी, जिनमें बच्चों के कला गतिविधियों में संलग्नता, उनकी संज्ञानात्मक और सामाजिक क्षमताओं पर उसके प्रभाव, और शैक्षणिक प्रदर्शन के बारे में प्रश्न होंगे।

साक्षात्कार (Interviews): कुछ शिक्षकों, कला प्रशिक्षकों, और अभिभावकों के साथ गहन साक्षात्कार किए जाएंगे, ताकि उनके अनुभवों और दृष्टिकोण को समझा जा सके।

प्रेक्षण (Observation): बच्चों की कला गतिविधियों के दौरान उनकी सहभागिता, रचनात्मकता, और समूह में काम करने की क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रेक्षण किया जाएगा।

प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ, कादीपुर के 30 बच्चों पर डेटा:

यह डेटा 30 बच्चों के लिए तैयार किया गया है जो कला गतिविधियों में संलग्न हैं। ये आंकड़े उन बच्चों की कला गतिविधियों में भागीदारी और उसके प्रभाव को प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न,उत्तर (प्रतिशत में),उत्तर का उद्देश्य

1. क्या आप नियमित रूप से कला गतिविधियों में भाग लेते हैं?
उत्तर (प्रतिशत में)
80% हाँ (24 बच्चे), 20% नहीं (6 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
बच्चों की कला गतिविधियों में सहभागिता का आकलन

2. कला गतिविधियों से आपकी एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार होता है?

उत्तर (प्रतिशत में)
70% हाँ (21 बच्चे), 20% कुछ हद तक (6 बच्चे), 10% नहीं (3 बच्चे)

उत्तर का उद्देश्य
संज्ञानात्मक विकास का मापन

3. क्या कला में रुचि से आपकी रचनात्मकता बढ़ी है?

उत्तर (प्रतिशत में)
78% हाँ (23 बच्चे), 15% कुछ हद तक (5 बच्चे), 7% नहीं (2 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
रचनात्मकता पर कला का प्रभाव

4. कला से आपकी समस्या-समा धान क्षमता में सुधार हुआ है?

उत्तर (प्रतिशत में)
68% हाँ (20 बच्चे), 22% कुछ हद तक (7 बच् (3
उत्तर का उद्देश्य
समस्या-समाधा न कौशल में सुधार का मापन

5. क्या कला में सहभागिता से आत्म-विश्वास बढ़ा है?

 उत्तर (प्रतिशत में)
83% हाँ (25 बच्चे), 13% कुछ हद तक (4 बच्चे), 4% नहीं (1 बच्चा)
उत्तर का उद्देश्य
आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान पर प्रभाव

6. क्या कला से आपको तनाव कम करने में मदद मिलती है?

उत्तर (प्रतिशत में)
72% हाँ (22 बच्चे), 20% कुछ हद तक (6 बच्चे), 8% नहीं (2 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
मानसिक स्वास्थ्य पर कला का प्रभाव

7. कला से आपमें सहानुभूति और टीमवर्क की भावना विकसित हुई है?

उत्तर (प्रतिशत में)
75% हाँ (23 बच्चे), 18% कुछ हद तक (5 बच्चे), 7% नहीं (2 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
सामाजिक कुशलताओं का मापन

8. क्या कला का अभ्यास आपकी शैक्षणिक प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव डालत

उत्तर (प्रतिशत में)
62% हाँ (19 बच्चे), 30% कुछ हद तक (9 बच्चे), 8% नहीं (2 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार का मापन

9. क्या कला से सांस्कृतिक समझ और संवेदनशीलता बढ़ती है?

उत्तर (प्रतिशत में)
77% हाँ (23 बच्चे), 17% कुछ हद तक (5 बच्चे), 6% नहीं (2 बच्चे)
उत्तर का उद्देश्य
सांस्कृतिक समझ और विविधता पर प्रभाव

10. क्या कला का अभ्यास आपका सीखने का अनुभव आनंदमय बनाता है?

उत्तर (प्रतिशत में)
85% हाँ (26 बच्चे), 10% कुछ हद तक (3 बच्चे), 5% नहीं (1 बच्चा)
उत्तर का उद्देश्य
बच्चों के आनंददायक सीखने पर प्रभाव

आंकड़ों का संक्षिप्त विश्लेषण:

सामान्य संलग्नता: 80% बच्चों ने नियमित रूप से कला गतिविधियों में भाग लेने की बात की है।

संज्ञानात्मक विकास: 70% बच्चों ने बताया कि कला के कारण उनकी एकाग्रता और स्मरणशक्ति में सुधार हुआ है।

रचनात्मकता: 78% बच्चों ने बताया कि कला से उनकी रचनात्मकता में वृद्धि हुई है।

समस्या-समाधान: 68% बच्चों ने समस्या-समाधान कौशल में सुधार का अनुभव किया है।

आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास: 83% बच्चों ने कला से आत्म-विश्वास में वृद्धि महसूस की।

मानसिक स्वास्थ्य: 72% बच्चों ने कला से तनाव में कमी का अनुभव किया।

सामाजिक कौशल: 75% बच्चों ने कला से सहानुभूति और टीमवर्क की भावना विकसित होने की बात कही।

शैक्षणिक प्रदर्शन: 62% बच्चों ने शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार का अनुभव किया।

सांस्कृतिक समझ: 77% बच्चों ने कला से सांस्कृतिक समझ और संवेदनशीलता में वृद्धि महसूस की।

आनंददायक सीखना: 85% बच्चों ने कला को आनंददायक अनुभव बताया।

सारांश
प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ, कादीपुर के 30 बच्चों पर किए गए इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि कला गतिविधियाँ बच्चों के मानसिक, सामाजिक, और शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। कला की सहभागिता से बच्चों की संज्ञानात्मक क्षमताएँ, रचनात्मकता, आत्मविश्वास, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक कौशल में सुधार हुआ है।

साक्षात्कार (Interviews) - कला गतिविधियों से बच्चों के सीखने पर प्रभाव:
इस अनुसंधान में कला गतिविधियों के बच्चों पर प्रभाव को बेहतर तरीके से समझने के लिए कुछ शिक्षकों, कला प्रशिक्षकों और अभिभावकों के साथ गहन साक्षात्कार आयोजित किए गए। साक्षात्कार से प्राप्त विचार और अनुभव बच्चों के शैक्षणिक, मानसिक, और सामाजिक विकास पर कला के प्रभाव को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।

1. शिक्षिका - अन्जू यादव
अन्जू यादव ने बताया कि कला गतिविधियाँ बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके अनुसार, "जब बच्चे कला गतिविधियों में संलग्न होते हैं, तो उनकी सोचने की क्षमता और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। इससे न केवल उनका ध्यान केंद्रित रहता है, बल्कि उनकी समस्या-समाधान क्षमता भी बेहतर होती है। इसके अतिरिक्त, बच्चों में आत्म-विश्वास बढ़ता है और वे अपनी भावनाओं को अच्छे से व्यक्त कर पाते हैं।"

2. शिक्षिका - सीमा श्रीवास्तव
सीमा श्रीवास्तव ने कला के सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव को रेखांकित किया। उनका कहना था, "कला बच्चों को समूह में काम करने की भावना सिखाती है। यह टीमवर्क को बढ़ावा देती है और बच्चों में सहयोग की भावना को जागृत करती है। साथ ही, कला बच्चों के मानसिक तनाव को कम करने में मदद करती है। उन्होंने यह भी कहा कि कला के माध्यम से बच्चों की सांस्कृतिक समझ और संवेदनशीलता भी विकसित होती है।"

3. शिक्षिका - रीना सिंह
रीना सिंह ने कला के शैक्षणिक प्रदर्शन पर प्रभाव की बात की। उनके अनुसार, "कला में बच्चों की रुचि न केवल उनकी रचनात्मकता को बढ़ाती है, बल्कि शैक्षणिक प्रदर्शन में भी सुधार करती है। मैंने देखा है कि कला में रुचि रखने वाले बच्चे पढ़ाई में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं। यह बच्चों को जीवन में सोचने, समझने और समस्याओं का समाधान खोजने में मदद करता है।"

4. अभिभावक - अंबिका प्रसाद
अंबिका प्रसाद, एक अभिभावक, ने बताया, "मुझे लगता है कि कला बच्चों के मानसिक विकास में बहुत सहायक है। मेरे बेटे ने कला गतिविधियों में भाग लिया और मुझे यह देखकर अच्छा लगा कि वह आत्म-विश्वासी हुआ और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम हो गया। वह अब न केवल स्कूल में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, बल्कि घर में भी उसकी सोच और समझ बेहतर हो गई है।"

5. अभिभावक - रीता देवी
रीता देवी ने कला के शैक्षणिक प्रभाव को प्रमुखता से रेखांकित किया। उनका कहना था, "मेरी बेटी को कला में बहुत रुचि है और मुझे यह देखकर खुशी होती है कि इसका असर उसकी पढ़ाई पर भी पड़ा है। उसने अपनी कला गतिविधियों के माध्यम से समस्या-समाधान और समय प्रबंधन में भी सुधार किया है। कला ने उसे न केवल मानसिक शांति दी, बल्कि वह अब पढ़ाई में भी बेहतर ध्यान केंद्रित कर पाती है।"

6. अभिभावक - कंचन देवी
कंचन देवी ने कला के सामाजिक और भावनात्मक विकास पर जोर दिया। उनके अनुसार, "कला ने मेरे बच्चे को समाज और दूसरों के प्रति सहानुभूति सिखाई है। वह अब अपनी भावनाओं को अधिक समझता और व्यक्त करता है। इसके अलावा, कला से उसकी सृजनात्मकता और कल्पना शक्ति में वृद्धि हुई है। मुझे पूरा विश्वास है कि कला उसके समग्र विकास में अहम भूमिका निभा रही है।"

निष्कर्ष
इन साक्षात्कारों से यह स्पष्ट होता है कि कला बच्चों के संज्ञानात्मक, सामाजिक, और शैक्षणिक विकास में अत्यंत प्रभावी है। शिक्षिकाओं और अभिभावकों के अनुभव से यह प्रमाणित होता है कि कला गतिविधियाँ न केवल बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाती हैं, बल्कि उनके आत्म-विश्वास, मानसिक स्वास्थ्य, और सामाजिक कौशल में भी सुधार करती हैं। इसके साथ ही, बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन में भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलता है।

प्रेक्षण (Observation) - कला गतिविधियों के दौरान बच्चों की सहभागिता और क्षमताओं का विश्लेषण

इस अनुसंधान में तीन बच्चों - रिया (कक्षा-5), अंशिका (कक्षा-5) और अनन्या (कक्षा-4) की कला गतिविधियों के दौरान उनकी सहभागिता, रचनात्मकता, और समूह में काम करने की क्षमताओं का प्रत्यक्ष प्रेक्षण किया गया। यह प्रेक्षण बच्चों की कला गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी और इसके प्रभाव को समझने के लिए किया गया।

1. रिया (कक्षा-5)
रिया कला गतिविधियों में बहुत उत्साहित और सक्रिय थी। उसने पेंटिंग में बहुत रुचि दिखाई और अपनी रचनात्मकता को पूरी तरह से व्यक्त किया। वह एक स्वतंत्र विचारक थी, और उसने अपनी कल्पना के अनुसार एक दृश्य चित्रित किया जिसमें प्राकृतिक तत्वों और रंगों का सुंदर मिश्रण था।

सहभागिता:- रिया ने गतिविधि में पूरी तरह से भाग लिया और अपनी कला में निरंतर सुधार करने की कोशिश की। वह बिना किसी बाहरी मार्गदर्शन के स्वयं से काम करती रही।

रचनात्मकता:- रिया की रचनात्मकता स्पष्ट रूप से दिखाई दी। उसने चित्र में पेड़, आकाश और सूरज को इस तरह चित्रित किया कि यह दर्शाता था कि वह प्रकृति के प्रति संवेदनशील है।

समूह में काम करने की क्षमता:- हालांकि रिया एक स्वतंत्र कार्यकर्ता थी, वह समूह में काम करने के लिए भी तत्पर रही। उसने अपने साथियों से विचार-विमर्श किया और दूसरों की राय को सम्मान दिया, जो उसके सहकार्य की भावना को दर्शाता है।

2. अंशिका (कक्षा-5)
अंशिका भी कला गतिविधियों में पूरी तरह से संलग्न थी, लेकिन उसकी कला में संयम और बारीकी अधिक थी। उसने एक परिदृश्य चित्रित किया जिसमें एक घर और उसके आसपास के पेड़-पौधे थे।

सहभागिता:- अंशिका ने समूह के साथ पूरी तरह से संवाद किया, और जब उसे किसी मदद की आवश्यकता हुई, तो उसने अपने शिक्षक से मदद ली। वह ध्यान से प्रत्येक चरण का पालन करती थी।

रचनात्मकता:- अंशिका की रचनात्मकता इस बात से स्पष्ट थी कि उसने बहुत ही सूक्ष्म रूप से विवरणों पर ध्यान दिया। उसने चित्र के प्रत्येक हिस्से को बहुत बारीकी से और ध्यानपूर्वक सजाया।

समूह में काम करने की क्षमता:- अंशिका समूह के कार्यों में भी पूरी तरह से भागी और उसने अपने साथियों के विचारों को ध्यानपूर्वक सुना। वह अपनी कला के बारे में चर्चा करने में सहज थी और दूसरों के सुझावों का आदान-प्रदान किया।

3. अनन्या (कक्षा-4)
अनन्या ने कला गतिविधियों में भाग लिया, लेकिन उसने अपनी कला में विचार करने से अधिक प्रयोग किया। उसने एक ज्वालामुखी का चित्र बनाया जिसमें रंगों का मिश्रण बहुत जीवंत था।

सहभागिता:- अनन्या ने ध्यान से कार्य में भाग लिया, लेकिन कभी-कभी उसे मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी। उसने पेंटिंग में तेज़ी से काम किया और अपनी कल्पनाओं को जल्द से जल्द व्यक्त करने की कोशिश की।

रचनात्मकता:- अनन्या ने अपनी कला में प्रयोग किया और रंगों का सुंदर मिश्रण किया, जिससे उसकी रचनात्मकता स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हुई। हालांकि उसका काम थोड़ा असंयमित था, फिर भी उसमें बहुत सारी कल्पनाशीलता थी।

समूह में काम करने की क्षमता:- अनन्या ने समूह में काम करने में थोड़ा संघर्ष किया। वह अपनी विचारों को खुद तक ही सीमित रखती थी और समूह में अन्य बच्चों के साथ ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। हालांकि, वह समय-समय पर समूह के विचारों को स्वीकार करने के लिए तैयार थी।

निष्कर्ष
रिया:- रिया में स्वतंत्रता और रचनात्मकता की क्षमता अधिक दिखाई दी। वह अपनी कला को आत्मनिर्भरता के साथ प्रस्तुत करती थी और दूसरों के विचारों को सम्मान देती थी।

अंशिका:- अंशिका का ध्यान बारीकी पर था और उसने समूह में अच्छे से काम किया। वह अपने सहकर्मियों से सुझाव लेकर अपनी कला को बेहतर बनाने में विश्वास करती थी।

अनन्या:- अनन्या ने बहुत उत्साह के साथ काम किया, लेकिन कभी-कभी उसे मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी। वह अपनी कला में प्रयोग करती थी और समूह में काम करने में थोड़ा संकोच करती थी।

सारांश
इन बच्चों का प्रेक्षण दर्शाता है कि कला गतिविधियाँ बच्चों के रचनात्मक और सामाजिक विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। रिया और अंशिका ने अपने कला कार्य में रचनात्मकता और समूह कार्य के महत्व को समझा, जबकि अनन्या में स्वतंत्रता और प्रयोग की प्रवृत्ति थी। कला से बच्चों के आत्मविश्वास, समस्या-समाधान और समूह कार्य में सहयोग बढ़ता है, जो उनके समग्र विकास के लिए आवश्यक है।

परिणाम और चर्चा
1. सृजनात्मकता और समस्या समाधान क्षमता
    कला बच्चों की सृजनात्मकता को प्रोत्साहित करती है। चित्रकला, नाटक, और संगीत जैसी गतिविधियों के माध्यम से बच्चे नई और अनोखी चीजें बनाने की कोशिश करते हैं। यह सृजनात्मकता समस्या समाधान क्षमता में भी वृद्धि करती है, क्योंकि बच्चे विभिन्न दृष्टिकोणों से समस्याओं को हल करना सीखते हैं।

2. आत्म-अभिव्यक्ति और आत्म-सम्मान
    कला बच्चों को अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है। यह आत्म-अभिव्यक्ति उनके आत्म-सम्मान को बढ़ाती है, क्योंकि वे अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से अपनी पहचान और व्यक्तिगत मूल्य को समझते हैं।

3. सामाजिक और संचार कौशल
    नाटक और नृत्य जैसी कला गतिविधियाँ बच्चों को समूह में काम करने और सहयोग करने का अवसर देती हैं। यह उनके सामाजिक और संचार कौशल को बढ़ाता है। वे अन्य बच्चों के साथ विचार-विमर्श और समन्वय करना सीखते हैं, जो उनके सामाजिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

4. शारीरिक विकास
    नृत्य और नाटक जैसी गतिविधियाँ बच्चों के शारीरिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये गतिविधियाँ बच्चों के शारीरिक संतुलन, मोटर कौशल, और समग्र शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करती हैं।

5. सांस्कृतिक जागरूकता और सहिष्णुता
    कला बच्चों को विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं के बारे में जानकारी देती है। यह सांस्कृतिक जागरूकता और सहिष्णुता को बढ़ावा देती है, जिससे बच्चे विविधता का सम्मान करना और समझना सीखते हैं।

मुख्य निष्कर्ष
इस अनुसंधान के माध्यम से यह स्पष्ट हुआ कि कला गतिविधियाँ बच्चों के संज्ञानात्मक, सामाजिक, और शैक्षणिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विशेष रूप से, कला ने बच्चों की रचनात्मकता, समस्या-समाधान क्षमता, आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल को प्रभावी रूप से बढ़ाया है। निम्नलिखित मुख्य निष्कर्ष प्राप्त हुए:

1. रचनात्मकता में वृद्धि:-बच्चों की कला गतिविधियों में भागीदारी ने उनकी रचनात्मक सोच और कल्पनाशीलता को उजागर किया। उन्होंने अपनी कला में नए प्रयोग किए, जो उनके विचारों की स्वतंत्रता और नवाचार को प्रदर्शित करते हैं।

2. शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार:- कला गतिविधियों ने बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित किया। बच्चों में बेहतर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और समय प्रबंधन की भावना विकसित हुई, जो उनके अध्ययन में सहायक रही।

3. समाजिक और भावनात्मक विकास:- कला गतिविधियों ने बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाया और सामाजिक संबंधों में सुधार किया। समूह में काम करने की क्षमता में वृद्धि हुई, जिससे उन्होंने सहकार्य और सहयोग की भावना को महसूस किया।

4. संज्ञानात्मक और मानसिक विकास:- कला ने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास में भी मदद की। उनकी समस्या-समाधान क्षमता और सोचने की शक्ति में वृद्धि हुई। साथ ही, कला ने बच्चों को भावनाओं के साथ जुड़ने और उन्हें व्यक्त करने में भी सक्षम बनाया।

5. साक्षात्कार और प्रेक्षण का समर्थन:- शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों के प्रेक्षण से यह सिद्ध हुआ कि कला गतिविधियाँ न केवल बच्चों के मानसिक और रचनात्मक विकास में योगदान करती हैं, बल्कि उनका आत्म-सम्मान और सामाजिक कौशल भी बेहतर बनाती हैं।

निष्कर्ष
कला गतिविधियाँ बच्चों के समग्र विकास में अहम भूमिका निभाती हैं, जो उनके शैक्षणिक, मानसिक, और सामाजिक विकास में सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। यह अनुसंधान इस बात को सिद्ध करता है कि जब बच्चों को कला के माध्यम से अपनी रचनात्मकता व्यक्त करने का अवसर मिलता है, तो वे न केवल अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं में बेहतर प्रदर्शन भी कर सकते हैं। कला शिक्षा बच्चों के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती है। यह न केवल उनके सृजनात्मकता और समस्या समाधान क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि उनके आत्म-सम्मान, सामाजिक कौशल, शारीरिक विकास, और सांस्कृतिक जागरूकता को भी प्रोत्साहित करती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि विद्यालयों और अभिभावकों को कला शिक्षा को प्रोत्साहित करना चाहिए और इसे बच्चों के शैक्षिक कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए।

संदर्भ
1. Rauscher, F. H., Shaw, G. L., & Ky, K. N. (1997). Music and spatial task performance. Nature, 365(6447), 611.
2. Catterall, J. S. (2009). Doing Well and Doing Good by Doing Art: A 12-year National Study of Education in the Visual and Performing Arts. 

इस शोध पत्र में कलाओं से बच्चों के सीखने के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से वर्णित किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कला शिक्षा बच्चों के समग्र विकास के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।

     अनुसंधान कर्ता  
    चन्द्रपाल राजभर 
(आर्टिस्ट,लेखक, शिक्षक)
प्राथमिक विद्यालय रानीपुर कायस्थ कादीपुर सुल्तानपुर 

Wednesday, November 13, 2024

शोध पत्र विद्यालय में बच्चों के ठहराव की कमी

शोध पत्र: विद्यालय में बच्चों का ठहराव कम होने के कारण एवं समाधान

सारांश

विद्यालय में बच्चों का ठहराव कम होना एक प्रमुख समस्या बन चुकी है, विशेष रूप से सरकारी विद्यालयों में यह समस्या अधिक देखी जाती है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम और सरकारी प्रयासों के बावजूद छात्रों का विद्यालय में लगातार बने रहना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। इस शोध पत्र में हम ठहराव के अभाव के प्रमुख कारणों, इसके प्रभावों तथा संभावित समाधानों पर विचार करेंगे, ताकि इस दिशा में सुधार लाया जा सके।

1. प्रस्तावना

विद्यालय बच्चों के समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण संस्थान हैं। यह न केवल बच्चों के शैक्षिक विकास बल्कि उनके सामाजिक, भावनात्मक और मानसिक विकास के लिए भी आवश्यक है। परंतु, छात्रों का विद्यालय से जल्दी छोड़ देना या नियमित न आना शिक्षा प्रणाली के प्रभाव को कमजोर कर देता है। इस समस्या के समाधान के लिए इसकी जड़ों तक जाना आवश्यक है।

2. विद्यालय में ठहराव की कमी के कारण

विद्यालय में बच्चों का ठहराव कम होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

2.1 आर्थिक स्थिति

अर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चे अक्सर परिवार की आय में योगदान करने के लिए स्कूल छोड़ने पर मजबूर होते हैं। कई परिवार शिक्षा को खर्च का विषय मानते हैं और बच्चों को काम में लगा देते हैं ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

2.2 सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव

कुछ समुदायों में शिक्षा को प्राथमिकता नहीं दी जाती, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा को लेकर अब भी संकीर्ण मानसिकता देखी जाती है। कई माता-पिता का मानना है कि लड़कियों के लिए शिक्षा उतनी महत्वपूर्ण नहीं है।

2.3 विद्यालय का वातावरण

विद्यालय का वातावरण यदि अनुकूल नहीं है तो छात्र विद्यालय छोड़ने पर मजबूर हो सकते हैं। अध्यापक और विद्यार्थियों के बीच संवादहीनता, विद्यालय में अत्यधिक अनुशासन, सुविधाओं की कमी, असुरक्षा का माहौल आदि छात्रों को विद्यालय से दूर कर सकते हैं।

2.4 शैक्षिक कठिनाईयां

कुछ छात्रों को पढ़ाई में कठिनाई होती है और इस कारण वे पीछे रह जाते हैं। यदि उन्हें समय पर उचित मार्गदर्शन और सहायता नहीं मिलती, तो वे पढ़ाई में रुचि खो सकते हैं और अंततः विद्यालय छोड़ सकते हैं।

2.5 परिवहन और दूरी की समस्या

ग्रामीन क्षेत्रों में बच्चों को विद्यालय जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। विद्यालय के लिए परिवहन की कमी एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण कई बच्चे विद्यालय छोड़ देते हैं।

3. ठहराव की कमी का प्रभाव

विद्यालय में ठहराव की कमी का बच्चों और समाज दोनों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है:

शैक्षिक हानि: नियमित विद्यालय नहीं जाने से बच्चों का शैक्षिक स्तर गिरता है और वे अधूरी शिक्षा के साथ समाज में प्रवेश करते हैं।

अपराध और सामाजिक समस्याएं: शिक्षा की कमी के कारण बच्चों में सही और गलत का भेद कम होता है, जिससे उनके अपराध की ओर बढ़ने की संभावना होती है।

आर्थिक असुरक्षा: शिक्षा के अभाव में बच्चों को कम आय वाली नौकरियां मिलती हैं, जिससे उनके जीवन में आर्थिक अस्थिरता बनी रहती है।


4. ठहराव की वृद्धि के उपाय

बच्चों के ठहराव को बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए जा सकते हैं:

4.1 आर्थिक सहायता और प्रोत्साहन

सरकार और गैर-सरकारी संगठन आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर सकते हैं। साथ ही, छात्रों के अभिभावकों को बच्चों की शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।

4.2 शिक्षा में रुचि बढ़ाने के लिए नवीनीकरण

शिक्षा प्रणाली को अधिक रुचिकर और नवाचारी बनाया जाए। शिक्षा का व्यावहारिक और दैनिक जीवन में उपयोगी पहलुओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि बच्चे शिक्षा में रुचि बनाए रखें।

4.3 अभिभावक शिक्षक संवाद बढ़ाना

अभिभावक और शिक्षकों के बीच संवाद को बढ़ावा देना चाहिए ताकि बच्चों की समस्याओं का जल्दी पता लग सके और उन्हें समाधान प्रदान किया जा सके।

4.4 छात्र-अनुकूल विद्यालय वातावरण

विद्यालय का वातावरण ऐसा बनाया जाए जो छात्रों के लिए सुरक्षित, स्वस्थ और प्रेरणादायक हो। इसके लिए शैक्षिक, खेलकूद और अन्य गतिविधियों में सामंजस्य स्थापित करना चाहिए।

4.5 डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा

आज के डिजिटल युग में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा के साधनों से भी जोड़ा जा सकता है। इससे दूरस्थ क्षेत्रों के छात्रों तक शिक्षा पहुंचाने में मदद मिल सकती है।

5. निष्कर्ष

विद्यालय में बच्चों का ठहराव सुनिश्चित करना न केवल बच्चों के लिए बल्कि समाज और देश के समग्र विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। बच्चों के ठहराव को बढ़ाने के लिए सरकार, विद्यालय प्रबंधन, अभिभावकों और समाज को मिलकर काम करना होगा। जब सभी पक्ष इस दिशा में मिलकर प्रयास करेंगे, तभी एक स्वस्थ और शिक्षित समाज की नींव रखी जा सकेगी।

संदर्भ

इस शोध पत्र में दिए गए तथ्यों और विचारों का आधार विभिन्न शैक्षिक सर्वेक्षणों, सरकारी रिपोर्टों तथा शोध अध्ययनों पर आधारित है।
____________
शोध पत्र में साक्ष्य (एविडेंस) जोड़ने से यह अधिक विश्वसनीय और उपयोगी हो सकता है। विद्यालय में बच्चों के ठहराव से संबंधित कुछ प्रमुख साक्ष्य और आंकड़े निम्नलिखित हैं, जिन्हें आप अपने शोध पत्र में शामिल कर सकते हैं:

1. आर्थिक स्थिति से जुड़े साक्ष्य:

2018 की Annual Status of Education Report (ASER) के अनुसार, आर्थिक कठिनाइयों के कारण ग्रामीण भारत के कई बच्चे विद्यालय छोड़ देते हैं।

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लगभग 30% बच्चों को कार्य करने के लिए पढ़ाई छोड़नी पड़ती है।


2. लड़कियों की शिक्षा में अवरोध:

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की रिपोर्ट बताती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों का ठहराव दर लड़कों की तुलना में कम है, खासकर उच्च कक्षाओं में।

UNESCO के अनुसार, भारत में 40% लड़कियां माध्यमिक स्तर तक पहुँचने से पहले ही विद्यालय छोड़ देती हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सांस्कृतिक मान्यताओं का ठहराव पर कितना प्रभाव है।


3. विद्यालय के माहौल से जुड़े तथ्य:

UNICEF की एक रिपोर्ट के अनुसार, असुरक्षित या अनुशासनात्मक माहौल बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है और उनके ठहराव में कमी लाता है।

विद्यालयों में असुविधाजनक स्थिति, जैसे पीने का पानी, शौचालय और अन्य सुविधाओं की कमी, खासकर बालिकाओं के ठहराव में बड़ी बाधा साबित होती है।


4. शैक्षिक कठिनाइयों से संबंधित शोध:

भारत सरकार द्वारा किए गए अध्ययन बताते हैं कि लगभग 40% बच्चे पढ़ाई में कठिनाई के कारण विद्यालय छोड़ देते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चों को किसी न किसी प्रकार की शैक्षिक मदद की आवश्यकता होती है।

NCERT के अध्ययन के अनुसार, कमजोर शैक्षिक प्रदर्शन के कारण ठहराव कम होता है, और विशेष रूप से उन बच्चों के लिए, जिन्हें स्कूल में उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता।


5. दूरी और परिवहन की समस्या:

भारत में ग्रामीण विद्यालयों तक पहुँचने में समस्या है। शिक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में 20% से अधिक बच्चे लंबी दूरी और परिवहन की कमी के कारण विद्यालय छोड़ देते हैं।

भारत सरकार द्वारा 2011 में किए गए स्कूल शिक्षा सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 10% से अधिक बच्चे लंबी दूरी की वजह से पढ़ाई छोड़ देते हैं।

6. शैक्षिक उपलब्धि और ठहराव के प्रभाव का विश्लेषण:

UNESCO की रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षा की कमी बच्चों के सामाजिक विकास को बाधित करती है और उनके जीवन में स्थायित्व की कमी को दर्शाती है।

अशोक विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में बताया गया कि ठहराव में कमी से बच्चों के कैरियर विकल्प सीमित हो जाते हैं, जिससे वे रोजगार में भी कमजोर रह जाते हैं।

इन साक्ष्यों और तथ्यों को शोध पत्र में जोड़कर यह स्पष्ट किया जा सकता है कि विद्यालय में बच्चों का ठहराव कम क्यों हो रहा है और इसका समाज एवं राष्ट्र पर क्या प्रभाव पड़ रहा है। ये साक्ष्य न केवल समस्या की गहराई को समझने में मदद करते हैं, बल्कि ठहराव की वृद्धि के लिए उचित नीतिगत सुझावों के आधार भी बनाते हैं।

गजल एल्बम 44

1
ग़ज़ल 
उनकी शादी 

उनकी शादी होती रही और हम तड़पते रहे
वो खुशियों में डूबे थे, हम ऑंसू बहाते रहे।

दिल में बसी थी जो उनकी प्यारी तस्वीर
वो याद बनकर अब हमें सज़ा देते रहे।

वो मंडप सजा था रंगों से उनके लिए
हम ॲंधेरों में अपने दर्द से लड़ते रहे।

चाहत की सारी बातें अधूरी रह गईं
हम उनके बिना ख़ुद को समझाते रहे।

वो महफ़िल में हॅंस रहे थे बेफ़िक्री से
हम ग़म में अपने होंठ सिलते रहे।

कसमों का कोई मोल बाकी न रहा
हम उनके वादों को आज़माते रहे।

दुआओं में नाम उनका लेते रहे हम
और वो किसी और का हाथ थामते रहे।

उनकी दुनिया सजती रही शानों-शौकत से
हम तन्हा अपनी राहों को ढूॅंढ़ते रहे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
2
ग़ज़ल 
शहनाई बजती रही

उनकी शादी की शहनाई बजती रही
और हमारी ख़ामोशी सिसकती रही।

वो किसी और के ख़्वाब सजा रहे थे
हम अपनी तन्हाई में जलते रहे।

दिल की हर धड़कन उनका नाम लेती
और वो हमें हर घड़ी भुलाते रहे ।

हमने चाहा, उन्हें रोक लें किसी तरह
मग़र उनकी हॅंसी हमें और तोड़ती रही।

वो महफ़िल में चिराग़ों से घिरे थे
हम ॲंधेरों में बस डूबते रहे।

उनकी खुशियों का कोई ठिकाना न था
और हम दर्द से बहुत लड़ते रहे।

वो किसी और के संग बंधन में बंधे
हम अपनी बेबसी पर आँसू बहाते रहे।

जुदाई की ये रस्म निभाई गई
वो चलते रहे, और हम ठहरते रहे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------------
3
गजल
शादी के चर्चे 

उनकी शादी के चर्चे आम हो गए
हम अपने प्यार से यूँ ही नाकाम हो गए।

वो किसी और के हमसफ़र बन बैठे 
हम उनकी यादों के ग़ुलाम हो गए।

हर ख़ुशी में वो हॅंसते रहे बेख़बर 
और हम ख़ामोश ग़म के आयाम हो गए।

रंग-बिरंगी महफ़िलें सजी उनके लिए
हम तन्हा ॲंधेरों में बदनाम हो गए।

वो देख भी न सके दर्द हमारी आँखों का
हम उनके ख़यालों में नीलाम हो गए।

जिसे चाहा उम्र भर के लिए हमनें 
वो किसी और का पैग़ाम हो गए।

वो महफ़िल में बसे, चिराग़ों की तरह
हम उनकी यादों के मयख़ाने जाम हो गए।

अब किसी से कहने को बाकी क्या रहा
हम उनके बिना जैसे बर्बाद नाम हो गए।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------------
4
ग़ज़ल 
बन्धन-ए-शादी

वो शादी के बंधन में बॅंधते रहे
हम टूटते रहे, आहें भरते रहे।

महफ़िल उनकी थी जगमगाती हुई
हम ॲंधेरों में ख़ुद को ढूॅंढ़ते रहे।

हर क़सम जो कभी खाई थी साथ में
उनकी ख़ुशियों के लिए हम तड़पते रहे।

वो मुस्कुराए किसी और के संग
हम अपने अश्क छुपाते रहे।

दिल में छुपी थी उनकी ख़ामोश यादें
हम उन यादों को बस सहलाते रहे।

वो किसी और की ज़िंदगी का हिस्सा बनें 
हम उनके बिना हर पल बिखरते रहे।

उनकी खुशियों की दुआ की हर पल
और अपने ज़ख्म दिल में भरते रहे।

वो किसी और के हो गए सदा के लिए
हम ग़म की राहों पर बस चलते रहे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
5
ग़ज़ल 
वो डोली में बैठकर चले गए

वो डोली में बैठकर चले गए
हम अपनी तन्हाई में गलते रहे।

सारा गाँव था खुशियों से सज़ा 
हम अपने ऑंसुओं में डूबते रहे।

वो हॅंसते हुए गए किसी और के साथ
हम अपनी उम्मीदों को चुराते रहे।

उनके साथ अब चाँदनी बसी थी
हम सायों में अपनी रातें गिनते रहे।

राहों में उनकी महक अब किसी और की थी
हम ख़ुद को हम ख़ाक में लुटाते रहे।

वो जो कभी हमारे थे हर पल
अब किसी और के ख़्वाबों में खोते रहे।

हमने उन्हें अपना समझा था
मग़र वो डोली में बैठकर दूर जाते रहे 
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------------
6
ग़ज़ल 
उनके हाथ पीले हो गए
हम ख़ामोशी में जीते रहे।

वो मुस्कुराए थे किसी और के साथ
हम टुकड़े -टुकड़े बिखरते रहे।

राहों में उनकी अब खुशियाँ थी
और हम उनकी जुदाई में जीते रहे।

वो दुनियाॅं में नए रिश्ते बना रहे थे
हम अपनी उम्मीदों को जलाते रहे।

उनकी यादें अब किसी और का हिस्सा बनीं
हम यादों ख़्वाब में जीते रहे।

वो डोली में बैठकर चले गए
हम अपनी टूटन को संजोते रहे।

उनके बिना अब कोई रंग नहीं
हम सर्द रातों में जलते रहे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------
7
ग़ज़ल 
उनके हाथों में मेहंदी सजी थी
और हम आशाएँ खोते रहे।

वो वादों से मुकर गया था
हम अपनी तक़दीर से जूझते रहे ।

चाँद को भी कभी हमने अपना माना था
अब वो किसी और के ख़्वाबों में खोते रहे।

रंगीन दिन थे हमारे साथ कभी
अब उनकी यादों में हम बर्फ की तरह पिघलते रहे।

वो ख़ुश था, किसी और के साथ जीवन में 
हम अपनी तन्हाई में आँसू छुपाते रहे ।

हाथों में मेहंदी सजी थी, पर दिल खाली था
हम उसकी खुशियों के लिए ख़ुद को गॅंवाते रहे ।

जो कभी अपना था, अब वह पराया हो गया
हम अपनी उम्मीदों को पल-पल खोते रहे ।
गज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------
8
गज़ल 
हाथों में मेहंदी सजी थी

हाथों में मेहंदी सजी थी, खुशियों का रंग छाया था
वो दिन थे जब दिल में प्यार का सागर लहराया था।

वो महकते ख़्वाबों में खो गए, हम अपनी तन्हाई में 
 हाथों में मेहंदी सजी थी, पर दिल फिर भी खाली था।

उसकी राहों में अब कोई और था, हमें अकेले छोड़ गया
हम उसकी यादों के सहारे, अपना हर दिन बिताते रहे।

वो अपनी दुनियाॅं में व्यस्त था, हम इंतज़ार में खड़े थे
उनकी हाथों में मेहंदी सजी थी, और हम काॅंटे पर खड़े थे।

वो मुस्कान अब किसी और के साथ थी
हम अपनी चुप्पियों में दर्द को छुपा रहे थे।

हाथों में मेहंदी सजी थी, लेकिन दिल टूट गया
वो चला गया और हम अपनी यादों में खो रहे थे।

गजल एल्बम 43 टाईप

एक दिन वक्त ज़रूर बदलेगा
जो रुक गया है, वो ज़रूर चलेगा।

जो दर्द आज है दिल में छुपा
वो एक दिन हँसते हुए निकलेगा।

ग़म की रातें हमेशा नहीं रहतीं
सुबह का सूरज फिर निकलेगा।

जो टूटा है कभी हमारे हाथों से
वो एक दिन फिर से संजोएगा।

वक्त के फेरे में कभी ना उलझो,
एक दिन सब कुछ बदल जायेगा।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
------------------------
2
गजल
पास आयेगा

एक दिन वक्त ज़रूर बदलेगा
हर दर्द भी अपना रूप लेगा।

जो कल था खोया, आज ग़म में था
वो कल नए रूप में खिलके रहेगा।

हर रात के बाद सुबह ज़रूर आएगी
ॲंधेरा कहीं न दूर चलेगा।

जो टूट चुका है दिल में कभी
वो एक दिन फिर से जुड़के रहेगा।

वो जो कभी दूर थे हमारी ज़िंदगी से
एक दिन वो हमारे पास ज़रूर आएंगे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------
3
उनका नाम 
चर्चा उनकी हो रही थी, और हम ख़ामोश थे
ग़म में डूबे हुए थे, दिल में कुछ रोश थे।
उनकी यादों का दरिया हर रोज़ उमड़ता था
हम चुपके से उसे आँखों में रोका करते थे।

दूसरे ज़ुबाॅं से उनका नाम आता था
हम अपने ख्वाबों में उस नाम को बोला करते थे।
दूसरे कहते थे, वो तो बदल गए हैं
हम अपनी आँखों में उनका चेहरा पाया करते थे।

चर्चा करते रहे लोग, हम सुनते रहे
दिल में क्या था, बस उसी पर जीते रहे।
उनकी हॅंसी की ध्वनि अब भी कानों में गूॅंजती है
हर ख़ामोशी में हमसे उनका राज़ खोला करती है।

दूसरे कहते थे अब वो किसी और के हैं
हम उसी उम्मीद में अपनी राहें मोड़ा करते हैं।
वो नहीं थे, फिर भी उनकी चर्चा से जुड़े थे 
हम हर शब्द में उन्हीं का नाम बोला करते थे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-----------------------
गजल
4
हम पराये हुए 
चर्चा उनकी थी, और हम सुनते रहे
दिल की बातें चुपके से हम कहते रहे।
वो जो कभी हमारे थे, अब खो गए हैं
हम उनकी यादों में दिन बिताते रहे।

दूसरे कहते थे वो अब भी हमारे हैं
वो हमारी खामोशियों में रहते रहे।
वो कहते थे हमें छोड़ दो, आगे बढ़ो
हम उन्हीं के पीछे हमेशा चलते रहे।

कभी ख़्वाबों में दिखती थी उनकी हॅंसी
हम उन्हें रोज़ अपने ख़यालों में पाते रहे।
चर्चा होती थी उनके बारे में हर जगह
हम ख़ुद को उनकी धड़कन में पाते रहे।

वो नहीं थे पास, फिर भी उनकी यादें थी
हम उनके बिना, फिर भी जीते रहे।
आख़िरकार उनकी चर्चा अब ख़त्म हुई
वो किसी और के हो गए हम पराये रहे
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
----------------------
5
ग़ज़ल
महफ़िले चर्चा 
चर्चा उनकी महफ़िल में हर रोज़ होती रही
हम चुप थे मग़र दिल में आग जलती रही।

उनके किस्से हर ज़ुबाॅं पर सजते रहे
हमारी ख़ामोशी चुपके से सब कहती रही।

वो कभी हमारे थे, ये बात सबको थी ख़बर 
पर ये दास्तां अब कहानी बनती रही।

रास्तों पर चलते हुए वो याद आए
हर क़दम पर बस उनकी झलक मिलती रही।

लोगों ने कहा वो बदल गए हैं बहुत
हम उनकी पुरानी तस्वीर से बॅंधे रहे।

हर इक बात में था उनका ज़िक्र कहीं
हम सुनते रहे और साॅंसें थमती रही।

जो रिश्ते कभी दिल के करीब थे हमारे
अब बस ख़यालों की एक लकीर बनती रही।

वो नहीं पास, पर चर्चा हर ओर है उनकी
हम फिर भी अपने दर्द में मुस्कुराते रहे।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
---------------------------
6
ग़ज़ल
चर्चा उनकी 

चर्चा उनकी थी हर किसी की जुबाॅं पर
हम दिल में राज़ उनका छुपाते रहे हर पल।

लोग कहते रहे वो अब हमारे नहीं
हम फिर भी अपनी वफ़ा निभाते रहे हर पल।

उनकी बातों में था एक जादू सा कभी
हम उसी जादू में ख़ुद को पाते रहे हर पल।

वो दूर हो गए मग़र उनकी यादें रह गईं
हम उन यादों से दिल लगाते रहे हर पल।

लोग पूछते हैं क्यों अभी तक तन्हा हैं 
हम ख़ामोश रहकर मुस्कुराते रहे हर पल।

ज़िक्र उनका हो तो दिल काँप जाता है
हम उनकी यादों को दुलारते रहे हर पल।

वो चले गए पर निशानियाॅं छोड़ गए
हम उन निशानियों से दिल लगाते रहे हर पल।

अब बस उनकी बातें बाकी रह गईं हैं
हम उनकी बातों में ख़ुद को पाते रहे हर पल।
ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------------
7
ग़ज़ल 
ढूॅंढती रही

चर्चा उनकी हर दिन यूँ होती रही
जैसे दिल की धड़कन खोती रही।

वो कहीं और अब बस चुके हैं
पर उनकी याद हमें संजोती रही।

हर महफ़िल में नाम उनका ही था
हमारी तन्हाई बस ये कहती रही।

लोगों की बातों में वो रहते हैं
हमारी ख़ामोशी उनकी ही होती रही।

वो जो बदल गए वक्त के साथ
हमारी चाहत फिर भी रोती रही।

जुबाॅं से कुछ कहा नहीं हमने कभी
पर निगाहें वही बात कहती रही।

अब भी है ख़ामोशियों में उनकी आवाज़
हर रात वो हमें जगाती रही।

चर्चा उनकी हर ओर रहती है
हमारी ख़ामोशी उन्हें ढूॅंढ़ती रही।
गजल
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर 
-------------------------
8
ग़ज़ल 
उनकी याद 
उनकी याद हमें सताती रही
रात भर ख़ामोशी हमें जगाती रही।

दिल में था बस उन्हीं का ख़्याल 
हर साॅंस उनकी तरफ जाती रही।

वो जो दूर हो गए हैं हमसे
फिर भी नज़दीकियाॅं बढ़ाती रहीं।

हमनें चाहा उन्हें भूल जाएं
पर चाहत हमें समझाती रही।

जिन राहों पर साथ चले थे कभी
उन राहों की धूल हमें बुलाती रही।

ख़्वाबों में आते रहे हर रोज़ वो
नींद हमारी यूँ ही लुटती रही।

वो गए तो ज़िंदगी वीरान हो गई
उनकी याद हमें बहुत रुलाती रही।

छुपा लिया हमने दर्द की दास्ताॅं को
पर उनकी ख़ामोशी बहुत चुभती रही।

ग़ज़ल 
आर्टिस्ट चन्द्रपाल राजभर